आप जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं। नई-नई बीमारियां सामने आ रही हैं। मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स द्वारा जारी आंकड़ों के जरिए आप अपने शहर की एयर क्वालिटी का हाल जान लीजिए। यकीन मानिए, स्थिति चिंताजनक है। आज की तारीख में दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है। दिल्ली में हर साल 3,000 लोग वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले मौत का शिकार हो जाते हैं।
पूर्वी दिल्ली के ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. मुकेश तिवारी ने हमें बताया कि सांस की समस्या वाले मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और पिछले एक साल में इसमें ज्यादा तेजी आई है।
डॉ. तिवारी ने बताया कि उनकी क्लिनिक के वेटिंग रूम में बैठा हर दूसरा शख्स प्रदूषण के कारण होने वाले परेशानियों का शिकार है। वे अपने मरीजों को दिल्ली छोड़ने का सुझाव देते हैं। हालांकि डॉ। तिवारी भी खुद मानते हैं कि इस सुझाव को अमल में लाना इतना भी आसान नहीं। उनके मुताबिक सफर करते वक्त मुंह को ढक लेने से बहुत हद तक बीमारियों से बचा जा सकता है। पर यह बचाव का एकमात्र उपाय है।
वैसे पॉल्यूशन मास्क के जरिए भी खुद को जहरीली हवाओं से बचाया जा सकता है। गूगल का पॉल्यूशन मास्क हो या फिर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर और भी कई मास्क के ऑप्शन उपलब्ध हैं। यहां पर सस्ते से महंगे मास्क मिल जाते हैं, जैसे 250 रुपये में 50 मास्क या फिर 300 रुपये का एक मास्क।
डॉ. तिवारी का सुझाव है, ''आपको महंगा मास्क खरीदने की जरूरत नहीं है। ऐसा मास्क लें जिसमें कार्बन फिल्टर हो।''
एयर-प्यूरिफायर खरीदने के बारे में सोचेंअक्सर हम और आप प्रदूषण से बचने के लिए सफर के दौरान मास्क तो पहन लेते हैं पर घर पर ऐसा नहीं करते। और 24 घंटे मास्क पहने रहना संभव भी नहीं। लेकिन हकीकत तो यह भी है कि आपके घर की हवा और बाहर की हवा में कोई फर्क नहीं है। वर्ल्ड हेल्थ ऑरगनाइजेशन के मुताबिक सूखते हुए पेड़, सामानों की सफाई से निकलने वाली गंदगी और एयर कंडिशनर व फ्रिज से निकलने वाली गैस के कारण इंडोर एयर पोल्यूशन चिंता का विषय बन गया है। ऐसे में घर के लिए एयर प्यूरिफायर खरीदना एक अच्छा सुझाव हो सकता है।
एयर प्यूरिफायर्स बहुत हद तक वाटर प्यूरिफायर्स जैसा काम करते हैं। इनमें पंखे लगे होते हैं जिसके जरिए वे हवा खींचते है और उसे साफ करके रूम में फिर से सर्कुलेट कर देते हैं। हवा खींचने से लेकर हवा रिलीज करने के बीच प्यूरिफायर्स कई फिल्टरों के जरिए हवा से हानिकारक डस्ट और सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर हटा देते हैं। महंगे एयर प्यूरिफायर्स में तो HEPA फिल्टर होते हैं जो हवा से बैक्टीरिया और वायरस हटाने का भी काम करते हैं।
