इन्सानी शरीर एक अद्भुत मशीन है जिसकी स्टीड बरसों से चली आ रही है और इसके कुछ हिस्से ऐसे हैं जिनके बारे में अभी भी नई जानकारी निकल कर आ रही है। उदाहरण के लिए इन्सानी दिमाग।
इन्सान का दिमाग इतना जटिल है कि इसकी संरचना को समझने में ही सैकडों साल लग गए हैं। अब इसके हिस्से के एक नए बर्ताव के बारे में पता चला है। इन्सानी दिमाग का ऊपरी हिस्सा, जो एक कान से दूसरे कान तक एक हेयरबैंड की तरह फैला है, अपने आप में काफी अलग है। इसे सोमेटोसेंसरी कॉर्टेक्स कहा जाता है।
सोमेटोसेंसरी कॉर्टेक्स के बारे में दशकों तक समझा जाता रहा है कि यह केवल हमारे शरीर के दूसरे हिस्सों से सेंसरी जानकारी लेकर आता है और दिमाग तक पहुंचाता है। लेकिन, हाल ही एक नई स्टडी में पता चला है कि यह हिस्सा हमारी भावनाओं के साथ भी जुड़ा है जिसमें भावनाओं कोक पहचानना, पैदा करना और भावनाओं का संचालन करना भी शामिल है। इसके अलावा जो लोग डिप्रेशन, एंजाइटी और साइकोटिक बीमारियों से ग्रस्त हैं, उनके सोमेटोसेंसरी कॉर्टेक्स की संरचना में बदलाव भी पाए गए हैं।
इस स्टडी से पता चलता है कि सोमेटोसेंसरी कॉर्टेक्स कई तरह की दिमागी बीमारियों के इलाज में सहायता कर सकता है। सीधे दिमाग पर चोट करने वाली तकनीकों को इजाद करने से पहले हम दिमागी स्वास्थ्य को ठीक करने वाली तकनीकों और थैरेपी पर विचार करें तो ज्यादा सही लगता है। इसमें डांस मूवमेंट थैरेपी या साइकोथैरेपी जैसी प्रोसेस शामिल हैं। ये ऐसे तरीके हैं जिनसे पूरे शरीर की मूवमेंट के जरिए सेंसरों की शक्ति को बढ़ाना, सांस लेने की जागरूकता को बढ़ाना और बॉडी मूवमेंट के प्रति जागरूकता को बढ़ाना शामिल है। ये सभी चीजें हमारी समस्त स्व-जागरूकता को बढ़ाती हैं, जिससे दिमागी स्वास्थ्य में सुधार होता है। और यह सब सोमेटोसेंसरी कॉर्टेक्स की पुनर्व्यवस्था के कारण होता है।
सोमेटोसेंसरी कॉर्टेक्स का एक खास गुण है कि इसमें प्लास्टिसिटी मौजूद है यानि कि यह अभ्यास के साथ अपने आकार को बदल सकता है। यह प्लास्टिसिटी ऐसे में और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है जब डांस थैरेपी जैसे तरीकों की बात करते हैं। डांस एक ऐसी थैरेपी है जिसके जरिए पूरी बॉडी की मूवमेंट संभव है और यह सोमेटोसेंसरी कॉर्टेक्स की संरचना में तेजी से बदलाव ला सकती है। अगर किसी व्यक्ति को चलने फिरने या नाचने की मनाही है तो वह केवल अपने हाथों की मूवमेंट से भी डांस थैरेपी का लाभ ले सकता है।
सोमेटोसेंसरी कॉर्टेक्स का फंक्शन इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि इसका कनेक्शन हमारे दिमाग के दूसरे हिस्सों से भी है। यानि कि इस कॉर्टेक्स में जो बदलाव आएंगे, वह दिमाग के दूसरे हिस्सों को भी प्रभावित करेंगे। हमारा दिमाग उसके हर हिस्सों के साथ आपस में पूरी तरह से जुड़ा हुआ है, इसका कोई भी हिस्सा इससे अलग होकर कार्य नहीं कर सकता है। शरीर के अलग अलग हिस्सों से सोमेटोसेंसरी कॉर्टेक्स के पास जानकारी पहुंचती है।
उदाहरण के लिए सॉमेटोसेंसरी कॉर्टेक्स का एक बडा़ हिस्सा हमारे हाथों के लिए समर्पित है। इसलिए केवल हाथों की मूवमेंट और हाथों पर होने वाली फीलिंग की वजह से दिमाग का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित होता है। इसलिए डांस थैरेपी इस तरह की दिमागी बीमारियों में काफी कारगर साबित हो सकती है।