एलियंस (Aliens) का नाम सुनते ही जेहन में ऐसी आकृति उभरती है, जो इंसानों जैसी तो बिलकुल भी नहीं। इस विषय को हमेशा सनसनीखेज तरीके से पेश किया जाता है, जबकि हम यह नहीं जानते कि एलियंस कैसे दिखते हैं? हमारे प्रति उनका स्वभाव किस तरह का हो सकता है। दुनियाभर के
वैज्ञानिक वर्षों से इस खोज में जुटे हैं कि पृथ्वी के अलावा और कहां जीवन है? अगर एलियंस हैं तो वो कहां हैं? इस खोज में रडार और सैटेलाइट्स की मदद ली जा रही है। संभावित सिग्नलों को ट्रेस किया जा रहा है, जो एलियंस के हो सकते हैं। लेकिन एक स्टडी में कहा गया है कि कुछ इसी तरह से एलियंस हम तक पहुंच सकते हैं।
रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मासिक नोटिस (Royal Astronomical Society) में
पब्लिश स्टडी में बताया गया है कि मोबाइल टावर के सिग्नलों का इस्तेमाल करके एलियंस हमें ढूंढने में सक्षम हो सकते हैं। गौरतलब है कि बीते एक दशक में पृथ्वी पर मोबाइल फोन नेटवर्क का जाल बिछाया गया है। इसके लिए हर देश ने अपने यहां लाखों की संख्या में रेडियो ट्रांसमिशन टावर (radio transmission towers) इंस्टॉल किए हैं, जिन्हें आमतौर पर मोबाइल टावर भी कहा जाता है।
क्योंकि हमारी पृथ्वी पर लाखों की संख्या में मोबाइल टावरों की मौजूदगी है, इसलिए इनसे निकलने वाले रेडियो सिग्नलों का कुछ हिस्सा अंतरिक्ष में भी चला जाता है। स्टडी कहती है कि अगर एलियंस के पास भी तकनीक मौजूद है और वो रेडियो एस्ट्रोनॉमी से जुड़ी क्षमताओं से लैस हैं, तो पृथ्वी से निकले सिग्नलों का पता एक दर्जन प्रकाश वर्ष या उससे भी कम वक्त में लगाया जा सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, रेडियो सिग्नलों का सबसे ज्यादा लीकेज मिलिट्री रडार से होता है। उसके बाद आता है मोबाइल फोन टावरों का नंबर, क्योंकि इनकी तादात बढ़ती जा रही है। हालांकि एलियंस हम तक तभी पहुंच पाएंगे, जब वो तकनीकी रूप से साधन संपन्न हों। स्टडी में यह नहीं बताया गया है कि एलियंस के पास हाइटेक तकनीक होने की कितनी संभावना है। शोध कहता है कि पृथ्वी के नजदीकी स्टार सिस्टम में अगर एलियंस हैं, तो वो सेल फोन टावरों से रेडियो संकेतों का पता लगा सकते हैं।