हैकर्स का निशाना बना तमिलनाडु के मंत्री का Twitter एकाउंट

पिछले कुछ महीनों में बहुत से राजनेताओं और सरकारी एजेंसियों के सोशल मीडिया एकाउंट्स को हैकर्स ने निशाना बनाया है

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Written by डेविड डेलिमा, Edited by आकाश आनंद, अपडेटेड: 5 सितंबर 2022 16:18 IST
ख़ास बातें
  • ट्विटर की मदद से Senthil ने अपने एकाउंट पर दोबारा कंट्रोल हासिल कर लिया
  • हैकर्स ने इससे क्रिप्टोकरेंसीज के प्रचार वाले ट्वीट किए थे
  • Twitter पर स्कैमर्स क्रिप्टो में ट्रेडिंग करने वालों से ठगी कर रहे हैं

पिछले वर्ष के अंत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ट्विटर एकाउंट भी हैक हुआ था

तमिलनाडु के मंत्री V Senthil के ट्विटर एकाउंट पर हैकर्स ने रविवार को कब्जा कर लिया था। इस एकाउंट की प्रोफाइल पिक्चर बदलने के बाद हैकर्स ने इससे क्रिप्टोकरेंसीज के प्रचार वाले ट्वीट किए थे। हालांकि, इसके कुछ घंटे बाद ट्विटर की मदद से Senthil ने अपने एकाउंट पर दोबारा कंट्रोल हासिल कर लिया।

पिछले कुछ महीनों में बहुत से राजनेताओं और सरकारी एजेंसियों के सोशल मीडिया एकाउंट्स को हैकर्स ने निशाना बनाया है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि Senthil के एकाउंट में सेंध लगाने का कारण मैलवेयर था। Senthil के दो लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं। ट्विटर की ओर से पासवर्ड रीसेट ईमेल भेजने के बाद वह अपने एकाउंट का एक्सेस दोबारा हासिल कर सके थे। इससे पहले अप्रैल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ट्विटर एकाउंट हैक कर कई ट्वीट किए गए थे। इस वर्ष की शुरुआत में नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स के ट्विटर हैंडल में सेंध लगी थी। पिछले वर्ष के अंत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ट्विटर एकाउंट भी हैक हुआ था। हैकर्स ने इससे Bitcoin से जुड़ा ट्वीट किया था। 

Twitter पर स्कैमर्स बड़ी संख्या में क्रिप्टोकरेंसीज में ट्रेडिंग करने वालों को निशाना बना रहे हैं। स्कैमर्स शिकार को फंसाने के लिए नकली वेबसाइट्स, हैक्ड एकाउंट्स का इस्तेमाल कर जाली प्रोजेक्ट्स और एयरड्रॉप्स के लालच दे रहे हैं। कुछ मामलों में ऐसे क्रिप्टो इनवेस्टर्स को भी निशाना बनाया गया है जो फिशिंग स्कैम्स या प्रोटोकॉल हैक्स में नुकसान उठा चुके हैं और उन्होंने इस बारे में ट्विटर पर जानकारी साझा की थी।

पहले से स्कैम का शिकार बन चुके लोगों की मदद का दिखावा कर स्कैमर्स उन्हें दोबारा ठगने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए वे ब्लॉकचेन डिवेलपर्स होने का दावा करते हैं और चोरी हुए फंड्स की रिकवरी के लिए स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का इस्तेमाल करने की फीस मांगते हैं। फीस मिलने के बाद वे गायब हो जाते हैं। एक सायबर सिक्योरिटी एनालिस्ट ने बताया कि स्कैमर्स वास्तविक साइट्स के URL को नकली साइट के URL से बदल देते हैं। इसके बाद किसी व्यक्ति के नकली वेबसाइट में जाने पर उनकी डिटेल लेकर क्रिप्टोकरेंसीज चुरा ली जाती है। इसके अलावा स्कैमर्स ट्विटर पर मैसेज कर भी शिकार को फंसाने की कोशिश करते हैं। 
 

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