अब रात में तारे कम क्‍यों दिखाई देते हैं? स्‍टडी में हुआ खुलासा, जानें

स्‍टडी में कहा गया है कि शहरों की लाइटें हर साल आसमान की चमक में 9.6 फीसदी की बढ़ोतरी कर रही हैं।

अब रात में तारे कम क्‍यों दिखाई देते हैं? स्‍टडी में हुआ खुलासा, जानें

इससे ना सिर्फ इंसान बल्कि उन क्षेत्राें में रहने वाले जानवर भी प्रभावित हो रहे हैं।

ख़ास बातें
  • लाइट प्रदूषण का असर
  • शहरों में दिखाई दे रहा ज्‍यादा प्रभाव
  • हर साल बढ़ रहा लाइट पल्‍यूशन
विज्ञापन
आपने लाइट पल्‍यूशन या प्रकाश प्रदूषण के बारे में सुना है? अवांछित, गैरजरूरी और आर्टिफ‍िशियल लाइटिंग के बेतहाशा इस्‍तेमाल से दुनिया में प्रकाश प्रदूषण बढ़ा है। अब एक स्‍टडी में बताया गया है कि प्रकाश प्रदूषण रात में आसमान को चमका रहा है। इसकी वजह से तारे ‘गायब' हो रहे हैं, यानी जिन तारों को पहले आंखों से देखा जा सकता था, वह अब आसमान में चमक बढ़ने की वजह से दिखने बंद हो गए हैं। स्‍टडी में बताया गया है कि 18 साल पहले एक आम इंसान या स्‍टार गेजर रात के समय आकाश में 250 रोशनी के छीटों या ऑब्‍जेक्‍ट्स को देख पाता था। अब यह संख्‍या सिमटकर 100 पर आ गई है। यह आंकड़े दुनियाभर के हजारों सिटिजन साइंटिस्‍टों की जानकारी से जुटाए गए हैं। 

तारों का दिखना कम क्‍यों हो गया? स्‍टडी में इसकी वजह प्रकाश प्रदूषण में बढ़ोतरी को बताया गया है, जिसकी बड़ा हिस्‍सा शहरों में चमकने वाली लाइटिंग से आता है। स्‍टडी में कहा गया है कि शहरों की लाइटें हर साल आसमान की चमक में 9.6 फीसदी की बढ़ोतरी कर रही हैं। 

स्‍टडी कहती है कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आसमान अलग-अलग दर से चमक रहा है। स्‍टडी में पाया गया कि यूरोप में आसमान के चमकने की दर 6.5 फीसदी प्रति वर्ष है, जबकि उत्तरी अमेरिका में प्रकाश प्रदूषण के कारण आसमान की चमक हर साल 10.4 फीसदी बढ़ जाती है। स्‍टडी कहती है कि शहरी वातावरण में जिस तेजी से तारे दिखाई देना बंद हो रहे हैं, वह बेहद नाटकीय है। 

इस स्‍टडी को GFZ जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेस, रुहर-यूनिवर्सिटेट बोचुम और यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन के NOIRLab के रिसर्चर्स ने मिलकर पूरा किया। इसका नाम "ग्लोब एट नाइट" सिटीजन साइंस प्रोजेक्ट है। साल 2011 से 2022 तक इस स्‍टडी को अंजाम दिया गया। यह स्‍टडी जर्नल साइंस में पब्लिश हुई है। 

स्‍टडी कहती है कि प्रकाश प्रदूषण में बढ़ोतरी चिंता की बात है। इससे ना सिर्फ इंसान बल्कि उन क्षेत्राें में रहने वाले जानवर भी प्रभावित हो रहे हैं। रिसर्चर्स ने बताया है कि आकाश रात में कितना चमकता है, इसे पहले कभी मापा नहीं गया। हालांकि सैटेलाइट से मिले आंकड़ों के आधार पर कुछ अनुमान मौजूद हैं। स्‍टडी का एक पहलू यह भी है कि रिसर्चर्स के पास विकासशील देशों का पर्याप्त डेटा नहीं था, जहां यह बदलाव और तेजी से हो रहा है। 
 

Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Simple OneS इलेक्ट्रिक स्कूटर हुआ लॉन्च, 180 Km की रेंज
  2. Oppo की Find X8s के लॉन्च की तैयारी, 5,700mAh की हो सकती है बैटरी
  3. Jaguar Land Rover ने भारत में EV बनाने की योजना छोड़ी, Tata की प्रीमियम EVs को भी लगेगा झटका!
  4. Vivo X200 Ultra के लॉन्च से पहले फीचर्स और स्पेसिफिकेशंस के बारे में जानें सबकुछ
  5. Poco F7 सीरीज की लॉन्च तारीख हुई लीक, जानें क्या कुछ होगा खास
  6. स्पेस में फंसी NASA की एस्ट्रोनॉट Sunita Williams की धरती पर वापसी टली
  7. Oben Rozz EZ Price Hike: Rs 10 हजार महंगी हुई 175 Km रेंज देने वाली इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल, जानें नई कीमत
  8. Samsung के Galaxy Z Fold 7 में हो सकता है 200 मेगापिक्सल का प्राइमरी कैमरा
  9. Motorola का Edge 60 Fusion जल्द हो सकता है भारत में लॉन्च, ट्रिपल रियर कैमरा की संभावना
  10. Xiaomi ने भारतीय यूजर्स के लिए Indus Appstore से मिलाया हाथ, इसमें मिलेंगे 5 लाख से ज्यादा ऐप्स और गेम्स!
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »