Cryptocurrency Bill: केंद्रीय बजट 2022 में क्रिप्टो निवेशकों को मिलेगा तोहफा या होगी बत्ती गुल, क्या करें उम्मीद?

पिछले एक साल में भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर मिली कई जानकारियों के आधार पर, कुछ चीजें हैं जिसकी हम सरकार से उम्मीद कर सकते हैं।

Cryptocurrency Bill: केंद्रीय बजट 2022 में क्रिप्टो निवेशकों को मिलेगा तोहफा या होगी बत्ती गुल, क्या करें उम्मीद?

पिछले साल 22 दिसंबर को हुए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भी बिल पर कोई चर्चा नहीं हुई थी

ख़ास बातें
  • 31 जनवरी से शुरू होने वाला है संसद का आगामी बजट सत्र
  • दिसंबर 2021 को भी संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान बिल पर नहीं हुई थी चर्चा
  • भारत सरकार क्रिप्टो पर रेगुलेशन लगाने का बना चुकी है मन
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2022 में कदम रखते ही दुनिया भर की सरकारों की ओर से क्रिप्टो रेगुलेशन को लेकर चर्चा बढ़ रही हैं, लेकिन भारत का क्रिप्टोकरेंसी मार्केट काफी समय से कानूनी दायरे में फंसा, बिना किसी फैसले के घूमता नज़र आ रहा है। केंद्र सरकार एक क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेशन, या एक बिल पेश करने पर विचार कर रही है, लेकिन यदि हाल की रिपोर्ट पर भरोसा किया जाए, तो इसमें अभी और देरी की उम्मीद है। इसका कारण 31 जनवरी से शुरू होने वाला संसद का आगामी बजट सत्र है। इस बार भी निवेशकों या इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स के लिए क्रिप्टो रेगुलेशन को लेकर कोई खबर आने की संभावना बेहद कम है।

पिछले साल 22 दिसंबर को हुए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भी बिल पर कोई चर्चा नहीं हुई थी, हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने पहले कहा था कि जल्द एक "सुविचारित" बिल आएगा और कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे संसद में भी पेश किया जाएगा। लेकिन Coindesk की एक हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि संसद इसेक ऊपर चर्चा करने और रेगुलेटरी ढांचे पर आम सहमति बनाने के लिए खुद को और समय देने का मन बना रही है।

हालांकि, पिछले एक साल में भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर मिली कई जानकारियों के आधार पर, कुछ चीजें हैं जिसकी हम सरकार से उम्मीद कर सकते हैं।
 

Taxation of cryptocurrency holdings

क्रिप्टो मार्केट के अंदरूनी सूत्र, निवेशक और ट्रेडर्स अपकमिंग केंद्रीय बजट 2022 में क्रिप्टो आय के लिए एक उचित टैक्स नीति की शुरूआत की उम्मीद कर रहे हैं, हालांकि यह अंतिम बिल का केवल एक हिस्सा बनने की संभावना है।

जबकि आगामी रेगुलेशन भारतीयों को क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित एक्टिविटी से नहीं रोक सकता है, लेकिन सरकार उन पर टैक्स लगा सकती है। क्रिप्टोकरेंसी खरीदना और बेचना स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन (STF) में रिपोर्टिंग के दायरे में शामिल किया जा सकता है, जैसे ट्रेडिंग कंपनियां आमतौर पर शेयरों और म्यूचुअल फंड की सेल और परचेज़ की रिपोर्ट करती हैं।

सरकार क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग (Cryptocurrency trading) से किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा कमाए गए लाभ के ऊपर ज्यादा टैक्स रेट भी लगा सकती है। यहां टैक्स का रेट 30 प्रतिशत हो सकता है, जो लॉटरी, गेम शो आदि से होने वाले लाभ के समान है। यदि ऐसा होता है, तो क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग करने वालों को डिज़िटल एसेट की सेल से होने वाली आय से टैक्स पेमेंट करनी होगी।

