फेसबुक अपनी फ्री बेसिक्स सेवा के लिए चलाए गए कैंपेन को सफल बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। एक नई रिपोर्ट ने दावा किया गया है कि इस सोशल मीडिया कंपनी ने भारत में फ्री बेसिक्स के विज्ञापन के लिए करीब 300 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
'लाइव मिंट' में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, मीडिया के खरीदारों का अनुमान है कि कैंपेन के लिए अब तक 300 करोड़ रुपये खर्चे गए हैं। इनमें से 180-200 करोड़ रुपये प्रिंट विज्ञापन के लिए है। फेसबुक ने पिछले कुछ हफ्तों में देश के कई अखबारों में अपनी फ्री बेसिक्स सेवा के समर्थन में पूरे पन्ने के विज्ञापन दिए हैं।
गौर करने वाली बात है कि फेसबुक ने इस रिपोर्ट में विज्ञापन के खर्चे के दावों का ना ही समर्थन किया है और ना ही खारिज।
इस सोशल मीडिया कंपनी का दावा है कि वह प्रस्तावित योजना के जरिए देश के मोबाइल उपभोक्ताओं को मूलभूत इंटरनेट सेवा मुफ्त मुहैया कराना चाहती है।
आलोचकों ने कंपनी की इस पहल को नेट निरपेक्षता (नेट न्यूट्रैलिटी) के सिद्धांत का कथित उल्लंघन बताया है। नेट न्यूट्रैलिटी का मतलब है कि कोई भी यूज़र इंटरनेट को बिना किसी रोक या नियंत्रण के इस्तेमाल कर सके। इसके साथ यह किसी एक खास कंपनी द्वारा संचालित ना हो। आलोचकों का मानना है कि फेसबुक इस योजना का इस्तेमाल टॉर्जन हॉर्स की तरह इंटरनेट को नियंत्रित करने के लिए कर रही है।
पिछले साल दिसंबर महीने में दूरसंचार नियामक ट्राई ने रिलांयस कम्युनिकेशंस से इस सेवा (फ्री बेसिक्स) को अस्थायी तौर पर स्थगित रखने को कहा है। रिलायंस कम्युनिकेशंस भारत में फेसबुक की फ्री बेसिक्स पहल की भागीदार है। इस प्रोग्राम को 6 राज्यों में इस साल फरवरी महीने में Internet.org के नाम से लॉन्च किया गया था।
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