सबसे अधिक वैल्यू वाली क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin का प्राइस गिरकर लगभग 21,000 डॉलर पर पहुंचने के साथ क्रिप्टो मार्केट में गिरावट जारी है। भारी बिकवाली होने से क्रिप्टो का मार्केट कैपिटलाइजेशन घटकर लगभग 18 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है। पिछले वर्ष नवंबर में यह लगभग 3 लाख करोड़ डॉलर पर था, जो अब गिरकर 1 लाख करोड़ डॉलर से कम हो गया है।
वैल्यू के लिहाज से सबसे बड़ी
क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन का प्राइस गिरकर लगभग 23,489 डॉलर पर है। CoinGecko के अनुसार, पिछले सात दिनों में इसमें लगभग 27 प्रतिशत की कमी हुई है। क्रिप्टो मार्केट में गिरावट के पीछे मैक्रो इकोनॉमिक स्थितियां बड़ा कारण है। अमेरिकी सरकार के ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स के कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के मासिक इन्फ्लेशन डेटा में इन्फ्लेशन के मई में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 8.6 प्रतिशत बढ़ने का पता चला था। यह पिछले 40 वर्ष का उच्च स्तर है। इसके अलावा
Terra में गिरावट से भी मार्केट में बिकवाली हुई थी, जिससे इनवेस्टर्स को करोड़ों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा था। कुछ क्रिप्टो फर्मों की वित्तीय स्थिति कमजोर होने की जानकारी मिलने से भी मार्केट में बिकवाली हो रही है।
इनवेस्टर्स अधिक रिस्क वाले एसेट्स से दूरी बना रहे हैं। इसका संकेत दुनिया भर में स्टॉक मार्केट्स में गिरावट से मिल रहा है। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि बिटकॉइन में और गिरावट आ सकती है और यह लगभग 20,000 पर आ सकता है। हालांकि, इसका मौजूदा प्राइस लंबी अवधि के इनवेस्टर्स के लिए खरीदारी का एक अच्छा मौका भी बताया जा रहा है।
क्रिप्टोकरेंसीज ने इससे पहले भी मुश्किल दौर का सामना किया है। क्रिप्टो इनवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म Koinbasket के को-फाउंडर ने एक स्टेटमेंट में कहा, "क्रिप्टो मार्केट का कैपिटलाइजेशन अगले कुछ वर्षों में 10 लाख करोड़ डॉलर से अधिक हो सकता है। हालांकि, इस सेगमेंट में वोलैटिलिटी अधिक होती है और यह एक रिस्क वाला एसेट क्लास है। इस वजह से इनवेस्टर्स को अपनी बचत का 5-10 प्रतिशत ही इसके लिए एलोकेट करना चाहिए।" क्रिप्टो सेगमेंट को लेकर बहुत से देशों में कानून भी बनाए जा रहे हैं। रेगुलेटर्स ने भी इस सेगमेंट की स्क्रूटनी बढ़ाने पर जोर दिया है। चीन ने पिछले वर्ष बिटकॉइन माइनिंग पर रोक लगाने के साथ ही क्रिप्टो से जुड़ी एक्टिविटीज पर सख्ती की थी।