Bitcoin माइनिंग में घट रही कमाई! क्रिप्‍टो माइनर्स के वॉलेट की वैल्‍यू में गिरावट

कॉइंस को अपने पास रिजर्व रखने से ज्‍यादा क्रिप्‍टो माइनर्स उन्‍हें एक्‍सचेंजों में ट्रांसफर कर रहे हैं। इससे बिटकॉइन पर दबाव बढ़ रहा है।

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प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 22 फरवरी 2022 17:41 IST
ख़ास बातें
  • संभावना है कि ज्‍यादातर माइनर्स नई क्रिप्‍टोकरेंसी को बेच सकते हैं
  • ये क्रिप्‍टो की दुनिया के पहले सेलर हैं और कीमतों पर असर डालते हैं
  • नए कॉइंस को बड़ी संख्‍या में एक्‍सचेंजों में ट्रांसफर किया जा रहा है

मौजूदा वक्‍त में दुनिया की सबसे प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी 37,400 डॉलर के मार्क पर कारोबार कर रही है।

साल 2021 क्रिप्‍टोकरेंसी (Cryptocurrency) के लिए सुनहरा साल रहा। इसकी बढ़ती लोकप्रियता ने हजारों लोगों को क्रिप्‍टो माइनिंग में शुरुआत करने और नए कॉइन बनाने के लिए आकर्षित किया। यही वजह है कि दुनियाभर में बिटकॉइन (bitcoin) माइनर्स द्वारा इस्‍तेमाल किया जाने वाला हैशरेट या कंबाइंड कम्प्यूटेशनल पावर चार गुना तक बढ़ गई। हालांकि बढ़ते हैशरेट से माइनर्स के लिए कमाई करना और हार्डवेयर, बिजली व कर्मचारियों की लागत को कवर करना मुश्किल हो रहा है। संभावना है कि ज्‍यादातर लोग माइन की गई नई क्रिप्‍टोकरेंसी को होल्‍ड करने के बजाए बेच सकते हैं। 

रॉयटर्स से बातचीत में क्रिप्‍टो फाइनेंशियल सर्विस फर्म एम्बर ग्रुप के इंस्टिट्यूशनल सेल्‍स डायरेक्‍टर जस्टिन डी'एनेथन ने कहा कि नए सिक्‍कों को होल्‍ड करने या बेचने के मामले में क्रिप्‍टो माइनर्स की रनिंग कॉस्‍ट अहम फैक्‍टर है। वो क्रिप्‍टो की दुनिया के पहले सेलर हैं, इसीलिए वो निश्चित रूप से कीमतों पर असर डालते हैं। 

ओस्लो बेस्‍ड क्रिप्टो रिसर्च फर्म आर्कन के मुताबिक, क्रिप्‍टो माइनर्स के वॉलेट में मौजूद कॉइंस की कुल वैल्‍यू नवंबर की शुरुआत में 114 बिलियन डॉलर से गिरकर लगभग 75 बिलियन डॉलर हो गई है। इसकी वजह बढ़ता हैशरेट और कीमतों में गिरावट है, जिसने उनकी कमाई पर असर डाला है। क्रिप्टो इंडस्‍ट्री पर नजर रखने वाली फर्मों के मुताबिक, क्रिप्‍टो माइनर्स- कॉइंस को अपने पास रिजर्व रखने से ज्‍यादा उन्‍हें एक्‍सचेंजों में ट्रांसफर कर रहे हैं। इससे बिटकॉइन पर दबाव पड़ रहा है। 

मौजूदा वक्‍त में दुनिया की सबसे प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी 37,400 डॉलर के मार्क पर कारोबार कर रही है, जो 10 नवंबर 2021 के इसके हाई मार्क 62,000 डॉलर से 40 फीसदी नीचे है।

बिटकॉइन माइनिंग वह प्रक्रिया है जिसके तहत कंप्यूटर का एक नेटवर्क ट्रांजैक्‍शंस के एक ब्लॉक की जांच करता है और उसे वैलिडेट करता है। फ‍िर यह ब्लॉकचेन से जुड़ जाता है। यह काफी महंगा बिजनेस है, जिसमें काफी बिजली भी खर्च होती है। इस क्षेत्र में नए माइनर्स की एंट्री से हरेक बिटकॉइन माइनर की कमाई पर असर पड़ रहा है। 
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माइनिंग में कम होती कमाई का असर मार्केट पर भी पड़ रहा है, क्‍योंकि कुछ इंस्टिट्यूशनल इन्‍वेस्‍टर्स, लिस्‍टेड माइनर्स के शेयर या ETF के शेयर खरीदते हैं। अमेरिका में लिस्‍टेड क्रिप्टो माइनर्स- मैराथन डिजिटल होल्डिंग्स (MARA.O) और रॉयट ब्लॉकचेन (RIOT.O) के शेयरों में नवंबर की शुरुआत से क्रमशः 66% और 52% की गिरावट आई है। 

बिटकॉइन के आंतरिक स्‍ट्रक्‍चर ने भी माइनर्स पर दबाव बढ़ाया है। एक ब्लॉक को माइन करने में लगभग 10 मिनट लगते हैं। इसके बदले माइनर्स को रिवॉर्ड दिया जाता है। वर्तमान में एक ब्लॉक के लिए 6.25 बिटकॉइन रिवॉर्ड में दिए जा रहे हैं, लेकिन इसे हर चार साल में आधा कर दिया जाता है।
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ये भी पढ़ेंभारतीय एक्सचेंजों में क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें

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