गुरुत्वाकर्षण माइक्रोलेंसिंग तकनीक से वैज्ञानिकों ने खोजा ब्‍लैक होल!

वहीं, स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टि‍ट्यूट (STScI) के एक ऐसे ही विरोधी अध्ययन ने भी माइक्रोलेंसिंग के जरिए इसकी जांच की है।

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गैजेट्स 360 स्टाफ, अपडेटेड: 13 जून 2022 17:13 IST
ख़ास बातें
  • वैज्ञानिकों की दो टीम ने इस बारे में अलग-अलग निष्‍कर्ष दिए हैं
  • इस शोध को विश्‍लेषण के लिए स्‍वीकार कर लिया गया है
  • इस तरह के सर्वे हर साल लगभग 2,000 तारों का पता लगाते हैं

खगोलविदों की टीम में शामिल एसोसिएट प्रोफेसर जेसिका लू ने कहा कि यह पहला फ्री-फ्लोटिंग ब्लैक होल या न्यूट्रॉन स्टार था जिसे गुरुत्वाकर्षण माइक्रोलेंसिंग के साथ खोजा गया।

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के खगोलविदों की एक टीम ने गुरुत्वाकर्षण माइक्रोलेंसिंग के जरिए एक ब्‍लैक होल की खोज करने का दावा किया है। खगोलविदों के अनुसार, इस अनदेखी और बहुत छोटी चीज का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्‍यमान का 1.6 से 4.4 गुना होने का अनुमान है। हालांकि वैज्ञानिकों की टीम का यह भी मानना है कि यह चीज ब्लैक होल के बजाय न्यूट्रॉन स्टार हो सकती है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि ब्लैक होल में गिरने के लिए किसी मृत तारे का अवशेष सूर्य के द्रव्‍यमान से भारी होना चाहिए। 

न्यूट्रॉन तारे घने और कॉम्‍पैक्‍ट ऑब्‍जेक्‍ट्स होते हैं, लेकिन उनका गुरुत्वाकर्षण आंतरिक न्यूट्रॉन के दबाव से असंतुलित हो जाता है। यह उन्हें ब्लैक होल में और अधिक संकुचित होने से रोक सकता है। खगोलविदों की टीम में शामिल एसोसिएट प्रोफेसर जेसिका लू ने कहा कि यह पहला फ्री-फ्लोटिंग ब्लैक होल या न्यूट्रॉन स्टार था जिसे गुरुत्वाकर्षण माइक्रोलेंसिंग के साथ खोजा गया। लू ने कहा कि वो माइक्रोलेंसिंग का इस्‍तेमाल करके इन छोटी वस्तुओं का पता लगा सकते हैं और उनका वजन कर सकते हैं। एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स ने प्रकाशन के लिए इस विश्लेषण को स्वीकार कर लिया है।

वहीं, स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टि‍ट्यूट (STScI) के एक ऐसे ही विरोधी अध्ययन ने भी माइक्रोलेंसिंग के जरिए इसकी जांच की। उनका तर्क है कि इस कॉम्पैक्ट ऑब्जेक्ट का द्रव्यमान 7.1 है, जो सौर द्रव्यमान के करीब है, जो बताता है कि यह एक ब्लैक होल है।

इस तरह के सर्वे हर साल लगभग 2,000 तारों का पता लगाते हैं। रिसर्च करने वाली दोनों टीमों को इस कॉम्पैक्ट ऑब्जेक्ट के द्रव्यमान और पृथ्वी से इसकी दूरी का भी पता लगाने की इजाजत दी गई। एक शोध टीम के अनुसार यह ऑब्‍जेक्‍ट 2,280 से 6,260 प्रकाश वर्ष दूर होने का अनुमान है। दूसरी शोध टीम ने भविष्‍यवाणी की है कि यह पृथ्‍वी से 5,153 प्रकाश वर्ष दूर होगा। दोनों टीमों ने सुपर-कॉम्पैक्ट लेंसिंग ऑब्जेक्ट की वैलोसिटी की भी गणना की। एक टीम ने 30 किमी/सेकेंड से कम की स्‍पीड का पता लगाया जबकि एक टीम ने 45 किलोमीटर प्रति सेकंड की वैलोसिटी का अवलोकन किया। 

हाल ही में एक ऐसे तारे की खोज की गई है, जो हमारे सूर्य से 200,000 गुना ज्‍यादा चमकीला और 32 गुना ज्‍यादा बड़ा है। हर्शल 36 (Herschel 36) नाम का यह स्‍टार ‘लैगून नेबुला' (Lagoon Nebula) के केंद्र में है। यह लगभग 4,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यह ताकतवर पराबैंगनी किरणों समेत अशांत गैसों, तेज रेडिएशन से भरा है। इन इंटरेक्‍शंस की वजह से ‘लैगून नेबुला' में गैस और धूल के पहाड़ों के एक काल्पनिक परिदृश्य दिखाई देता है। 
 
 

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