Facebook चाहती थी Reliance Jio में हिस्सेदारी, Google भी रेस में

Facebook और Google जैसी कंपनियों के लिए Reliance Jio भारत जैसी जटिल रेग्युलेटरी वाली मार्केट में प्रवेश करने का एक रास्ता साबित हो सकती है। निश्चित तौर पर जियो जैसे स्थानीय खिलाड़ी के पास ऐसी जटिल मार्केट की ज्यादा जानकारी होगी।

Facebook चाहती थी Reliance Jio में हिस्सेदारी, Google भी रेस में

Reliance Jio के 10 प्रतिशत स्टेक्स इस समय लगभग 500 से 535 करोड़ रुपये होते हैं

ख़ास बातें
  • Facebook रिलायंस जियो के 10 प्रतिशत स्टेक्स खरीदना चाहती है
  • इस समय Reliance Jio का कुल मुल्यांकन लगभग 5,000 से 5,350 करोड़ रुपये है
  • जियो के 10 प्रतिशत स्टेक्स लगभग 500 से 535 करोड़ रुपये मुल्य के हैं
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Facebook कथित तौर पर Reliance Jio की 10% हिस्सेदारी खरीदने के लिए भारतीय टेलीकॉम कंपनी से बातचीत कर रही है। Financial Times की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह 10% हिस्सेदारी अरबों डॉलर में आंकी जा रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सोशल मीडिया दिग्गज के अलावा, Google भी रिलायंस जियो के साथ अलग से बातचीत कर रही है।

FT की रिपोर्ट (paywall) के अनुसार, फेसबुक और रिलायंस जियो ने बातचीत की थी, जो कि हाल ही में कोरोनोवायरस प्रकोप के कारण वैश्विक यात्रा प्रतिबंधों के कारण रुकी थी।

नवंबर 2019 में सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार, जियो का कुल मूल्यांकन लगभग 65 से 70 बिलियन डॉलर (लगभग 5,000 करोड़ रुपये से 5,350 करोड़ रुपये) के बीच है, इसलिए इसकी 10% हिस्सेदारी 6.5 से 7 बिलियन डॉलर (लगभग 500 करोड़ रुपये से 535 करोड़ रुपये) के बीच होती है।

Reliance Jio सॉफ्ट 2015 में लॉन्च हई थी, लेकिन इसका सार्वजनिक संचालन 2016 में शुरू हुआ था। केवल तीन वर्षों में, कंपनी 370 मिलियन से अधिक ग्राहकों के साथ कंपनी भारत में सबसे बड़ी टेलीकॉम ऑपरेटर बन गई है और इसमें कोई शक नहीं है कि जियो ने भारतीय टेलीकॉम मार्केट में बड़ी क्रांति पैदा की है। इसका सबसे बड़ा कारण मुफ्त कॉल और बेहद सस्ते डेटा की पेशकश है, जो आज तक टेलीकॉम बिजनस को प्रभावित कर रहा है।

फेसबुक जैसी कंपनियों के लिए जियो भारत जैसी जटिल रेग्युलेटरी वाली मार्केट में प्रवेश करने का एक रास्ता साबित हो सकती है। निश्चित तौर पर जियो जैसे स्थानीय खिलाड़ी के पास ऐसी जटिल मार्केट की ज्यादा जानकारी होगी।

फ्री बेसिक्स नाम के अपने मुफ्त इंटरनेट प्रोग्राम के लॉन्च के प्रतिरोध से लेकर व्हाट्सऐप के साथ UPI पेमेंट प्लेटफॉर्म शुरू करने में आने वाली कठिनाइयों तक, फेसबुक ने भारत में कई चुनौतियों का सामना किया है। यहां तक ​​कि कंपनी ने अपनी इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप से एन्क्रिप्शन को हटाने के लिए सरकार के दबाव को भी झेला है।
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