6.6 करोड़ साल पहले Asteroid की टक्‍कर से कैसे मर गए डायनासोर, स्‍टडी में खुलासा! जानें

एक जीवाश्‍म स्‍थल (fossil site) पर मिले पार्टिकल्‍स को स्‍टडी करने के बाद वैज्ञानिकों ने यह बात कही है।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 6 नवंबर 2023 13:34 IST
ख़ास बातें
  • डायनासोरों के विनाश से जुड़ी नई स्‍टडी
  • एस्‍टरॉयड की टक्‍कर से पृथ्‍वी पर छा गई थीं धूल भरी सर्दियां
  • इसने डायनासारों का वजूद खत्‍म कर दिया

अनुमान है कि एस्‍टरॉयड की टक्‍कर से निकली महीन सिलिकेट की धूल कम से कम 15 साल तक हमारे में वायुमंडल में रही होगी।

Photo Credit: Unsplash

How Asteroid Killed Dinosaurs : करीब 6.6 करोड़ साल पहले हमारी पृथ्‍वी से डायनासोरों का खात्‍मा एक एस्‍टरॉयड की टक्‍कर के बाद मचे विनाश से हुआ था। वर्षों से वैज्ञानिक इस बात पर सहमत रहे हैं। लेकिन विनाश का दायरा कितना बड़ा था, यह बहस का विषय रहा है। कहा जाता है कि माउंट एवरेस्ट से भी बड़े एक एस्‍टरॉयड के पृथ्वी से टकराने के कारण धरती से डायनासोरों समेत तीन चौथाई जीव-जंतु खत्‍म हो गए थे। अब एक नई रिसर्च में कहा गया है कि एस्‍टरॉयड के पृथ्‍वी से टकराने पर धूल का जो गुबार फैला, उसने पृथ्‍वी को लंबी सर्दियों में धकेल दिया। 

एक जीवाश्‍म स्‍थल (fossil site) पर मिले पार्टिकल्‍स को स्‍टडी करने के बाद वैज्ञानिकों ने यह बात कही है। इससे पहले भी एक थ्‍योरी में कहा गया था कि एस्‍टरॉयड की टक्‍कर से निकले सल्‍फर और जंगल की आग के धुएं ने आसमान को घेर लिया। इस वजह से पृथ्‍वी कई वर्षों के लिए अंधेरे में डूब गई।   

नई स्‍टडी नेचर जियोसाइंस जर्नल में पब्लिश हुई है। इसमें कहा गया है कि एस्‍टरॉयड की टक्‍कर से निकली महीन सिलिकेट की धूल कम से कम 15 साल तक हमारे में वायुमंडल में रही होगी और ग्‍लोबल टेंपरेचर 15 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया होगा। 

जिन पार्टिकल्‍स के हवाले से वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं, वो अमेरिका के नॉर्थ डकोटा में टैनिस जीवाश्म स्थल पर पाए गए थे। स्‍टडी के अनुसार धूल के जिन कणों ने पृथ्‍वी को घेरा, वह 0.8 से 8.0 माइक्रोमीटर्स के थे। रिसर्चर्स का कहना है कि 15 साल तक हमारे वायुमंडल में बने रहने के लिए धूल के ये कण बिलकुल परफेक्‍ट हैं। 

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि एस्‍टरॉयड के टकराने से पृथ्‍वी के वायुमंडल में जो तबाही आई, उसमें 75 फीसदी धूल थी। 24 फीसदी सल्‍फर था। उस धूल में एक फीसदी कालिख भी थी। अनुमान है कि उस धूल ने कम से कम एक साल तक पौधों में प्रकाश संश्‍लेषण (photosynthesis) की प्रक्रिया को बंद कर दिया होगा। इसने जीव-जंतुओं के लिए भोजन खत्‍म कर दिया। 
 
 

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