अंतरिक्ष मिशन में फेल हुआ ब्रिटेन तो आनंद महिंद्रा को याद आया ISRO, कही यह बात

ब्रिटेन से उड़ान भरने वाला पहला ऑर्बिटल मिशन 'द स्टार्ट मी अप' फेल हो गया है। मिशन को वर्जिन ऑर्बिट नाम की कंपनी ने लॉन्‍च किया था।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, Edited by आकाश आनंद, अपडेटेड: 10 जनवरी 2023 15:58 IST
ख़ास बातें
  • ब्रिटेन का 'द स्टार्ट मी अप' मिशन हुआ फेल
  • इसके बाद आनंद महिंद्रा ने किया ट्वीट
  • इसरो के मिशनों की सराहना की

कंपनी ने बताया है कि तकनीकी खराबी के कारण रॉकेट ऑर्बिट में नहीं पहुंच पाया।

ब्रिटेन से उड़ान भरने वाला पहला ऑर्बिटल मिशन 'द स्टार्ट मी अप' फेल हो गया है। मिशन को वर्जिन ऑर्बिट नाम की कंपनी ने लॉन्‍च किया था। कंपनी ने बताया है कि तकनीकी खराबी के कारण रॉकेट ऑर्बिट में नहीं पहुंच पाया। ब्रिटेन का स्‍पेस मिशन फेल होने के बाद भारत के अरबपति बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा ने एक ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में महिंद्रा समूह के चेयरमैन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) की सराहना की है। 

आनंद महिंद्रा ने ट्वीट किया, मैं यह मानता हूं कि यह एक अलग तरह का ऑर्बिटल लॉन्‍च था। ऐसे मामलों से हमें एहसास होता है कि हमें इसरो के लॉन्च रिकॉर्ड की कितनी सराहना करनी चाहिए। ब्रिटेन के इस स्‍पेस मिशन की हौसलाफजाई के लिए सैकड़ों की संख्‍या में लोग इकट्ठा हुए थे। हालांकि यह मिशन वाकई में मुश्किल था। 
 

मिशन को सफल बनाने के लिए वर्जिन कंपनी ने अपने एक विमान 747 बोइंग में बदलाव किए थे। विमान को रॉकेट ले जाने वाले प्‍लेन में बदल दिया गया था। विमान को कॉस्मिक गर्ल नाम दिया गया था। ब्रिटेन में इस लॉन्‍च को लेकर आम लोग काफी उत्‍साहित थे। लोगों को और ब्रिटिश सरकार को भी यह उम्‍मीद थी कि लॉन्‍च सफल रहेगा। 

मिशन के तहत 35 हजार फीट की ऊंचाई पर जाने के बाद विमान को उसके विंग के नीचे लगे रॉकेट को रिलीज करना था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह मिशन कुछ दूरी तक तो सही से चला, लेकिन ऐन वक्‍त पर गडबड़ी हो गई। बताया जाता है कि यह गड़बड़ी रॉकेट को रिलीज करने के दौरान हुई। इस वजह से मिशन फेल हो गया। ब्रिटिश मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, देश के कई नेता इस मिशन को लेकर सफलताओं से भरे दावे कर रहे थे। मिशन के फेल होने से वर्जिन ऑर्बिट कंपनी को भी झटका लगा है। 
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ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन का भी इस कंपनी में मालिकाना हक है। अमेरिका से बाहर कंपनी का यह पहला मिशन था। उसने 9 छोटे सैटेलाइट्स को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में तैनात करने की योजना बनाई थी।
 

 

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