भारत का
चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) मिशन अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने मंगलवार को चंद्रयान-3 का तीसरा ऑर्बिट रेजिंग ऑपरेशन यानी कक्षा उन्नयन सफलता के साथ पूरा कर लिया। पीटीआई के अनुसार, इसरो ने बताया है कि अगले ऑर्बिट की प्रक्रिया 20 जुलाई को दोपहर 2 से 3 बजे के बीच पूरी की जाएगी। गौरतलब है कि इस मिशन को 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। 23 अगस्त को चंद्रयान-3 को चांद पर उतारने की कोशिश की जाएगी।
तय योजना के अनुसार, चंद्रयान-3 को एलवीएम-एम4 रॉकेट की मदद से उड़ाया गया। लॉन्च के 16 मिनट बाद चंद्रयान ऑर्बिट में पहुंच गया। दोपहर 2 बजकर 52 मिनट पर जैसे ही यह घोषणा हुई, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी। चंद्रयान-3 अब 42 दिनों के चांद के सफर पर निकल गया है।
गौरतलब है कि साल 2019 में चंद्रयान-2 मिशन का लैंडर चंद्रमा की सतह पर क्रैश हो गया था। उसके फौरन बाद भारत ने तीसरे मून मिशन की तैयारी शुरू कर दी थी। इसरो के वैज्ञानिक बीते कई महीनों से दिन-रात मिशन को सफल बनाने में जुटे हुए थे। चंद्रयान-3 की लैंडिंग में कोई परेशानी ना आए, इस बात का विशेष ध्यान इस बार रखा गया है। चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम भी विक्रम रखा गया है।
मिशन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे हर हाल में चांद पर लैंड कराया जा सके। 23 अगस्त को जब लैंडर ‘विक्रम' चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा और कोई परेशानी आई, तो उसे दूसरी जगह भी लैंड कराया जा सकता है। इस मिशन का मसकद सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंड कराना और वहां चहलकदमी की क्षमताओं को साबित करना है। अभी तक तीन देश- अमेरिका, सोवियत यूनियन और चीन चंद्रमा पर अपने मिशन लैंड करा पाए हैं।
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