हर दिन हम खबरों के रूप में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa), यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) और दुनिया की अलग-अलग यूनिवर्सिटीज के रिसर्चर्स की स्टडी पढ़ते हैं। आज गर्व करने का मौका दिया है भारत के सरस रेडियो टेलीस्कोप (SARAS radio telescope) ने। इस टेलीस्कोप ने वैज्ञानिकों को बिग बैंग के 20 करोड़ साल बाद बनीं आकाशगंगाओं की प्रॉपर्टीज यानी गुणों को निर्धारित करने में मदद की है। यह कॉस्मिक डॉन (Cosmic Dawn) पीरियड की बात है। इस रिसर्च को वैज्ञानिकों के एक इंटरनेशनल ग्रुप ने पूरा किया है।
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निष्कर्ष नेचर एस्ट्रोनॉमी में पब्लिश हुए हैं, जो शुरुआती रेडियो लाउड आकाशगंगाओं के गुणों के बारे में एक इनसाइट देते हैं। ये आकाशगंगाएं आमतौर पर किसी विशालकाय ब्लैकहोल की मदद से ऊर्जा पाती हैं। बेंगलूरू स्थित रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट (आरआरआई) के सौरभ सिंह समेत वैज्ञानिकों की एक टीम ने फर्स्ट जेनरेशन वाली आकाशगंगाओं के ऊर्जा उत्पादन, चमक और द्रव्यमान का अनुमान लगाया। SARAS 3 रेडियो टेलिस्कोप को साल 2020 की शुरुआत में उत्तरी कर्नाटक में दंडिगनहल्ली झील और शरावती बैकवाटर पर तैनात किया गया था।
वैज्ञानिकों ने बिग बैंग के 20 करोड़ बाद साल के समय में झांका और उन्हें उस समय की आकाशगंगाओं के बारे में जानकारियां मिलीं। इस स्टडी में ऑस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (CSIRO) के रिर्सर्चस, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और तेल अवीव यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने भी हिस्सा लिया। रिसर्चर्स ने उन आकाशगंगाओं को देखा जो रेडियो वेवलेंथ में ब्राइट हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने लगभग 1420 मेगाहर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी पर उत्सर्जित आकाशगंगाओं में और उसके आसपास हाइड्रोजन परमाणुओं से विकिरण होते हुए देखा। यह रेडिएशन ब्रह्मांड के विस्तार के समय से अंतरिक्ष में यात्रा कर रहा है। पृथ्वी पर यह लोअर फ्रीक्वेंसी रेडियो बैंड्स के रूप में आता है, जिसका इस्तेमाल एफएम और टीवी प्रसारण में भी होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस जानकारी से उन्हें शुरुआती आकाशगंगाओं को स्टडी करने में मदद मिल सकती है।
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