दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज में ‘जिंदगी’ बिताने वाले खगोलशास्त्री फ्रैंक ड्रेक का निधन, जानें उनके बारे में

फ्रैंक ड्रेक ने 1960 के दशक में पृथ्‍वी से बाहर दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश में काफी काम किया। उनकी बेटी नादिया ड्रेक ने अपने पिता की मौत की पुष्टि की।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 6 सितंबर 2022 17:02 IST
ख़ास बातें
  • एक्स्ट्रटरेस्ट्रीअल इंटेलिजेंस के सिग्‍नलों का पता लगाने के लिए किया काम
  • उन्होंने बृहस्पति की रेडिएशन बेल्ट की खोज में भी हिस्सा लिया
  • कई स्‍टडी के आब्‍जर्वेशन में भी उन्‍होंने अहम भूमिका निभाई

फ्रैंक ड्रेक को उनके ‘ड्रेक इक्‍वेशन’ के लिए भी जाना जाता है, जिसे उन्होंने 1961 में हमारी आकाशगंगा में अलौकिक सभ्यताओं की संख्या का अनुमान लगाने के लिए तैयार किया था।

प्रसिद्ध रेडियो खगोलशास्त्री फ्रैंक ड्रेक (Frank Drake) का 2 सितंबर को 92 वर्ष की आयु में अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित घर में निधन हो गया। फ्रैंक ड्रेक को एक्स्ट्रटरेस्ट्रीअल इंटेलिजेंस (SETI) की खोज के लिए किए गए अग्रणी प्रयासों के लिए जाना जाता है। फ्रैंक ड्रेक ने 1960 के दशक में पृथ्‍वी से बाहर दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश में काफी काम किया। उनकी बेटी नादिया ड्रेक ने अपने पिता की मौत की पुष्टि की। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और साइंस के डीन रहे फ्रैंक ड्रेक के निधन पर यूनिवर्सिटी में लंबे समय से SETI रिसर्चर रहे डैन वर्थिमर ने कहा कि फ्रैंक ने उन्‍हें और लाखों पृथ्वीवासियों को यह सोचने के लिए प्रेरित किया कि ‘क्या कोई बाहर है?' उन्होंने कहा कि अगर हम पृथ्‍वी के बाहर कभी परग्रहियों का पता लगा पाते हैं, तो हमें फ्रैंक को धन्यवाद देना होगा।

रिपोर्ट्स के अनुसार,  फ्रैंक ड्रेक को उनके ‘ड्रेक इक्‍वेशन' के लिए भी जाना जाता है, जिसे उन्होंने 1961 में हमारी आकाशगंगा में अलौकिक सभ्यताओं की संख्या का अनुमान लगाने के लिए तैयार किया था। ड्रेक उस समय वेस्ट वर्जीनिया के ग्रीन बैंक में नेशनल रेडियो एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी (NRAO) में टेलीस्कोप ऑपरेशंस के प्रमुख थे। जहां 1960 उन्होंने एक्स्ट्रटरेस्ट्रीअल सोर्सेज से रेडियो सिग्‍नल्‍स की पहली संगठित खोज की थी। इसे प्रोजेक्ट ओजमा के नाम से भी जाना जाता है।  

अपने पूरे करियर के दौरान ड्रेक ने एक्स्ट्रटरेस्ट्रीअल इंटेलिजेंस के सिग्‍नलों का पता लगाने के तरीकों को रिफाइन करने का काम किया। उन्होंने बृहस्पति की रेडिएशन बेल्ट की खोज में भी हिस्सा लिया और कई स्‍टडी के आब्‍जर्वेशन में अहम भूमिका निभाई।

पृथ्वी से स्‍पेस में जानबूझकर भेजा गया पहला इंटरस्‍टील मैसेज भी ड्रेक ने बनाया था। इसे "अरेसीबो मैसेज" (Arecibo message) के रूप में जाना जाता है। इस मैसेज को साल 1974 में अरेसीबो ऑब्‍जर्वेट्री से रेडियो वेव्‍स के जरिए प्रसारित किया गया था। 

1930 में शिकागो में जन्मे ड्रेक ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग फ‍िजिक्‍स में बी.ए. किया था। इसके बाद उन्‍होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से खगोल विज्ञान में एम.ए. और पीएच.डी. की डिग्री ली। साल 1952 से 1955 तक उन्‍होंने अमेरिकी नेवी में एक इलेक्ट्रॉनिक्स अधिकारी के रूप में भी काम किया था। उन्‍होंने नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में लूनार एंड प्‍लैनेटरी साइंस सेक्‍शन के प्रमुख के रूप में भी काम किया था। वह कॉर्नेल सेंटर फॉर रेडियोफिजिक्स एंड स्पेस रिसर्च के असोसिएट डायरेक्‍टर और 1966 से 1968 तक प्यूर्टो रिको में अरेसिबो ऑब्‍जर्वेट्री के डायरेक्‍टर भी रहे। कई और महत्‍वपूर्ण संस्‍थानों में भी उन्‍होंने सेवाएं दीं। 
 

 

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प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ ...और भी

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