SARAS टेलिस्‍कोप ने बढ़ाया देश का मान, ब्रह्मांड की पहली आकाशगंगाओं के बारे में दी अहम जानकारी

SARAS radio telescope : यह कॉस्मिक डॉन पीरियड की बात है। इस रिसर्च को वैज्ञानिकों के एक इंटरनेशनल ग्रुप ने पूरा किया है।

विज्ञापन
Written by प्रेम त्रिपाठी, Edited by आकाश आनंद, अपडेटेड: 29 नवंबर 2022 14:04 IST
ख़ास बातें
  • बिग बैंग के 20 करोड़ साल बाद बनीं आकाशगंगाओं से जुड़ा सुराग खोजा
  • इन आकाशगंगाओं की प्रॉपर्टीज यानी गुणों को निर्धारित करने में मदद की
  • यह निष्‍कर्ष नेचर एस्ट्रोनॉमी में पब्लिश हुए हैं

SARAS radio telescope : इसके निष्‍कर्ष नेचर एस्ट्रोनॉमी में पब्लिश हुए हैं, जो शुरुआती रेडियो लाउड आकाशगंगाओं के गुणों के बारे में एक इनसाइट देते हैं।

Photo Credit: dst.gov.in

हर दिन हम खबरों के रूप में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa), यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी (ESA) और दुनिया की अलग-अलग यूनिवर्सिटीज के रिसर्चर्स की स्‍टडी पढ़ते हैं। आज गर्व करने का मौका दिया है भारत के सरस रेडियो टेलीस्कोप (SARAS radio telescope) ने। इस टेलीस्‍कोप ने वैज्ञानिकों को बिग बैंग के 20 करोड़ साल बाद बनीं आकाशगंगाओं की प्रॉपर्टीज यानी गुणों को निर्धारित करने में मदद की है। यह कॉस्मिक डॉन (Cosmic Dawn) पीरियड की बात है। इस रिसर्च को वैज्ञानिकों के एक इंटरनेशनल ग्रुप ने पूरा किया है। 

यह निष्‍कर्ष नेचर एस्ट्रोनॉमी में पब्लिश हुए हैं, जो शुरुआती रेडियो लाउड आकाशगंगाओं के गुणों के बारे में एक इनसाइट देते हैं। ये आकाशगंगाएं आमतौर पर किसी विशालकाय ब्‍लैकहोल की मदद से ऊर्जा पाती हैं। बेंगलूरू स्थित रमन रिसर्च इंस्टि‍ट्यूट (आरआरआई) के सौरभ सिंह समेत वैज्ञानिकों की एक टीम ने फर्स्‍ट जेनरेशन वाली  आकाशगंगाओं के ऊर्जा उत्पादन, चमक और द्रव्यमान का अनुमान लगाया। SARAS 3 रेडियो टेलिस्‍कोप को साल 2020 की शुरुआत में उत्तरी कर्नाटक में दंडिगनहल्ली झील और शरावती बैकवाटर पर तैनात किया गया था।

वैज्ञानिकों ने बिग बैंग के 20 करोड़ बाद साल के समय में झांका और उन्‍हें उस समय की आकाशगंगाओं के बारे में जानकारियां मिलीं। इस स्‍टडी में ऑस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (CSIRO) के रिर्सर्चस, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और तेल अवीव यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने भी हिस्‍सा लिया। रिसर्चर्स ने उन आकाशगंगाओं को देखा जो रेडियो वेवलेंथ में ब्राइट हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने लगभग 1420 मेगाहर्ट्ज की फ्रीक्‍वेंसी पर उत्सर्जित आकाशगंगाओं में और उसके आसपास हाइड्रोजन परमाणुओं से विकिरण होते हुए देखा। यह रेडिएशन ब्रह्मांड के विस्‍तार के समय से अंतरिक्ष में यात्रा कर रहा है। पृथ्‍वी पर यह लोअर फ्रीक्‍वेंसी रेडियो बैंड्स के रूप में आता है, जिसका इस्‍तेमाल एफएम और टीवी प्रसारण में भी होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस जानकारी से उन्‍हें शुरुआती आकाशगंगाओं को स्‍टडी करने में मदद मिल सकती है। 
 

 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. Realme P4 Pro 5G vs Nothing Phone 3a vs Poco X7 Pro 5G: 25 हजार में कौन सा है बेहतर
#ताज़ा ख़बरें
  1. VinFast ने भारत में लॉन्च की VF 6, VF 7 इलेक्ट्रिक SUV, जानें प्राइस, स्पेसिफिकेशंस
  2. Realme P4 Pro 5G vs Nothing Phone 3a vs Poco X7 Pro 5G: 25 हजार में कौन सा है बेहतर
  3. Pixel मोबाइल पर कनेक्ट होंगे 1 साथ 2 हेडफोन
  4. 10 हजार रुपये में आने वाली टॉप 5 स्मार्टवॉच, 10 दिनों तक चलेगी बैटरी, जानें सबकुछ
  5. डेटिंग में भी घुसा AI, 50 प्रश्न पूछेगा और मिलाएगा आपके पार्टनर से! जानें इस ऐप के बारे में
  6. हाइवे पर फ्री AC रूम, Wi-Fi और शॉवर, बस भरवाना है फ्यूल; बुकिंग सीधा मोबाइल ऐप से
  7. Vivo T4 Pro vs Realme 15 5G vs Nothing Phone 3a: 30 हजार में कौन सा है बेस्ट
  8. Samsung की AI वाली वॉशिंग मशीन, कपड़ों को गीला किए बिना करेगी साफ, प्रेस करने का भी झंझट खत्म!
  9. ऑनलाइन डिजिटल स्कैम के शिकार तो नहीं हुए आप? ऐसे करें ऑनलाइन शिकायत
  10. Gmail पर Spam Email को ऐसे करें Block, स्टोरेज भी हो जाएगी खाली, फॉलो करें ये स्टेप्स
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.