Kent और Bionaire जैसे ब्रांड के सस्ते वाले एयर प्यूरिफायर्स की कीमत 3,000 से 5,000 रुपये के बीच है। इन प्यूरिफायर्स में HEPA तो नहीं, पर उसके जैसे ही फिल्टर का इस्तेमाल होता है, आपको बता दें कि HEPA का स्टेडंर्ड अमेरिकी सरकार ने तय किया है।
आप Philips का 30 वाट का एयर प्यूरिफायर मात्र 14,000 रुपये में ऑनलाइन खरीद सकते हैं। अन्य ब्रांड्स में भी ऐसे ऑफर मिल सकते हैं। महंगे प्यूरिफायर्स की बात करें तो Blue Air ब्रांड का प्रोडक्ट के लिए आपको 50,000 रुपये खर्चने होंगे और यह 240 स्क्वायर फुट एरिया के कमरे की हवा को प्यूरिफाई कर सकता है।
वाटर प्यूरिफायर Aquaguard प्रोडक्ट के लिए मशहूर Eureka Forbes ब्रांड का Breathe Fresh नाम का एयर प्यूरिफायर ऑनलाइन मार्केट में मौजूद है और इसकी कीमत सिर्फ है 15,000 रुपये। 45 वाट के इस प्यूरिफायर को आप अपने घर की दीवार पर भी लगवा सकते हैं और इसमें HEPA फिल्टर भी है। रिटेल दुकानों पर आप Sharp ब्रांड के प्यूरिफायर्स 17,000 रुपये तक में खरीद सकते हैं।
प्यूरिफायर खरीदते वक्त कुछ बातों का खास ध्यान रखें। क्या प्यूरिफायर्स में HEPA फिल्टर है या नहीं और आपके कमरे की साइज क्या है। अगर आपका कमरा छोटा है तो बहुत ज्यादा पावरफुल प्यूरिफायर खरीदने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह बिजली बिल बढ़ाने का काम करेगा। इसके अलावा प्यूरिफायर में कितने फिल्टर हैं, जितने ज्यादा हों उतना ही बेहतर। आखिर में सबसे अहम बात यह कि फिल्टर को बदलने में क्या लागत आएगी। क्योंकि बात आपके बजट की भी है।
और क्या कर सकते हैं आप?एक तरह से एयर प्यूरिफायर्स थोड़ा महंगा सौदा है। अगर आप खरीद भी लेते हैं तो यह सिर्फ एक कमरे में काम में आएगा। Aeroguard ब्रांड भी हमारे इस विचार से सहमति रखता है और कंपनी के एक प्रवक्ता ने हमें बताया कि मार्केट में एक लाइट बल्ब है जिसके जरिए आप अपने कमरे की हवा की सफाई कर सकते हैं।
Clean Air Glo नाम के इस प्रोडक्ट की कीमत 1,400 रुपये है। 5 वाट का यह LED बल्ब 10 फुट लंबे और 10 फुट चौड़े कमरे की हवा को प्यूरिफाई कर सकता है। ऐसा दावा Eureka Forbes कंपनी ने किया है।
कंपनी के प्रवक्ता ने इस बल्ब के काम करने के स्टाइल के बारे में बताया। उन्होंने बताया, ''यह हवा में निगेटिव इयॉन्स छोड़ता है। ये इयॉन्स हवा में जाकर डस्ट पार्टिकल को नेगेटिव चार्ज देते हैं। और ये नेगेटिव चार्ज डस्ट पार्टिकल्स पॉजिटिव चार्ज वाली दीवार या फिर टीवी स्क्रीन की ओर खींचे चले जाते हैं। वैसे आपको बता दें कि यह कोई नई तकनीक नहीं है, दशक पहले अस्पतालों में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता था।"
हालांकि, इस तकनीक की कुछ खामियां भी हैं। जहां एयर प्यूरिफायर से गंदगी हवा से निकलकर डिवाइस के फिल्टर में जमा हो जाती है, वहीं इयॉन प्यूरिफायर में डस्ट कमरे में ही बरकरार रहता है। और यह प्यूरिफायर की तरह कारगर भी नहीं है क्योंकि में इसमें हवा को बदलने के लिए पंखे नहीं लगे होते। हालांकि, Eureka Forbes के प्रवक्ता का कहना है कि कमियों के बावजूद यह प्रोडक्ट बहुत हद तक प्रभावी है।