भारत सरकार अब हाइड्रोजन को फ्यूल के रूप में इस्तेमाल करने वाले वाहनों की ओर बढ़ने पर फोकस कर रही है। देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन जल्द ही पटरी पर हो सकती है। सरकार इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है और कथित तौर पर भारतीय रेलवे ने इसके लिए तीसरे पक्ष के सेफ्टी ऑडिट के लिए जर्मनी की TUV-SUD को नियुक्त किया है। सरकार ने
हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली ट्रेन पर ध्यान लगाते हुए हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज पहल की घोषणा की थी, जिसके तहत भारतीय रेलवे के पास प्रति ट्रेन 80 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 35 ट्रेनें होंगी। इतना ही नहीं सरकार पहाड़ी रास्तों पर प्रति रूट ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर में 70 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बना रही है।
भारतीय रेलवे ने देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन के लिए तीसरे पक्ष की सुरक्षा ऑडिट करने के लिए जर्मनी की TUV-SUD को नियुक्त किया है। ET की
रिपोर्ट के अनुसार, इस रोलिंग स्टॉक के लिए दिसंबर 2024 में ट्रायल रन शुरू होने का अनुमान है। इसके बाद अब भारत जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन के साथ मिलकर हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों को ऑपरेट करने वाला दुनिया का पांचवां देश बन जाएगा।
रिपोर्ट बताती है कि पांच
हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित टॉवर कारें (मेंटेनेंस वाहन) भी डेवलप किए जा रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक की लागत प्रति यूनिट 10 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। एक अधिकारी ने ईटी को बताया, 'हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज पहल के तहत भारतीय रेलवे के पास प्रति ट्रेन 80 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 35 ट्रेनें होंगी, साथ ही विभिन्न विरासत या पहाड़ी रास्तों पर प्रति रूट ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर में 70 करोड़ रुपये का निवेश होगा।'
अधिकारी ने यह भी बताया कि सिस्टम इंटीग्रेशन यूनिट बैटरी और दो फ्यूल यूनिट सिंक्रोनाइजेशन टेस्टिंग सफलतापूर्वक पूरे किए गए हैं। नई हाइड्रोजन ट्रेन उत्तर रेलवे के जींद-सोनीपत खंड पर चलने वाली है। यह भी बताया गया है कि चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में प्रोटोटाइप ट्रेन के इंटिग्रेशन की योजना बनाई गई है।
रिपोर्ट आगे बताती है कि हरियाणा में ट्रेन के लिए हाइड्रोजन जिंद में स्थित 1-मेगावाट पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन (PEM) इलेक्ट्रोलाइजर द्वारा दिया जाएगा। यह भी बताया गया है कि जींद में फ्यूल भरने के बुनियादी ढांचे में 3,000 किलोग्राम हाइड्रोजन स्टोरेज, हाइड्रोजन कंप्रेसर और प्री-कूलर इंटिग्रेशन के साथ दो हाइड्रोजन डिस्पेंसर भी होंगे, जो ट्रेनों में तेजी से फ्यूल भरने का काम करेंगे।