वैसे तो पानी का कोई रंग नहीं होता, लेकिन जब हम किसी झील को देखते हैं, तो अमूमन उसका पानी हरा या नीला दिखाई देता है। अगर आप कभी नैनीताल गए होंगे, तो नैनीझील का भी कोई रंग जरूर नोटिस किया होगा। अफ्रीकी महाद्वीप के देश इथियोपिया (Ethiopia) में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है, लेकिन अलग अंदाज में। यहां तीन झीलों की ‘तिकड़ी' के पानी का रंग एक-दूसरे से बिलकुल अलग है। हाल ही में Nasa (नासा) की एक सैटेलाइट इमेज में तीनों झीलों को एकसाथ दिखाया गया है। तस्वीरों में एक झील हरे रंग, एक गहरे नीले रंग की और एक झील पीले रंग की दिखाई देती है। ऐसा लगता है जैसे इनके पानी में किसी ने रंग घोल दिया हो।
इन झीलों के नाम हैं- शाला झील (Lake Shala), अबिजट्टा झील (Lake Abijatta) और लैंगानो झील (Lake Langano)। शाला झील का पानी गहरे नीले का दिखाई देता है। अबिजट्टा झील हरे रंग में नजर आती है, जबकि लैंगानो झील का रंग पीला है। लाइव साइंस की
रिपोर्ट के अनुसार, ये झीलें इथियोपिया की ग्रेट रिफ्ट वैली में स्थित हैं, जो राजधानी अदीस अबाबा से लगभग 200 किलोमीटर दक्षिण में है।
इन झीलों को तस्वीरों में कैद किया है लैंडसैट 8 सैटेलाइट ने। यह नासा और यूएस जियोलॉजिकल सर्वे का सैटेलाइट है। सैटेलाइट ने अपने लैंड इमेजर का इस्तेमाल करके कई महीने पहले यह तस्वीर ली थी। इन्हें 7 अक्टूबर को ऑनलाइन रिलीज किया गया।
बात करें इन अफ्रीकी झीलों की, तो शाला झील लगभग 12 किमी लंबी और 28 किमी चौड़ी है। यह तीन झीलों में सबसे गहरी है, जिसकी अधिकतम गहराई 266 मीटर है। आसमान से देखने पर इसका रंग गहरा नीला रंग दिखाई देता है। बताया जाता है कि झील के तल पर कई छिद्र हैं जो सल्फर को पानी में पंप करते हैं। इस वजह से यह झील बहुत ज्यादा क्षारीय (alkaline) है, यानी इसका पीएच बहुत अधिक है। रिपोर्टों के अनुसार, विषम परिस्थितियों के बावजूद इस झील में छोटे क्रस्टेशियंस और सूक्ष्मजीवों की मौजूदगी है।
अबिजट्टा झील लगभग 17 किमी लंबी और 15 किमी चौड़ी है। यह तीन झीलों में सबसे उथली है, जिसकी अधिकतम गहराई 14 मीटर है। इसके आकार में बहुत ज्यादा बदलाव होता है। पिछले 50 साल में इस झील ने अपने क्षेत्र का लगभग एक तिहाई हिस्सा खो दिया है। माना जाता है कि अबिजट्टा झील का हरा रंग इसकी सतह पर फाइटोप्लांकटन (phytoplankton) के कारण होता है।
वहीं, लैंगानो झील लगभग 18 किमी लंबी और 16 किमी चौड़ी है। झील का पीला रंग इसके भूरे रंग के तलछट से बनता है। यह पर्यटकों के बीच काफी पॉपुलर है। यह इस क्षेत्र की इकलौती झील है जिसमें परजीवी कीड़े नहीं होते।
कहा जाता है कि ये तीनों झीलें कभी एक ही पानी का हिस्सा थीं, जिसे लेक गैला (Lake Galla) के नाम से जाना जाता था। लगभग 10,000 साल पहले टेक्टोनिक प्लेट की स्पीड और बारिश के पैटर्न में बदलाव के कारण गैला झील सूखने लगी। करीब 2,000 साल पहले वह झील कई हिस्सों में टूट गई और बाद में तीन झीलें बन गईं।