Chandrayaan-3 की लॉन्चिंग से पहले ISRO ने बताया कैसे फेल हुआ था चंद्रयान-2 मिशन

Chandrayaan-3 : इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, 2019 में जब लैंडर ‘विक्रम’ ने चांद की सतह पर उतरना शुरू किया तो उसके वेग को धीमा करने के लिए डिजाइन किए गए इंजनों में उम्मीद से ज्‍यादा बल विकसित हो गया।

Chandrayaan-3 की लॉन्चिंग से पहले ISRO ने बताया कैसे फेल हुआ था चंद्रयान-2 मिशन

Photo Credit: ISRO

इसरो ने कहा, चंद्रयान-2 में सफलता-आधारित डिजाइन के बजाए चंद्रयान-3 में विफलता आधारित डिजाइन को चुना है।

ख़ास बातें
  • लैंडर ‘विक्रम’ के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ नहीं कर पाने की दी जानकारी
  • इसरो ने बताया कि चंद्रयान 2 मिशन में कहां-कहां गलती हुई
  • चंद्रयान-3 मिशन को इस शुक्रवार दोपहर 2:35 बजे किया जाएगा लॉन्‍च
विज्ञापन
इस साल भारत के सबसे बड़े स्‍पेस मिशन ‘चंद्रयान-3' (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग का हफ्ता आ गया है। इस शुक्रवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) देश का तीसरा मून मिशन लॉन्‍च करेगा। इस बार अधिक ईंधन और कई सुरक्षित उपायों के साथ चंद्रमा पर उतरने की एक और कोशिश की जाएगी। शुक्रवार दोपहर 2:35 बजे चंद्रमा के लिए उड़ान भरने वाला चंद्रयान-3 मिशन सितंबर 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 का अगला भाग है। चंद्रयान-2 मिशन एक सॉफ्टवेयर गड़बड़ी के कारण चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग' नहीं कर पाया था। 

इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने सोमवार को चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम' के ‘सॉफ्ट लैंडिंग' नहीं कर पाने की डिटेल्‍स शेयर कीं। उन्‍होंने बताया कि साल 2019 में जब लैंडर ‘विक्रम' ने चांद की सतह पर तय 500मीटर x 500 मीटर के लैंडिंग प्‍लेस पर उतरना शुरू किया तो उसके वेग को धीमा करने के लिए डिजाइन किए गए इंजनों में उम्मीद से ज्‍यादा बल विकसित हो गया।

पीटीआई के अनुसार, एस सोमनाथ ने एसआईए इंडिया द्वारा आयोजित भारतीय अंतरिक्ष कांग्रेस में संवाददाताओं से कहा, हमारे पास पांच इंजन थे जिनका इस्‍तेमाल वेग को कम करने के लिए किया गया। उन इंजनों में अपेक्षा से अधिक बल विकसित हो गया।' सोमनाथ ने कहा कि अधिक बल जेनरेट होने से कुछ ही अवधि में त्रुटियां पैदा हो गईं।

उन्‍होंने कहा कि सभी एरर एक साथ हो गए, जो हमारी अपेक्षा से ज्‍यादा थे। यान बहुत तेजी से मुड़ने लगा, तो उसकी मुड़ने की क्षमता सॉफ्टवेयर द्वारा सीमित हो गई। हमने कभी ऐसी स्थिति की उम्मीद नहीं की थी। उन्‍होंने कहा कि विफलता की एक और वजह 500 मीटर x 500 मीटर की छोटी जगह थी। 

उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 में सफलता-आधारित डिजाइन के बजाए इसरो ने चंद्रयान-3 में विफलता आधारित डिजाइन को चुना है। लैंडिंग क्षेत्र को बढ़ाकर 4 किलोमीटर x 2.5 किलोमीटर कर दिया है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 में ईंधन भी अधिक है। जरूरत पड़ने पर यह ऑप्‍शनल लैंडिंग स्थल पर भी जा सकता है। 
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

ये भी पढ़े: , ISRO, S Somnath, Science News In Hindi
प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

संबंधित ख़बरें

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News
 
 

विज्ञापन

Advertisement

#ताज़ा ख़बरें
  1. हीरो मोटोकॉर्प का दमदार परफॉर्मेंस, कंपनी का प्रॉफिट बढ़कर 1,016 करोड़ रुपये पर पहुंचा
  2. Moto X50 Ultra आया TENAA पर नजर, रेंडर्स और स्पेसिफिकेशंस हुए लीक
  3. Revolt RV400 और RV400 BRZ इलेक्ट्रिक बाइक हुईं Rs. 15 हजार सस्ती, फुल चार्ज में 150 Km चलती हैं!
  4. Samsung Galaxy F55 5G के भारत में लॉन्च से पहले डिजाइन और कलर्स का हुआ खुलासा, Flipkart पर बेचा जाएगा
  5. Hyundai की Exter, Grand i10 Nios और Venue पर भारी डिस्काउंट
  6. Apple की चीन में  iPhone शिपमेंट्स 12 प्रतिशत बढ़ी, कंपनी को मिला प्राइस घटाने का फायदा
  7. Apple की चीन में iPhone शिपमेंट्स 12 प्रतिशत बढ़ी, कंपनी को मिला प्राइस घटाने का फायदा
  8. लाखों Xiaomi यूजर्स का डेटा खतरे में! 20 ऐप्स में पाई गई खामियां
  9. iQoo की बड़े डिस्प्ले के साथ Neo 9s को लॉन्च करने की तैयारी
  10. BSNL 4G नेटवर्क बस दहलीज पर, जानें कब होगा लॉन्च?
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2024. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »