दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी नासा (Nasa) को अब चीन से सीधी टक्कर मिलने वाली है। दरअसल, चीन अंतरिक्ष में अपना स्थायी स्टेशन तैयार कर रहा है। मंगलवार को चीन के स्पेस स्टेशन के तीसरे और आखिरी मॉड्यूल को सफलता के साथ डॉक कर दिया गया। चीन की सरकारी मीडिया ने कहा कि यह देश की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। इस साल के आखिर तक चीन के अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण पूरा होने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
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रिपोर्ट्स के अनुसार, मेंगटियन (Mengtian) नाम का मॉड्यूल मंगलवार सुबह तियांगोंग स्टेशन पर पहुंचा।
इसे सोमवार की दोपहर हैनान प्रांत के वेनचांग सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से लॉन्च किया गया था। उड़ान और डॉकिंग मिशन को पूरा होने में लगभग 13 घंटे लगने की उम्मीद थी। इस लॉन्च को कामयाब होता हुआ देखने के लिए बड़ी संख्या में मौके पर लोग जमा हुए थे। लोगों ने झंडे लहराकर मिशन की हौसलाफजाई की।
चीन का अंतरिक्ष स्टेशन जब पूरी तरह से तैयार होकर काम करने लगेगा, तो वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर निर्भर नहीं रहेगा। चीन को साल 2011 से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से बाहर रखा गया है। चीनी स्पेस स्टेशन तियांगोंग का निर्माण पूरा होने के बाद अब चीन, अमेरिका, रूस और यूरोप की तरह ही अंतरिक्ष में अपना दबदबा दिखा पाएगा।
मंगलवार को चीन के जिस तीसरे मॉड्यूल ‘मेंगटियन' को लॉन्च किया गया, वह 58.7 फुट लंबी और लगभग 22 मीट्रिक टन वजनी एक संरचना है। इसे मुख्य रूप से साइंस रैक और प्रयोगों की एक सीरीज को लीड करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस मॉड्यूल में दो सौर सरणियां (solar arrays) भी लगी हैं, जिनके पंख 180 फीट से भी ज्यादा हैं। इनसे तियांगोंग स्पेस स्टेशन को पावर मिलेगी।
चीन की योजना तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन पर कम से कम एक दशक तक टिके रहने की है। वह वहां कमर्शल मिशनों और पर्यटकों के लिए ऑर्बिटल फैसिलिटी शुरू करना चाहता है। कहा जाता है कि स्पेस स्टेशन का काम पूरा होने के बाद यह विजिटिंग कार्गो, चालक दल और डॉकिंग स्पेसक्राफ्ट के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से लगभग 20 गुना बड़ा होगा। इसका वजन करीब 460 टन होगा।