Google I/O 2018: एंड्रॉयड पी बीटा में हैं ये नए फीचर

Google ने अपने वार्षिक कॉन्फ्रेंस I/O 2018 में एंड्रॉयड पी बीटा (ऊर्फ एंड्रॉयड पी डेवलपर प्रिव्यू 2) से पर्दा उठाया।

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गैजेट्स 360 स्टाफ, अपडेटेड: 9 मई 2018 12:53 IST
ख़ास बातें
  • Android P Beta (Android P DP2) के अहम फीचर में से एक है एडेप्टिव बैटरी
  • Android P का एक और फीचर है, एडेप्टिव ब्राइटनेस
  • गूगल ने ऐप एक्शन्स को एंड्रॉयड पी बीटा का हिस्सा बनाया है

Google I/O 2018 में एंड्रॉयड पी के कई फीचर से उठा पर्दा

Google ने अपने वार्षिक कॉन्फ्रेंस I/O 2018 में एंड्रॉयड पी बीटा (ऊर्फ एंड्रॉयड पी डेवलपर प्रिव्यू 2) से पर्दा उठाया। यह बिल्ड अब गूगल पिक्सल डिवाइस के अलावा उन डिवाइस के लिए उपलब्ध है जिसमें कंपनियों ने प्रोजेक्ट ट्रेबल को इंप्लिमेंट किया है। इनमें Essential PH-1, Nokia 7 Plus, OnePlus 6, Oppo R15 Pro, Sony Xperia XZ2, Vivo X21, Vivo X21 UD और Xiaomi Mi Mix 2S शामिल हैं। इन डिवाइस को इस्तेमाल करने वाले यूज़र को Android Beta प्रोग्राम के लिए इनरोल करना होगा। इसके बाद यूज़र को करीब 24 घंटे में ओटीए के ज़रिए बिल्ड मिल जाएगा। Google I/O 2018 में इस टेक कंपनी ने लेटेस्ट डेवलपर प्रिव्यू 2 के ज़रिए जारी एंड्रॉयड पी के कई फीचर के बारे में जानकारी दी। बता दें कि इन फीचर के बारे में मार्च में जारी किए गए डेवलपर प्रिव्यू 1 में कोई जानकारी नहीं दी गई थी।

Android P Beta (Android P DP2) के अहम फीचर में से एक है एडेप्टिव बैटरी। यह यूज़र को ज्यादा कंसिस्टेंट बैटरी एक्सपीरियंस देगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑन-डिवाइस मशीन लर्निंग की मदद से नया एंड्रॉयड पी फीचर यूज़ेज पैटर्न को एडेप्ट करके बैटरी को यूज़र द्वारा सबसे ज़्यादा इस्तेमाल करने वाले ऐप और सर्विस के लिए प्रायरटाइज़ करेगा। इन्हें ‘एक्टिव, फ्रीक्वेंट, रेयर और वर्किंग सेट’ कैटेगरी में बांटा जाएगा। इसके बाद बैटरी को प्रायरटाइज़ किया जाएगा। कंपनी का कहना है कि इसकी मदद से यूज़र आम इस्तेमाल में अपने एंड्रॉयड डिवाइस से ज़्यादा बेहतर परफॉर्मेंस पा सकेंगे।
 

Android P का एक और फीचर है, एडेप्टिव ब्राइटनेस। गूगल का कहना है कि ऑटोमैटिक ब्राइटनेस लंबे समय से एंड्रॉयड पर उपलब्ध रहा है। यह फीचर एंबियंट लाइटनिंग परिस्थितियों के आधार पर ब्राइटनेस नियंत्रित करता है। लेकिन कई यूज़र इसके बाद भी ब्राइटनेस स्तर में बदलाव करना पसंद करते हैं। ऐसा करने से यह फीचर किसी काम का नहीं रह जाता। इसलिए एडेप्टिव ब्राइटनेस मशीन लर्निंग को इस्तेमाल में लाएगा। ऐसा करके डिवाइस एंबियंट लाइटनिंग परिस्थितियों के साथ यूज़र की पसंद और अन्य कारकों को ध्यान में रखकर ज्यादा बेहतर ब्राइटनेस प्रदान करेगा। इस तरह से यूज़र को खुद ब्राइटनेस लेवल में बदलाव करने से छुटकारा मिल जाएगा।

