कुछ मीठा हो जाए! डार्क चॉकलेट खाने वालों में कम होता है टाइप 2 डायबिटीज का खतरा- स्टडी

स्टडी कहती है कि डार्क चॉकलेट खाने वाले लोगों में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा 21% तक कम होता है!

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Written by हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 8 दिसंबर 2024 21:12 IST
ख़ास बातें
  • डार्क चॉकलेट और मिल्क चॉकलेट में कैलोरी व सेचुरेटेड फैट समान होता है
  • लेकिन डार्क चॉकलेट में रिच पॉलीफेनॉल्स पाए जाते हैं रिस्क कम करते हैं
  • ये नतीजे हरेक चॉकलेट प्रेमी पर लागू नहीं हो सकते हैं

डार्क चॉकलेट खाने वाले लोगों में डायबिटीज टाइप 2 का खतरा कम होता है

Photo Credit: Unsplash

चॉकलेट खाना बहुत से लोगों को पसंद होता है और दुनिया के कई हिस्सों में लोग इसके शौकीन होते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में भी अक्सर चॉकलेट को मीठे के तौर पर खाया जाता है। लोग अक्सर इसे स्वाद के लिए खाते हैं या फिर मीठे के तौर पर खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चॉकलेट आपकी सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है? क्या आपको पता है कि चॉकलेट खाने वाले लोगों में डायबिटीज का खतरा कम होता है? अगर नहीं, तो इस खबर को जरूर पढ़ें। नई स्टडी कहती है कि चॉकलेट खाने वाले लोगों में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा 21% तक कम होता है!

चॉकलेट खाने के ऐसे हेल्थ बेनिफिट्स हो सकते हैं जो आपको चौंका सकते हैं। ऐसा हम नहीं, एक स्टडी कह रही है। शोधकर्ताओं के अनुसार मिल्क चॉकलेट की बजाए रोजाना डार्क चॉकलेट खाने वालों में टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा 21 प्रतिशत तक कम हो जाता है। हार्वर्ड TH चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं ने इस स्टडी को पेश किया है जो कहती है कि डार्क चॉकलेट का सेवन करने से टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क घटता है। पोषण और महामारी विज्ञान विभाग में स्टडी के सह लेखक, एसोसिएट प्रोफेसर Qi Sun के मुताबिक, वे डार्क चॉकलेट और मिल्क चॉकलेट के सेवन करने पर सेहत पर होने वाले प्रभावों के इस अंतर से हैरान थे। 

उन्होंने कहा कि यद्यपि डार्क चॉकलेट और मिल्क चॉकलेट में कैलोरी और सेचुरेटेड फैट समान लेवल में पाया जाता है लेकिन डार्क चॉकलेट में पाए जाने वाले रिच पॉलीफेनॉल्स इसके सैचुरेटेड फैट और शुगर के प्रभाव को मोड़ देते हैं जो कि वजन बढ़ने और डायबिटीज होने का कारण बनते हैं। यह दोनों तरह की चॉकलेट्स में काफी अहम अंतर है और इस बारे में अभी और अधिक स्टडी करने की जरूरत है। 

लेखकों ने बताया कि ये नतीजे उन लोगों के लिए सही नहीं हो सकते हैं जो बहुत अधिक चॉकलेट खाते हैं, और रिसर्च में भाग लेने वाले प्रतिभागियों का चॉकलेट का सेवन राष्ट्रीय मानदंडों की तुलना में मामूली था। यानी हो सकता है कि प्रतिभागियों के द्वारा सेवन की गई चॉकलेट की मात्रा, रोजमर्रा के जीवन में चॉकलेट बहुत अधिक खाने वाले लोगों की तुलना में कम हो। इसलिए ये नतीजे हरेक चॉकलेट प्रेमी पर लागू नहीं हो सकते हैं।
 
 

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हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर ...और भी

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