क्रिप्टो एक्सचेंज Coinbase के खिलाफ कानूनी मामलों की संख्या बढ़ रही है। यूजर्स का उनके एकाउंट्स के लिए एक्सेस रोकने के कारण एक्सचेंज को कोर्ट में खींचा गया है। इस मामले में आरोप है कि एक्सचेंज ने विशेषतौर पर मार्केट में वोलैटिलिटी के दौरान यूजर्स का एक्सेस रोक दिया था।
यह मामला दायर करने वाले George Kattula का कहना है कि Coinbase ने यूजर्स के एकाउंट्स को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी उपाय भी नहीं किए हैं। George ने एक्सचेंज के साथ अपने एकाउंट को एक्सेस नहीं करने के कारण हुए नुकसान के बाद यह कदम उठाया है। उन्होंने
बताया कि एक्सचेंज ने लंबी अवधि तक उनका एक्सेस बंद रखा था जिससे वह ट्रेडिंग नहीं कर पाए और उन्हें नुकसान उठाना पड़ा था। Coinbase के खिलाफ अमेरिका का सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) सिक्योरिटीज को टोकन के तौर पर लिस्ट कराने की जांच कर रहा है।
इससे पहले कुछ एसेट्स की लिस्टिंग को लेकर भी SEC की ओर से एक्सचेंज पर कार्रवाई किए जाने की जानकारी मिली थी। SEC का मानना है कि ये सिक्योरिटीज नहीं हैं और इनकी गलत तरीके से लिस्टिंग हुई है। Coinbase ने बताया था, "फर्म से SEC ने कुछ प्रोडक्ट्स के बारे में दस्तावेज और जानकारी मांगी है। इनमें एसेट्स की लिस्टिंग के प्रोसेस, कुछ लिस्टेड प्रोडक्ट्स के क्लासिफिकेशन और यील्ड देने वाले प्रोडक्ट्स शामिल हैं।" स्टेकिंग और यील्ड ऐसे दो तरीके हैं जिनसे बहुत से प्लेटफॉर्म अपने यूजर्स को उनकी होल्डिंग्स से अधिक कमाने का मौका देते हैं। पिछले कुछ वर्षों में ये तरीके काफी लोकप्रिय हुए हैं। हालांकि, इन्हें लेकर
रेगुलेटर्स की स्क्रूटनी भी बढ़ी है।
हाल ही में Coinbase ने क्रिप्टो मार्केट में गिरावट के कारण अपनी वर्कफोर्स को 18 प्रतिशत घटाने का फैसला किया था। अमेरिका में हेडक्वार्टर रखने वाली इस फर्म का कहना था कि इंडस्ट्री के इस मुश्किल दौर में उसने कॉस्ट में कमी करने के लिए यह कदम उठाया है। इस फैसले से एक्सचेंज के 1,000 से अधिक एंप्लॉयीज की छंटनी होने का अनुमान है। एक्सचेंज के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर Brian Armstrong ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा था, "हमारी टीम के साइज को लगभग 18 प्रतिशत कम करने का मुश्किल फैसला लिया गया है। इससे इकोनॉमिक स्लोडाउन के दौरान फर्म की मजबूत स्थिति को पक्का किया जा सकेगा।"
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