हम जिस सौर मंडल में रहते हैं, उसे सबसे यूनीक कहा जा सकता है। हमारी आकाशगंगा यानी मिल्की-वे (Milky Way) के इस छोटे से हिस्से में जीवन की मौजूदगी है। यहां पृथ्वी जैसा ग्रह है, जिस पर तमाम प्रजातियां जीवन देख रही हैं। यह जीवन सूर्य की वजह से मुमकिन है। क्या कभी आपने ऐसे सिस्टम के बारे में सोचा है, जहां एक नहीं दो सूर्य हों। खगोलविदों ने ऐसे ही एक सिस्टम की खोज कर ली है। हैरान करने वाली बात यह है कि वहां एक नहीं तीन सूर्य हैं और कभी इनकी संख्या 4 हुआ करती थी।
पहली बार खगोलविदों ने एक यूनीक सिस्टम की खोज की है, जिसे TIC 470710327 के रूप में जाना जाता है। इसमें दो बाइनरी तारे यानी ‘सूर्य' हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये दोनों एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं। लाइव साइंस ने अपनी
रिपोर्ट में बताया है कि एक बड़ा तारा इन दोनों की परिक्रमा भी करता है।
इस सिस्टम को सबसे पहले शौकिया खगोलविदों ने खोजा था। वह नासा की एक ऑब्जर्वेट्री से डेटा खंगाल रहे थे। उन्हें लगा कि यह कोई गलती है। उन्होंने खगोलविदों को जानकारी दी, जिन्होंने इसके एक ट्रिपल स्टार सिस्टम होने की बात कन्फर्म की।
इस सिस्टम से जुड़ी कई और जानकारियां चौंकाती हैं। दरअसल, जो 2 तारे एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं, वो यह काम महज 24 घंटों में पूरा कर लेते हैं। इन दोनों तारों का कुल द्रव्यमान हमारे सूर्य के द्रव्यमान का 12 गुना है।
कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी में नील्स बोहर इंस्टिट्यूट के एलेजांद्रो विग्ना-गोमेज ने कहा कि जहां तक हम जानते हैं, यह अपनी तरह का अबतक का पहला सिस्टम है। खास बात यह है कि इस ट्रिपल सिस्टम के तारे एक दूसरे के बेहद करीब हैं। यह एक कॉम्पैक्ट सिस्टम है। एलेजांद्रो के साथ इस रिसर्च में उनके चीनी सहयोगी भी शामिल हैं। दोनों इस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं कि दो तारों का यह सिस्टम और उनके साथ घूमने वाले तीसरे बड़े तारे का सिस्टम कैसे बना। रिसर्चर तीसरे तारे की मौजूदगी से ज्यादा हैरान हैं। इसका द्रव्यमान हमारे सूर्य के द्रव्यमान का 16 गुना है और यह हर साल 6 बार दोनों तारों के चारों ओर घूमता है। माना जा रहा है कि इस तीसरे तारे ने अपने चौथे साथी तारे को निगल लिया था।