दुनिया के दो देश इस वक्त एक बड़ी आपदा से जूझ रहे हैं। तुर्की और सीरिया में सोमवार को आए विनाशकारी भूकंप में अबतक 12 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। हजारों लोग घायल हैं। मलबे में दबे हुए हैं। जिंदगी से जंग लड़ते लोगों की मदद के लिए दुनियाभर के देशों से राहत टीमें तुर्की और सीरिया पहुंच रही हैं। तुर्की और सीरिया में आया भूकंप सबसे बड़े भूकंपों में से एक माना जा रहा है। सवाल उठता है कि यह भूकंप इतना घातक क्यों था?
लाइव साइंस की एक
रिपोर्ट में यह बताने की कोशिश की गई है। रिपोर्ट कहती है कि तुर्की और सीरिया में आए भूकंप का केंद्र दक्षिणी तुर्की में नूर्दगी शहर के पास था। इसे पिछली एक शताब्दी का तीसरा सबसे घातक भूकंप बताया गया है। आखिर यह भूकंप इतना घातक क्यों बन गया? जानमाल का नुकसान इतने बड़े पैमाने पर क्यों हुआ?
रिपोर्ट में इसकी वजह इस क्षेत्र की टेक्टोनिक प्लेट्स, नरम मिट्टी और भूकंपरोधी बिल्डिंगों का सही निर्माण ना होना बताया गया है। लिखा गया है कि दक्षिणपूर्व तुर्की और उत्तर पश्चिमी सीरिया का इलाका भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है। यह क्षेत्र तीन विशाल टेक्टोनिक प्लेटों के जंक्शन पर स्थित है। ये प्लेटें हैं- अफ्रीकन, एनाटोलियन और अरेबियन। इनमें टकराव और स्नैगिंग की वजह से इलाके में भूकंप आता है।
सोमवार को आए भूकंप की वजह ईस्ट एनाटोलियन फॉल्ट को माना जा रहा है, जहां अरेबियन और एनाटोलियन प्लेट्स घर्षण द्वारा एकसाथ लॉक्ड हैं। रिपोर्ट कहती है कि कई दशकों तक विपरीत दिशाओं में धीरे-धीरे दूर जाने के बाद दो प्लेटों के बीच इतना तनाव हो गया कि उनका संपर्क बिंदु ‘स्ट्राइक स्लिप' हो गया। इस वजह से इलाके में बड़ा भूकंप आया। कुछ वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि ईस्ट एनाटोलियन फॉल्ट पर यह तनाव सदियों से बन रहा होगा, लगभग 300 साल से।
भूकंप के तबाही मचाने की एक वजह यह भी बताई गई है कि ईस्ट एनाटोलियन फॉल्ट तुर्की और सीरिया की घनी आबादी के नीचे स्थित है। सोमवार को आया भूकंप कम गहरा था। यह पृथ्वी की सतह से महज 18 किलोमीटर नीचे था। इसका सीधा मतलब है कि भूकंप की ऊर्जा पूरी तरह से सतह पर उभर आई और उसने घरों को हिलाना शुरू कर दिया।
बिल्डिंगें हिलने से नींव पर असर हुआ। रिपोर्ट कहती है कि इस इलाके की मिट्टी पर्याप्त नम है और खतरनाक भूकंप को झेल नहीं सकती। इस भूकंप से जानमाल का नुकसान इसलिए भी अधिक हुआ, क्योंकि भूकंप एकदम सुबह आया, जब ज्यादातर लोग सो रहे थे। उन्हें बचने के लिए समय नहीं मिला होगा।