सूरज की सतह पर बड़े बदलाव अब वैज्ञानिक रोज देख पा रहे हैं। आधुनिक स्पेस उपकरणों की मदद से अंतरिक्ष वैज्ञानिक हजारों सालों से आग उगल रहे सूरज को अब करीब से जानने लगे हैं। सूरज की सतह पर अब बड़े बड़े गड्ढे भी देखे जा रहे हैं। ये किसी घाटी के जैसे दिखते हैं जो कि बहुत गहरे हं। इनके बारे में कहा जा रहा है कि यह धरती के लिए अच्छा संकेत नहीं है और ये बड़े पैमाने पर धरती के जन-जीवन और तकनीकी पर असर डाल सकते हैं। इन्हें वैज्ञानिकों के कोरोनल होल का नाम दिया है। यानि कि सूरज को घेरे वातावरण की परत में हुए छेद या गड्ढे। वैज्ञानिकों ने इनको लेकर ताजा चेतावनी जारी की है।
सूरज की सतह पर लगातार सौर तूफान उठते रहते हैं। ये तूफान उर्जासहित कणों के गति करने से बनते हैं। अब सूरज में ये जो गड्ढे नजर आ रहे हैं, इनके बारे में वैज्ञानिकों ने कहा है कि इनमें से सूरज धरती की ओर सौर तूफान फेंक रहा है जिसकी गति लगभग 32 लाख किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है। स्पेस वेदर की
रिपोर्ट के अनुसार इन सौर तूफानों से पृथ्वी में पावर ग्रिड प्रभावित हो सकती हैं। यहां तक कि इनके प्रभाव से स्पेस क्राफ्ट भी धरती की सतह की ओर यानि कि निचले ऑर्बिट में धकेले जा सकते हैं।
सूरज में ये गड्ढे 28 नवंबर को देखे गए थे जो आने वाले कई दिनों तक धरती पर अपना प्रभाव डाल सकते हैं। इस बार खतरा इसलिए ज्यादा बताया गया है क्योंकि ये जियोमेग्नेटिक तूफान सीधे पृथ्वी की दिशा में उठे हैं। इसे 5 स्केल में से 1 की रेटिंग दी गई है। यानि कि यह तूफान G1 कैटिगरी का है। यह पृथ्वी के ऑर्बिट में तैर रहे सैटेलाइट्स के साथ ही धरती पर पावर ग्रिड फंक्शंस को भी नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इनमें चार्ज्ड पार्टिकल होते हैं जो धरती के मेग्नेटिक फील्ड, जो कि नॉर्थ पोल और साउथ पोल के बीच फैला है, से टकराते हैं और सैटेलाइट कम्यूनिकेशन में समस्याएँ पैदा कर सकते हैं।
कई बार आसमान में रंगों के जो अद्भुत नजारे देखने को मिलते हैं, उनका कारण भी ये
सौर तूफान ही होते हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि ये वायुमंडल में मौजूद गैसों के साथ टकराते हैं जिससे आसमान में कई बार रंग-बिरंगी रोशनी छा जाती है। इसमें ऑक्सीजन गैस हरा और लाल रंग पैदा करती है, जबकि नाइट्रोजन गैस नीला और बैंगनी रंग पैदा करती है। मौजूदा समय में सूरज से निकलने वाले इन सौर तूफानों की 11वीं साइकिल चल रही है। इस दौरान में सूरज पर इस तरह की गतिविधियां बहुत अधिक बढ़ जाती हैं जो कि हर 11 साल में एक बार होता है। इसलिए वैज्ञानिकों ने चेताया है कि हाल ही में जो सौर तूफान उठा है वह काफी शक्तिशाली है और आने वाले कई दिनों तक पृथ्वी पर अपना प्रभाव डाल सकता है।
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