अगर आप ये सोचते हैं कि अपने वेब-ब्राउज़र पर इनकॉगनिटो मोड में स्विच करने या प्रॉक्सिमिटी टूल का इस्तेमाल करके आप अपनी पहचान को छिपा सकते हैं, तो आप बहुत बड़ी गलतफ़हमी में हैं। एक नए शोध से पता चला है कि डिवाइस की बैटरी भी हमारे बारे में ढेरों जानकारियां सार्वजनिक कर देती है।
सिक्योरिटी रिसर्चर की एक टीम ने 'द लीकिंग बैटरी' नाम का एक पेपर प्रकाशित किया है जिसमें डिवाइस की बैटरी द्वारा हमारे बारे में सार्वजनिक की जा रही जानकारियों के बारे में चर्चा है। रिसर्च करने वालों ने बताया है कि यह किसी मालवेयर के कारण नहीं हो रहा, बल्कि इसके पीछे World Wide Web के लिए इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी HTML5 का हाथ है।
HTML5 का बैटरी API किसी वेबसाइट को विज़िटर के डिवाइस में बची हुई बैटरी के बारे में जानकारी देता है। दरअसल, इस फीचर का मकसद वेब पब्लिशर को विज़िटर के डिवाइस के बारे में जानकरी देना है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी डिवाइस में ज्यादा बैटरी नहीं बची तो ऐसी स्थिति वेब पब्लिशर अपने वेबसाइट का कम एनर्जी कंज्यूम करने वाला वर्ज़न विजिटर को ऑफर कर सकता है।
लेकिन इस दौरान डिवाइस में कितनी बैटरी लाइफ बची है, उसे पूरी तरह से डिस्चार्ज होने में कितना वक्त लगेगा और मौजूदा चार्ज लेवल जैसी जानकारियां इस फीचर के कारण शेयर हो जाती हैं। हम जितने ज्यादा वेबसाइट को ब्राउज करते हैं, जानकारी उतनी ही ज्यादा वेबसाइट को मिलती जाती है। ऐसे में हमारे बारे में इन सारी जानकारियों को एक जगह एकत्रित करना संभव हो जाता है और हमारी पहचान के सार्वजनिक होने का ख़तरा भी बढ़ जाता है।
स्टडी में लिखा गया है, "कई वेबसाइट पर एक थर्ड-पार्टी स्क्रिप्ट मौजूद है जो किसी सीमित समयसीमा के अंदर यूजर के हर विजिट को लिंक कर सकता है। यह वेब स्क्रिप्ट को बैटरी के बारे में मिली जानकारी से संभव हो पाता है।"
इसमें आगे लिखा गया है, "हर साइट पर रीडिंग एक समान होंगे क्योंकि अपडेट इंटरवल भी एक जैसे हैं। इस तरह से थर्ड पार्टी स्क्रिप्ट के पास आपके सभी विजिट का ब्योरा जमा होता जाता है। इसके अलावा अगर आप इन साइट से बाहर भी निकल जाते हैं, लेकिन कुछ देर बाद किसी और साइट को विजिट करते हैं जहां पर यही थर्ड-पार्टी स्क्रिप्ट मौजूद है। ऐसे में संभव है कि इन रीडिंग का इस्तेमाल मौजूदा विजिट को पुराने वाले से लिंक करने के लिए किया जाए।"
रिसर्च करने वालों ने बताया है कि जून 2015 में Firefox, Chrome और Opera जैसे वेब-ब्राउजर पर Battery Status API के लिए सपोर्ट मौजूद था। रिसर्चर्स का कहना है कि यूज़र ज्यादा प्राइवेसी और सिक्योरिटी के लिए Firefox पर बेस्ड ब्राउज़र Tor का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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