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'एलियन लाइफ' की मौजूदगी का नया ठिकाना! पृथ्वी के बाहर यहां है जीवन? आई नई स्टडी

पृथ्वी के बाहर जीवन की संभावनाओं के बारे में एक और नई खोज वैज्ञानिकों के हाथ लगी है।

'एलियन लाइफ' की मौजूदगी का नया ठिकाना! पृथ्वी के बाहर यहां है जीवन? आई नई स्टडी

Photo Credit: NASA

वैज्ञानिकों का कहना है कि व्हाइट ड्वार्फ के चारों तरफ घूमने वाले ग्रहों पर जीवन की संभावनाएं हो सकती हैं।

ख़ास बातें
  • व्हाइट ड्वार्फ के चारों तरफ घूमने वाले ग्रहों पर जीवन की संभावनाएं
  • शोधकर्ताओं ने इसके लिए एक मॉडल तैयार किया
  • होती है प्रकाश संश्लेषण और यूवी-संचालित जीवोत्पत्ति के लिए पर्याप्त ऊर्जा
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पृथ्वी से बाहर जीवन की संभावनाएं तलाशने में वैज्ञानिक जी-जान लगा रहे हैं। सौरमंडल के बाहर कई ऐसे ग्रह खोजे जा चुके हैं जिन पर जीवन के जरूरी तत्व मौजूद हैं लेकिन अभी तक जीता-जागता जीवन किसी अन्य ग्रह पर नहीं मिला है। इसी कड़ी में एक और नई खोज वैज्ञानिकों के हाथ लगी है। पृथ्वी के बाहर जीवन की संभावना वाले ग्रहों में वे ग्रह भी शामिल हैं जो बौने सफेद तारों (White Dwarfs) के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं। ये ऐसे तारे होते हैं जो अपनी अधिकतम ऊर्जा खर्च कर चुके होते हैं और इनमें बहुत थोड़ी ऊर्जा बची होती है। ये छोटे होकर पृथ्वी के आकार के रह जाते हैं और इनका घनत्व बहुत ज्यादा होता है। लेकिन इनके ग्रह जीवन को पनाह दे सकते हैं। 

अब वैज्ञानिकों का कहना है कि व्हाइट ड्वार्फ (बुझते हुए तारे) के चारों तरफ घूमने वाले ग्रहों पर जीवन की संभावनाएं हो सकती हैं। हालांकि ये तारकीय अवशेष (व्हाइट ड्वार्फ) अब अपनी कोई ऊर्जा पैदा नहीं कर पाते हैं लेकिन फिर भी इनके तेजी से सिकुड़ते, रहने योग्य क्षेत्र इतना समय दे सकते हैं जिसमें कि कोई जैविक प्रक्रिया आरंभ हो सके। इस नई स्टडी से उस पुराने अनुमान को चुनौती मिलती है जो कहता है कि ऐसे सिस्टम में मौजूद ग्रहों के तेजी से बदलने वाले तापमान की वजह से ये जैविक प्रक्रियाओं को पनाह नहीं दे सकते। 

शोधकर्ताओं ने इसके लिए एक मॉडल तैयार किया है जो दो बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं, प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) और पराबैंगनी (UV)-चालित जीवोत्पत्ति के बारे में बात करता है। यानी मॉडल यह दिखाता है कि ये दो प्रक्रियाएं व्हाइट ड्वार्फ के जोन में हो सकती हैं या नहीं। यह संकेत देता है कि इन तारों के आसपास अरबों वर्षों तक जीवन मौजूद रह सकता है।

The Astrophysical Journal Letters में स्टडी को प्रकाशित किया गया है। फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्टडी के प्रमुख लेखक काल्डन व्हाइट के नेतृत्व में टीम ने पता लगाया कि पृथ्वी जैसा कोई ग्रह किसी व्हाइट ड्वार्फ के तेजी से सिकुड़ते वातावरण में जीवन सहायक परिस्थितियां कब तक बनाए रख सकता है। 

व्हाइट ड्वार्फ तब बनते हैं जब सूर्य जैसे तारे अपना नाभिकीय ईंधन (nuclear fuel) खत्म कर चुके होते हैं और और घने अवशेषों में बदल जाते हैं। इसके बाद ये धीरे-धीरे ठंडा होने की प्रक्रिया से गुजरते हैं। जिसका परिणाम होता है कि इनके रहने योग्य क्षेत्र भीतर की तरफ शिफ्ट होने लगते हैं। इससे किसी ग्रह के पास एक सीमित समय रह जाता है जिसमें कि उस ग्रह पर पानी अस्तित्व में रह सके। यानी ग्रह बहुत थोड़े समय तक पानी जैसे जीवनदायी तत्व को संजोकर रख सकता है। 

7 अरब वर्षों की अवधि में एक व्हाइट ड्वार्फ की परिक्रमा करने वाले ग्रह का अनुकरण वैज्ञानिकों ने करके देखा। इस स्टडी ने इस दौरान प्रकाश संश्लेषण और यूवी-संचालित जीवोत्पत्ति के लिए उपलब्ध ऊर्जा का आकलन किया। रिजल्ट आया कि रहने योग्य क्षेत्र के सीमित होने के बावजूद, दोनों प्रक्रियाओं के काम करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा उस व्हाइट ड्वार्फ से प्राप्त हुई। इसलिए पृथ्वी से बाहर जीवन की खोज करते समय व्हाइट ड्वार्फ को अब नकारा नहीं जा सकता। 
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