भारतीय वैज्ञानिकों का दावा, एक्टिव है मंगल ग्रह, सतह पर खोजे हजारों ट्रैक

यह रिसर्च लेटर ‘पीयर-रिव्यू जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च’ में प्रकाशित हुआ है।

विज्ञापन
गैजेट्स 360 स्टाफ, अपडेटेड: 28 जनवरी 2022 12:45 IST
ख़ास बातें
  • फ‍िजिकल रिसर्च लैबोरेटरी अहमदाबाद के सांइटिस्‍ट की रिसर्च
  • असिस्‍टेंट प्रोफेसर एस. विजयन के नेतृत्व में हुई रिसर्च
  • हाल के गिरे बोल्डरों का पता लगाने के लिए की गई रिसर्च

अहमदाबाद स्थित लैबोरेटरी में असिस्‍टेंट प्रोफेसर एस. विजयन के नेतृत्व में रिसर्चर्स ने साल 2006 से 2020 तक मंगल ग्रह की हाई-रेजॉलूशन इमेजेस की स्‍टडी की।

Photo Credit: Nasa

पूरे सौर मंडल में मंगल ग्रह को पृथ्वी का सबसे नजदीकी साथी माना जाता है। इसका आकार, ढाल और संरचना पृथ्‍वी के समान है। यह भी माना जाता है कि मंगल की सतह पर पानी हुआ करता था। इसी वजह से यह विश्‍वास बरकरार है कि मंगल ग्रह पर एक दिन जीवन मुमकिन हो सकता है। मंगल ग्रह के बारे में ज्‍यादा जानकारी हासिल करने के लिए कई मिशन आने वाले साल में लॉन्‍च किए जाने हैं, जबकि कई मिशनों को लेकर योजना बनाई जा रही है। कुछ मिशन लॉन्‍च भी हो चुके हैं, जो इस लाल ग्रह पर जीवन से जुड़ी संभावनाओं के सबूत जुटा रहे हैं। इसी कोशिश में भारतीय वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने मंगल ग्रह की सतह पर हजारों ऐसे ट्रैक की खोज की है, जो गिरते हुए बोल्‍डरों द्वारा बनाए गए थे।

फ‍िजिकल रिसर्च लैबोरेटरी के वैज्ञानिकों को लगता है कि ये ट्रैक उन्हें मंगल ग्रह पर भूकंपीय गतिविधि को समझने में मदद कर सकते हैं। अहमदाबाद स्थित लैबोरेटरी में असिस्‍टेंट प्रोफेसर एस. विजयन के नेतृत्व में रिसर्चर्स ने साल 2006 से 2020 तक मंगल ग्रह की हाई-रेजॉलूशन इमेजेस की स्‍टडी की, ताकि हाल के गिरे बोल्डरों का पता लगाया जा सके।

यह रिसर्च लेटर ‘पीयर-रिव्यू जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च' में प्रकाशित हुआ है। प्रोफेसर विजयन ने इसमें कहा है ‘हमने सभी इमेजेस को सर्च किया और पाया कि BFE (बोल्डर फॉल इजेक्टा) बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यह बोल्‍डर काफी संख्‍या में गिर रहे हैं।' वैज्ञानिकों ने पाया कि बोल्डर ट्रैक को गायब होने में लगभग 2 से 4 मंगल वर्ष (4-8 पृथ्वी वर्ष) लगते हैं। वहीं, पृथ्‍वी पर भी ऐसे ट्रैक्‍स को ना के बराबर संरक्षित किया जाता है।

वैज्ञानिकों ने पाया कि मंगल ग्रह के सेर्बेरस फॉसे रीजन में ऐसे 30 फीसदी ट्रैक्‍स हैं। इसी जगह पर नवंबर 2018 में नासा का इनसाइट मिशन उतरा था। इनसाइट मिशन दुनिया का पहला मिशन है, जिसे मंगल ग्रह के आंतरिक भाग और संरचना का पता लगाने के लिए भेजा गया है। 

वैज्ञानिकों का मानना है कि जब कोई बोल्‍डर गिरता है, तो वह सतह पर टकराकर उछलता है। इससे सतह का कुछ मटीरियल बाहर निकल आता है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उनकी रिसर्च से मंगल ग्रह पर इंसान के लैंड करने से पहले भूकंपीय गतिविधि को लेकर बेहतर समझ डेवलप होगी।
 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

द रेजिडेंट बोट । अगर आप मुझे ...और भी

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. Google का अनोखा TV रिमोट, घर में बल्ब की रोशनी से चार्ज होगा, कभी खत्म नहीं होगी बैटरी
  2. WhatsApp पर लौटा पुराना फीचर, क्या आपने किया इस्तेमाल?
  3. Oppo Reno 15 के इंटरनेशनल मॉडल में हो सकता है नया ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप 
  4. Ray-Ban Meta Gen 1 स्मार्ट ग्लासेज पर भारी डिस्काउंट, ऐसे खरीदें
#ताज़ा ख़बरें
  1. ChatGPT का 'ग्रुप चैट' फीचर अब सभी के लिए शुरू, 20 लोग एकसाथ करेंगे चैट! जानें तरीका
  2. WhatsApp पर लौटा पुराना फीचर, क्या आपने किया इस्तेमाल?
  3. Nano Banana 2 क्या है?, गूगल का अपग्रेडेड AI इमेज टूल इंटरनेट पर छाया
  4. iQOO 15 Pre-Booking: iQOO 15 लॉन्च से पहले कीमत लीक, प्री-बुकिंग पर पाएं FREE ईयरबड्स, वारंटी बेनिफिट, ये रहे डिटेल्स
  5. Google ने कर्मचारियों से कहा “छोड़कर जाना चाहें तो जाएं”, AI पर कंपनी का जोर!
  6. Realme GT 8 Pro vs OnePlus 15 vs Oppo Find X9: जानें कौन सा फ्लैगशिप है बेस्ट
  7. फोन हीटिंग की टेंशन खत्म! आ गया Black Shark वायरलेस चार्जिंग कूलर, 25W फास्ट चार्जिंग से लैस, जानें कीमत
  8. Ray-Ban Meta Gen 1 स्मार्ट ग्लासेज पर भारी डिस्काउंट, ऐसे खरीदें
  9. अब Google पर यह चेक कर पाएंगे कि फोटो AI से तैयार हुआ है या नहीं, जानें कैसे करें उपयोग
  10. Google का अनोखा TV रिमोट, घर में बल्ब की रोशनी से चार्ज होगा, कभी खत्म नहीं होगी बैटरी
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.