गूगल ने ऐप एक्शन्स को एंड्रॉयड पी बीटा का हिस्सा बनाया है। अब फोन यूज़र को किसी एक्शन के लिए ऐप का सुझाव देगा। उदाहरण के तौर पर, "अगर कोई यूज़र अपने हेडफोन को डिवाइस से कनेक्ट करता है तो एंड्रॉयड अपने आप ही यूज़र को उसके पसंदीदा स्पॉटीफाई प्लेलिस्ट को फिर से प्ले करने का सुझाव देगा।" Google का कहना है कि एक्शन्स एंड्रॉयड के अलग-अलग इंटरफेस में भी काम करेगा, जैसे- लॉन्चर, स्मार्ट टेक्स्ट सेलेक्शन, प्ले स्टोर, गूगल सर्च ऐप और असिस्टेंट।
 

ऐप एक्शन्स का हिस्सा है स्लाइसेज़। यह किसी ऐप के खास हिस्से को एक्टिव करने का सुझाव देगा, जब यूज़र को उसकी ज़रूरत होगी। App Actions और Slices को अगले महीने तक डेवलपर्स के लिए एक्टिव किया जाएगा।
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Google का नया ML Kit
कंपनी ने नए एमएल किट को भी पेश किया है। यह किट स्लाइसेज़ को इंटिग्रेट करने में मदद करेगा ही, साथ में टेक्स्ट रिकग्निशन, फेस डिटेक्शन और इमेज लेबलिंग जैसे काम के लिए डेवलपर्स को ऑन-डिवाइस एपीआई प्रदान करेगा।
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Android P Beta में कंपनी की ओर से ऑपरेटिंग सिस्टम को ज़्यादा आसान बनाने की कोशिश की गई है। इनमें नेविगेशन भी शामिल है। अब एक नया गेस्चर होगा। यूज़र होम बटन पर ऊपर की तरफ स्वाइप करके नए डिज़ाइन वाले ओवरव्यू पेज को ला पाएंगे। इसमें यूज़र हाल ही इस्तेमाल किए गए ऐप का फुल-स्क्रीन प्रिव्यू देख पाएंगे। नेविगेशन में नया है, फिर से डिजाइन किया गया क्विक सेटिंग्स फीचर। अब स्क्रीनशॉट लेना आसान होगा। नोटिफिकेशन और वॉल्यूम नियंत्रण पहले से और आसान होगा।
 
Android P Beta का लक्ष्य यूज़र की डिजिटल सेहत का ख्याल रखना है। यह फीचर यूज़र को एंड्रॉयड डिवाइस पर बहुत ज्यादा समय बिताने से रोकेगा। ऐसा करने के लिए डैशबोर्ड फीचर लाया गया है। इसमें यूज़र से संबंधित कई आंकड़ें मौज़ूद होंगे, जैसे कि वे डिवाइस पर कितना समय बिता रहे हैं? किसी खास ऐप पर कितना समय जा रहा है? फोन को कितनी बार अनलॉक किया? कितने नोटिफिकेशन मिले हैं?
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Android P Beta का डैशबोर्ड फीचर
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डिजिटल वेलबीइंग के लिए कंपनी ने ऐप टाइमर नाम का फीचर भी पेश किया है। इसकी मदद से यूज़र किसी खास ऐप पर बिताए जाने वाले समय को भी निर्धारित कर सकते हैं। अगर यूज़र उस ऐप को इस्तेमाल करने की लिमिट को छू देंगे तो ऐप आइकन का रंग बदल जाएगा। डू नॉट डिस्टर्ब मोड अब पहले की तुलना में और एडवांस हो जाएगा। अब सिर्फ फोन कॉल और नोटिफिकेशन साइलेंट नहीं होंगे। अब स्क्रीन स्क्रीन पर कोई पॉप अप भी नहीं आएगा। इस फीचर के लिए शॉर्टकट को फोन की स्क्रीन पर टेबल की सतह की तरफ रखकर एक्टिव किया जा सकेगा। एक और फीचर है विंड डाउन। इसमें यूज़र बेडटाइम निर्धारित कर सकते हैं। समय होते ही नाइट मोड ऑन जाएगा। डू नॉट डिस्टर्ब एक्टिव हो जाएगा।

Google ने यह भी कहा है कि एंड्रॉयड पी को आने वाले समय में और भी नए फीचर मिलेंगे। जो सक्योरिटी और प्राइवेसी से संबंधित होंगे।

 
 

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