भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 (
Chandrayaan-3) अपने अहम पड़ाव पर पहुंच गया है। 1 अगस्त की रात 12 बजे से 1 बजे के बीच भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की कक्षा में भेजने की प्लानिंग की है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान चंद्रयान के थ्रस्टर्स को शुरू किया जाएगा। इस प्रक्रिया में 28 से 31 मिनट का समय लग सकता है। चंद्रयान-3 के थ्रस्टर्स को तब शुरू किया जाएगा, जब चंद्रयान-3 पेरिगी (Perigee) पर होगा। यह पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की सबसे कम दूरी होती है।
अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद मिशन से जुड़ीं महत्वपूर्ण तारीखों की जानकारी दे दी थी। उन्होंने बताया था कि एक अगस्त को चंद्रयान को चांद की कक्षा में स्थापित किया जा सकता है। 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा।
जानकारी के अनुसार, चंद्रयान के थ्रस्टर्स को फायर करने से 5 से 6 घंटे पहले चंद्रयान का रूट बदलने की तैयारी शुरू हो जाएगी। सबकुठ ठीक रहा और चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया, तो मिशन की सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर किए जाने की योजना है।
गौरतलब है कि साल 2019 में चंद्रयान-2 मिशन का लैंडर चंद्रमा की सतह पर क्रैश हो गया था। उसके फौरन बाद भारत ने तीसरे मून मिशन की तैयारी शुरू कर दी थी। इसरो के वैज्ञानिक बीते कई महीनों से दिन-रात मिशन को सफल बनाने में जुटे हुए थे। चंद्रयान-3 की लैंडिंग में कोई परेशानी ना आए, इस बात का विशेष ध्यान इस बार रखा गया है। चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम भी विक्रम रखा गया है।
मिशन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे हर हाल में चांद पर लैंड कराया जा सके। 23 अगस्त को जब लैंडर ‘विक्रम' चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा और कोई परेशानी आई, तो उसे दूसरी जगह भी लैंड कराया जा सकता है। इस मिशन का मसकद सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंड कराना और वहां चहलकदमी की क्षमताओं को साबित करना है। अभी तक तीन देश- अमेरिका, सोवियत यूनियन और चीन चंद्रमा पर अपने मिशन लैंड करा पाए हैं।