भविष्य में क्लीन एनर्जी हासिल करने के लिए चीन ‘कृत्रिम सूर्य' के साथ प्रयोग कर रहा है। इसे एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग टोकामक (EAST) कहा जाता है। यह डिवाइस एक फ्यूजन रिएक्टर है। हाल ही में एक टेस्ट में इसे 70 मिलियन डिग्री सेल्सियस तापमान पर लगभग 20 मिनट तक मेंटेन किया गया था। यह मशीन परमाणु संलयन की ताकत का इस्तेमाल करने की कोशिश करती है। इसे कृत्रिम सूर्य इसलिए कहा जाता है, क्योंकि मशीन का सेटअप सूर्य के अंदर असलियत में होने वाले परमाणु रिएक्शंस की नकल करता है। इसमें हाइड्रोजन और ड्यूटेरियम (deuterium) जैसी गैसों को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ये प्रयोग वैज्ञानिकों को ‘असीमित क्लीन एनर्जी' के करीब ला सकता है।
मशीन के रिएक्टर की टेस्टिंग की जा रही है, ताकि इसे सपोर्ट करने वाला हीटिंग सिस्टम अधिक ‘गर्म' और ‘टिकाऊ' हो जाए। इसे चीन ने ही डिजाइन किया और बनाया है। EAST का इस्तेमाल साल 2006 से परमाणु संलयन एक्सपेरिमेंट के लिए किया जा रहा है, लेकिन हाल में जाकर रिसर्चर्स को बड़ी कामयाबी मिली है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बार किए गए प्रयोग में ‘कृत्रिम सूर्य' को 17 मिनट 36 सेकंड तक 70 मिलियन डिग्री सेल्सियस तापमान पर मेंटेन किया गया। यह असली सूर्य की तुलना में लगभग पांच गुना अधिक गर्म है और इसके मूल तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा है।
यह प्रयोग चीन के पूर्वी प्रांत ‘अनहुई' (Anhui) में हेफेई इंस्टिट्यूट ऑफ फिजिकल साइंस में हुआ। EAST एक्सपेरिमेंट के इन-चार्ज गोंग जियानजू (Gong Xianzu) ने कहा कि ‘यह प्रयोग रिएक्टर चलाने की दिशा में ठोस वैज्ञानिक नींव रखता है।' न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 10,000 से अधिक चीनी और विदेशी साइंटिफिक रिसर्चर 948 मिलियन डॉलर (लगभग 7,060 करोड़ रुपये) के इस प्रोजेक्ट का हिस्सा थे। पिछले साल दिसंबर में शुरू हुए यह प्रयोग इस साल जून तक चलने की उम्मीद है।
इंस्टिट्यूट ऑफ प्लाज्मा फिजिक्स के डायरेक्टर सोंग यूंताओ (Song Yuntao) ने कहा कि अब से पांच साल बाद हम अपने फ्यूजन रिएक्टर का निर्माण शुरू करेंगे। इसमें 10 साल का समय लगेगा। उनका मानना है कि इस एक्सपेरिमेंट से साल 2040 तक बिजली का उत्पादन शुरू किया जा सकेगा।