सैटेलाइट से इंटरनेट देने वाली Starlink के इंडिया लॉन्च का रास्ता साफ, कंपनी ने मानी सरकार की शर्तें!

इसके पीछे का मुख्य कारण एलन मस्क का इस साल के अमेरिकी चुनावों पर बड़ा प्रभाव हो सकता है।

विज्ञापन
Written by नितेश पपनोई, अपडेटेड: 11 नवंबर 2024 21:04 IST
ख़ास बातें
  • स्टारलिंक ने DoT की अहम शर्तों को मान लिया है
  • डेटा लोकलाइजेशन, सिक्योरिटी स्टैंडर्ड को पूरा करने के लिए राजी हुई कंपनी
  • स्टारलिंक का भारत लाइसेंस आवेदन एक कदम आगे बढ़ने के लिए तैयार है

Photo Credit: Pixabay

भारतीय GMPCS (सैटेलाइट ब्रॉडबैंड) लाइसेंस के लिए स्टारलिंक (Starlink) का आवेदन अप्रूवल की एक और सीढ़ी ऊपर चढ़ता नजर आ रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि एलन मस्क (Elon Musk) की सैटेलाइट ब्रॉडबैंड प्रोवाइडर कंपनी "सैद्धांतिक रूप से" भारत के डेटा लोकलाइजेशन और सिक्योरिटी स्टैंडर्ड्स को पूरा करने के लिए सहमत हो गई है। इन दिशानिर्देशों के अनुसार सैटेलाइट ऑपरेटरों को स्थानीय स्तर पर डेटा स्टोर करने और खुफिया एजेंसियों के लिए संभावित डेटा एक्सेस को सक्षम करने की आवश्यकता होती है। दूरसंचार विभाग (DoT) से लाइसेंस हासिल करने के लिए ये सबसे जरूरी शर्तें हैं।

मनीकंट्रोल की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि स्टारलिंक ने DoT की अहम शर्तों को मान लिया है, जिसके चलते उसकी भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कनेक्शन सर्विस को लॉन्च करने का रास्ता कथित तौर पर अब साफ होता नजर आ रहा है। पब्लिकेशन को बताया गया है कि एलन मस्क की कंपनी सरकार के डेटा लोकलाइजेशन और सिक्योरिटी स्टैंडर्ड्स को पूरा करने के लिए सहमत हो गई है, जिसके बाद अब स्टारलिंक का भारत लाइसेंस आवेदन एक कदम आगे बढ़ने के लिए तैयार है।

पब्लिकेशन को बताया गया है कि इसके पीछे का मुख्य कारण एलन मस्क का इस साल के अमेरिकी चुनावों पर बड़ा प्रभाव हो सकता है। बता दें कि एलन मस्क ने इस साल जोर-शोर से डॉनल्ड ट्रम्प (Donald Trump) का प्रचार किया और खुलकर उन्हें सपोर्ट किया। हालांकि, स्टारलिंक ने अभी तक शर्तों को पूरा करने पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

जैसा कि हमने बताया, DoT के अहम दिशानिर्देश कहते हैं कि भारत में काम करने वाली एक सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनी को सभी डेटा को देश के अंदर ही स्टोर करना होता है। इसके अलावा, डेटा को जरूरत पड़ने पर सुरक्षा एजेंसियों के साथ शेयर करना भी अनिवार्य है।

ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट सर्विसेज (GMPCS) लाइसेंस मामूली आवेदन शुल्क पर ट्रायल स्पेक्ट्रम प्राप्त करके सैटेलाइट इंटरनेट स्थापित करने की दिशा में पहला कदम है। रिपोर्ट बताती है कि स्टारलिंक को यह दिखाने की आवश्यकता हो सकती है कि जरूरत पड़ने पर खुफिया एजेंसियां ​​डेटा को कैसे इंटरसेप्ट कर सकती हैं।
 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

Nitesh has almost seven years of experience in news writing and reviewing tech ...और भी
Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. TV स्क्रीन को साफ करते समय न करें ये गलतियां, हजारों का हो जाएगा नुकसान! जानें सही तरीके
#ताज़ा ख़बरें
  1. Vivo ने लॉन्च किया G3 5G, MediaTek Dimensity 6300 चिपसेट, जानें प्राइस, स्पेसिफिकेशंस
  2. Infinix Hot 60i 5G भारत में हुआ लॉन्च, 6,000 mAh की बैटरी
  3. 20 हजार वाले Samsung Galaxy A35 5G, Vivo T4 5G और Moto G96 5G जैसे स्मार्टफोन्स पर जबरदस्त डील
  4. Ola Electric ने लॉन्च किया S1 Pro Sport, जानें प्राइस, रेंज
  5. Oppo K13 Turbo Pro की भारत में शुरू हुई बिक्री, जानें प्राइस, ऑफर्स
  6. Google Search में AI मोड भारत में हुआ शुरू, जानें कैसे करें उपयोग
  7. Flipkart Freedom Sale: 7 हजार रुपये सस्ता मिल रहा Google का पिक्सल फोन
  8. Lava Blaze AMOLED 2 5G vs iQOO Z10 Lite 5G vs Moto G45 5G: 15 हजार में कौन है बेस्ट
  9. घर के बाहर कूड़े का ढेर लगा है या गंदे हैं सार्वजिक शौचालय तो इस सरकारी ऐप पर करें रिपोर्ट, जल्द मिलेगा समाधान
  10. प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों को टक्कर देगी BSNL, सरकार से मिलेंगे 47,000 करोड़ रुपये
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.