बिल सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) को कैपिटल मार्केट इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट के रूप में क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने की अनुमति भी दे सकता है।
 

Waiting for RBI to pilot its CBDC

ऐसा प्रतीत होता है कि भारत सरकार रेगुलेशन लगाने का मन बना चुकी है, लेकिन साथ ही तेजी से विकसित हो रही टेक्नोलॉजी को देखते हुए इस टॉपिक पर अधिक चर्चा और आम सहमति भी बनाना चाहती है। 17 जनवरी को वर्ल्ड इकोनॉमिक प्लेटफॉर्म फोरम के वर्चुअल समिट में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए एक साथ ग्लोबल कार्रवाई का आह्वान किया, साथ ही इस बात पर जोर दिया कि किसी एक देश द्वारा किए गए प्रयास पर्याप्त नहीं हो सकते हैं।

हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक की सेंट्रल बैंक डिज़िटल करेंसी (CBDC) लॉन्च करने की योजना है। The Hindu की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक ने एक सिंपल CBDC मॉडल का संचालन करने और इससे अधिक जटिल सीबीडीसी बनाने के बारे में सीखने का निर्णय लिया था।

अब, सरकार या केंद्रीय बैंक द्वारा एक डिजिटल करेंसी या CBDC जारी किया जाता है। क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत, डिज़िटल करेंसी अधिक स्थिर है और अधिकारियों द्वारा समर्थित है। क्रिप्टोकरेंसी और स्टेबलकॉइन विकेंद्रीकृत (डिसेंट्रलाइज्ड) हैं, जो कि देश द्वारा जारी डिजिटल करेंसी में नहीं हो सकता है।

मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद संबंधित फाइनेंसिंग से निपटने के लिए स्थापित किए गए एक अंतरसरकारी संगठन Financial Action Task Force (FATF) की अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि एक वर्चुअल क्रिप्टोकरेंसी मेनस्ट्रीम डिज़िटल पेमेंट विधियों की तुलना में बेहतर प्राइवेसी प्रदान करती है, जिसका उपयोग आतंकवादी संगठनों और अपराधियों द्वारा गलत एक्टिविटी के लिए किया जा सकता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी डीसेंट्रलाइज्ड होती है, इसलिए सेंट्रल बैंकों के पास अर्थव्यवस्था में मनी सप्लाई को कंट्रोल करने उनकी सबसे जरूरी कार्यक्षमताओं नहीं होगी।

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित क्रिप्टो बिल (Cryptocurrency Bill) भारत में क्रिप्टो के लिए सख्त नियम ला सकता है, जिसमें कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए जेल का प्रावधान भी शामिल है। रॉयटर्स ने मंगलवार को एक अज्ञात स्रोत और ड्राफ्ट बिल का हवाला देते हुए इस बात की जानकारी दी है। 
 

Proposal to impose imprisonment and fines for violation

दिसंबर की शुरुआत में Bloomberg की एक रिपोर्ट पब्लिश हुई थी, जिसमें कैबिनेट द्वारा मंजूरी दिए जाने की प्रतिक्षा करने वाले ड्राफ्ट बिल का हवाला देते हुए बताया गया था कि सरकार डिज़िटल मुद्राओं (Digital currencies) में किसी भी व्यक्ति द्वारा माइनिंग, जनरेटिंग, होल्डिंग, सैलिंग, (या) डीलिंग" पर सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेश किए गए बिल को आगामी बजट सत्र में पेश किए जाने की संभावना नहीं है, लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रिप्टो को लेकर उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों को बिना वारंट के गिरफ्तारी का सामना करना पड़ सकता है, जो "गैर-जमानती" हो सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कैपिटल मार्केट रेगुलेटर - SEBI क्रिप्टो एसेट्स के लिए रेगुलर हो सकता है। पिछली रिपोर्टों के अनुसार, एक्सचेंज प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों को $2.65 मिलियन (लगभग 20 करोड़ रुपये) का जुर्माना या जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है।
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