हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति (Jupiter) वैज्ञानिकों को हमेशा से आकर्षित करता आया है। भविष्य के हमारे मिशन भले ही चंद्रमा और मंगल ग्रह पर सबसे ज्यादा केंद्रित हों, लेकिन बृहस्पति भी वैज्ञानिकों की नजर में है। खासतौर पर इसके चंद्रमा। बृहस्पति की परिक्रमा करने वाले उसके चंद्रमाओं में दो सबसे बड़े उपग्रह हैं गेनीमेड (Ganymede) और यूरोपा (Europa)। वैज्ञानिकों ने इनकी नई इमेज दिखाई है। खास बात यह है कि इन तस्वीरों को पृथ्वी से ही लिया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ लीसेस्टर के स्कूल ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रोनॉमी के ग्रह वैज्ञानिकों (Planetary scientists) ने यूरोपा और गेनीमेड की नई इमेजेस को अनवील किया है।
रिपोर्टों के
अनुसार, रिसर्चर्स ने चिली में मौजूद यूरोपियन सदर्न ऑब्जर्वेटरी के वेरी लार्ज टेलीस्कोप (VLT) का इस्तेमाल करके चंद्रमा की सतह का निरीक्षण और मैपिंग की। वेरी लार्ज टेलीस्कोप दुनिया की सबसे शक्तिशाली दूरबीन फैसिलिटीज में से एक है। यूनिवर्सिटी ऑफ लीसेस्टर में पीएचडी स्टूडेंट ओलिवर किंग ने कहा कि इस टेलीस्कोप ने हमें यूरोपा और गैनीमेड की विस्तृत मैपिंग करने दी। पृथ्वी से इन दोनों चंद्रमाओं की दूरी लगभग 60 करोड़ किलोमीटर है।
नई तस्वीरें, बृहस्पति के दोनों चंद्रमाओं की रासायनिक संरचना (chemical composition) को लेकर नई अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। इसके अलावा कई जियोलॉजिकल फीचर्स का भी पता चलता है जैसे- यूरोपा की सतह पर लंबी दरार जैसी रेखाओं का नजर आना।
यूरोपा का आकार हमारी पृथ्वी के चंद्रमा के बराबर है, जबकि गैनीमेड सौर मंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा है। ओलिवर किंग ने कहा कि हमने बृहस्पति के चंद्रमाओं के मटीरियल डिस्ट्रीब्यूशन की मैपिंग की। इसमें सल्फ्यूरिक एसिड फ्रॉस्ट भी शामिल है, जो मुख्य रूप से यूरोपा के किनारों पर पाया जाता है।
रिसर्चर्स ने पाया गया कि चंद्रमाओं की सतह पर विभिन्न प्रकार के सॉल्ट मौजूद हो सकते हैं। हालांकि तस्वीरों से उन्हें पहचानना मुमकिन नहीं है। प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित यूरोपा की इमेजेस से पता चलता है कि यूरोपा की क्रस्ट (पपड़ी) मुख्य रूप से जमे हुए पानी की बर्फ से बनी है। वहीं, गेनीमेड के ऑब्जर्वेशन ‘जेजीआर: प्लेनेट्स' नाम की मैग्जीन में पब्लिश हुए हैं। इसमें कहा गया है कि गेनीमेड का सर्फेस दो तरह की सतह कैसे दो मुख्य प्रकार के इलाकों (terrain) से बना है।