• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • भारतीय वैज्ञानिकों का दावा, एक्टिव है मंगल ग्रह, सतह पर खोजे हजारों ट्रैक

भारतीय वैज्ञानिकों का दावा, एक्टिव है मंगल ग्रह, सतह पर खोजे हजारों ट्रैक

यह रिसर्च लेटर ‘पीयर-रिव्यू जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च’ में प्रकाशित हुआ है।

भारतीय वैज्ञानिकों का दावा, एक्टिव है मंगल ग्रह, सतह पर खोजे हजारों ट्रैक

Photo Credit: Nasa

अहमदाबाद स्थित लैबोरेटरी में असिस्‍टेंट प्रोफेसर एस. विजयन के नेतृत्व में रिसर्चर्स ने साल 2006 से 2020 तक मंगल ग्रह की हाई-रेजॉलूशन इमेजेस की स्‍टडी की।

ख़ास बातें
  • फ‍िजिकल रिसर्च लैबोरेटरी अहमदाबाद के सांइटिस्‍ट की रिसर्च
  • असिस्‍टेंट प्रोफेसर एस. विजयन के नेतृत्व में हुई रिसर्च
  • हाल के गिरे बोल्डरों का पता लगाने के लिए की गई रिसर्च
विज्ञापन
पूरे सौर मंडल में मंगल ग्रह को पृथ्वी का सबसे नजदीकी साथी माना जाता है। इसका आकार, ढाल और संरचना पृथ्‍वी के समान है। यह भी माना जाता है कि मंगल की सतह पर पानी हुआ करता था। इसी वजह से यह विश्‍वास बरकरार है कि मंगल ग्रह पर एक दिन जीवन मुमकिन हो सकता है। मंगल ग्रह के बारे में ज्‍यादा जानकारी हासिल करने के लिए कई मिशन आने वाले साल में लॉन्‍च किए जाने हैं, जबकि कई मिशनों को लेकर योजना बनाई जा रही है। कुछ मिशन लॉन्‍च भी हो चुके हैं, जो इस लाल ग्रह पर जीवन से जुड़ी संभावनाओं के सबूत जुटा रहे हैं। इसी कोशिश में भारतीय वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने मंगल ग्रह की सतह पर हजारों ऐसे ट्रैक की खोज की है, जो गिरते हुए बोल्‍डरों द्वारा बनाए गए थे।

फ‍िजिकल रिसर्च लैबोरेटरी के वैज्ञानिकों को लगता है कि ये ट्रैक उन्हें मंगल ग्रह पर भूकंपीय गतिविधि को समझने में मदद कर सकते हैं। अहमदाबाद स्थित लैबोरेटरी में असिस्‍टेंट प्रोफेसर एस. विजयन के नेतृत्व में रिसर्चर्स ने साल 2006 से 2020 तक मंगल ग्रह की हाई-रेजॉलूशन इमेजेस की स्‍टडी की, ताकि हाल के गिरे बोल्डरों का पता लगाया जा सके।

यह रिसर्च लेटर ‘पीयर-रिव्यू जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च' में प्रकाशित हुआ है। प्रोफेसर विजयन ने इसमें कहा है ‘हमने सभी इमेजेस को सर्च किया और पाया कि BFE (बोल्डर फॉल इजेक्टा) बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यह बोल्‍डर काफी संख्‍या में गिर रहे हैं।' वैज्ञानिकों ने पाया कि बोल्डर ट्रैक को गायब होने में लगभग 2 से 4 मंगल वर्ष (4-8 पृथ्वी वर्ष) लगते हैं। वहीं, पृथ्‍वी पर भी ऐसे ट्रैक्‍स को ना के बराबर संरक्षित किया जाता है।

वैज्ञानिकों ने पाया कि मंगल ग्रह के सेर्बेरस फॉसे रीजन में ऐसे 30 फीसदी ट्रैक्‍स हैं। इसी जगह पर नवंबर 2018 में नासा का इनसाइट मिशन उतरा था। इनसाइट मिशन दुनिया का पहला मिशन है, जिसे मंगल ग्रह के आंतरिक भाग और संरचना का पता लगाने के लिए भेजा गया है। 

वैज्ञानिकों का मानना है कि जब कोई बोल्‍डर गिरता है, तो वह सतह पर टकराकर उछलता है। इससे सतह का कुछ मटीरियल बाहर निकल आता है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उनकी रिसर्च से मंगल ग्रह पर इंसान के लैंड करने से पहले भूकंपीय गतिविधि को लेकर बेहतर समझ डेवलप होगी।
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

गैजेट्स 360 स्टाफ The resident bot. If you email me, a human will respond. और भी
Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. भारत में टेस्ला की एंट्री से पहले इम्पोर्ट ड्यूटी घटा सकती है सरकार
  2. टल गया खतरा? 300 फीट चौड़े एस्टरॉयड के धरती से टकराने की संभावना पर NASA की नई रिपोर्ट
  3. 27 इंच बड़ी स्क्रीन, 520Hz रिफ्रेश के साथ ViewSonic गेमिंग मॉनिटर हुआ लॉन्च, जानें फीचर्स
  4. Xiaomi 15 Ultra फोन के कैमरा स्पेसिफिकेशंस कंफर्म, मिलेगा अबतक का सबसे धांसू क्वाड कैमरा सेटअप!
  5. Apple का पहला फोल्डेबल फोन होगा हाइब्रिड डिवाइस! हुआ नया खुलासा
  6. iQOO 15 Pro पहली बार हुआ लीक, 2K डिस्प्ले, 7000mAh बैटरी, घांसू कैमरा से होगा लैस!
  7. JBL Flip 7 पोर्टेबल ब्लूटूथ स्पीकर 14 घंटे की बैटरी, IP68 रेटिंग के साथ हुआ लॉन्च, जानें कीमत
  8. 3 करोड़ साल पुरानी खोपड़ी ने खोला 'भयानक शिकारी' का इतिहास!
  9. 30 हजार में आने वाले AC, Amazon पर मिल रहा जबरदस्त डिस्काउंट
  10. Jio लाई भारत-पाक मैच के लिए धांसू प्लान, 84 दिन वैलिडिटी, डेली 2GB, Jiohotstar फ्री सब्सक्रिप्शन और बहुत कुछ!
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »