अमेरिकी डिवाइसेज मेकर Apple के iPhone की बड़ी संख्या में बिक्री होती है। दुनिया भर में एपल के AirPods Mac, iPad और स्मार्टवॉच को भी काफी पसंद किया जाता है। इन डिवाइसेज के करोड़ों यूजर्स हैं। एपल ने इन प्रोडक्ट्स के लिए नॉन-सर्टिफाइड चार्जर्स और केबल्स का इस्तेमाल करने को लेकर चेतावनी दी है।
एक मीडिया
रिपोर्ट में कंपनी के एक सपोर्ट डॉक्यूमेंट के हवाले से बताया गया है कि एपल ने कस्टमर्स को अन्य ब्रांड्स के चार्जर और केबल्स इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है। एपल का कहना है कि अन्य ब्रांड्स के चार्जर और केबल्स का इस्तेमाल करने से धीमी चार्जिंग और बैटरी को नुकसान होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। टेक एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि गलत एक्सेसरी का इस्तेमाल करने पर इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी और दुर्घटनाएं होने की आशंका रहती है। एपल ने कहा है कि कस्टमर्स को कंपनी की ओर से मैन्युफैक्चर्ज चार्जर्स या एपल के लिए बनाए सर्टिफिकेशन वाले चार्जर्स का इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि, यह सर्टिफिकेशन कोई गारंटी नहीं देता।
भारत की यूरोपियन यूनियन (EU) के समान आईफोन के लिए यूनिवर्सल चार्जिंग पोर्ट के रूल को लागू करने की योजना के बारे में हाल ही ही में एपल ने केंद्र सरकार के सामने विरोध दर्ज कराया है। कंपनी ने सरकार से कहा है कि अगर देश में EU के समान मौजूदा iPhones के लिए यूनिवर्सल चार्जिंग पोर्ट का रूल लागू किया जाता है तो उसके प्रोडक्शन के टारगेट पर असर पड़ेगा। देश में स्मार्टफोन्स के लिए USB-C चार्जिंग पोर्ट अनिवार्य करने के रूल को लागू करने की तैयारी की जा रही है।
Reuters की रिपोर्ट में सरकार के एक दस्तावेज के हवाले से बताया गया था कि
एपल इस रूल में छूट या इसे टालने के लिए लॉबीइंग कर रही है। EU में यह रूल लागू होने के छह महीने बाद जून 2025 में सरकार इसे देश में अनिवार्य करना चाहती है। Samsung सहित लगभग सभी स्मार्टफोन मेकर्स ने इसके लिए सहमति दी है। हालांकि, एपल इसके पक्ष में नहीं है। आईफोन्स में वर्षों से एक अलग लाइटनिंग कनेक्टर पोर्ट का इस्तेमाल होता है। EU का अनुमान है कि सिंगल चार्जिंग सॉल्यूशन से कस्टमर्स के लगभग 27.1 करोड़ डॉलर की बचत होगी। भारत में इससे इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को घटाने में आसानी होगी और आईफोन इस्तेमाल करने वालों को सुविधा मिलेगी।
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