Toyota को भारी पड़ रही सेमीकंडक्टर की शॉर्टेज, घटाना होगा प्रोडक्शन

कंपनी ने बताया कि वह अगले महीने लगभग 8 लाख व्हीकल्स बनाएगी, जो उसके औसत मासिक प्रोडक्शन से लगभग एक लाख यूनिट कम है

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 23 सितंबर 2022 20:54 IST
ख़ास बातें
  • कंपनी को प्रोडक्शन घटाने से बड़ा नुकसान हो सकता है
  • Honda Motor भी सेमीकंडक्टर की कमी के कारण प्रोडक्शन में कटौती करेगी
  • यूरोप में कुछ कारों के लिए कस्टमर्स को एक साल तक इंतजार करना पड़ रहा है

सेमीकंडक्टर्स बनाने वाली अधिकतर कंपनियां एशिया में हैं

ग्लोबल ऑटोमोबाइल कंपनी Toyota Motor को सेमीकंडक्टर की कमी के कारण अगले महीने प्रोडक्शन में कटौती करनी होगी। कंपनी ने बताया कि वह लगभग 8 लाख व्हीकल्स बनाएगी, जो उसके औसत मासिक प्रोडक्शन से लगभग एक लाख यूनिट कम है। सेल्स के लिहाज से दुनिया की इस सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी को प्रोडक्शन घटाने से बड़ा नुकसान हो सकता है। 

कुछ महीने पहले भी टोयोटा के प्रोडक्शन पर महत्वपूर्ण कंपोनेंट की कमी और सप्लाई चेन में रुकावटों से असर पड़ा था। हालांकि, इसके बावजूद कंपनी ने मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के लिए व्हीकल प्रोडक्शन के अपने टारगेट में बदलाव नहीं किया है और इसे रिकॉर्ड 97 लाख यूनिट्स पर बरकरार रखा है। जापान की इस कंपनी ने पिछले महीने कहा था कि उसका सितंबर से नवंबर के बीच प्रति महीना औसत नौ लाख व्हीकल्स बनाने का टारगेट है। हालांकि, टोयोटा ने बताया है कि इस टारगेट को घटाकर दिसंबर तक लगभग 8.5 लाख व्हीकल्स प्रति माह किया गया है। 

Morgan Stanley MUFG Securities ने एक रिपोर्ट में बताया है कि इस फाइनेंशियल ईयर की दूसरी तिमाही से सेमीकंडक्टर की सप्लाई बढ़ने की उम्मीद के बावजूद इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम वाली कारों की संख्या बढ़ने से प्रति व्हीकल अधिक सेमीकंडक्टर्स की जरूरत होगी। 

टोयोटा को टक्कर देने वाली Honda Motor का कहना है कि वह सेमीकंडक्टर की कमी के साथ ही लॉजिस्टिक्स से जुड़ी मुश्किलों के कारण जापान के दो प्लांट्स में अगले महीने कारों के प्रोडक्शन को 40 प्रतिशत तक घटाएगी। सेमीकंडक्टर का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए यूरोपियन यूनियन (EU) ने  इस वर्ष की शुरुआत में 48 अरब डॉलर (लगभग 3,58,520 करोड़ रुपये) की योजना बनाई थी। इसका उद्देश्य कारों से लेकर स्मार्टफोन तक में इस्तेमाल होने वाले इस कंपोनेंट की सप्लाई के लिए एशियन मार्केट्स पर निर्भरता को घटाना है। यूरोप के 27 देशों का यह संगठन सेमीकंडक्टर सेगमेंट में आत्मनिर्भर बनने के लिए चिप्स एक्ट लाया है। सेमीकंडक्टर्स बहुत छोटे माइक्रोचिप्स होते हैं जिनका इस्तेमाल कारों से लेकर स्मार्टफोन तक में होता है। सेमीकंडक्टर्स बनाने वाली अधिकतर कंपनियां एशिया में हैं। पिछले वर्ष कोरोना के कारण हुई तबाही के बाद इकोनॉमी में रिकवरी के साथ सेमीकंडक्टर्स की कमी के कारण मुश्किल हो रही है। यूरोप में कुछ कस्टमर्स को इस वजह से अपनी नई कार के लिए लगभग एक वर्ष तक इंतजार करना पड़ा है। 
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
 

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