90 हजार तस्वीरें जोड़ने के बाद दिखा सूर्य का यह ‘रूप', जानें किसने और कैसे किया कारनामा
बीते कुछ वक्त से हमारा सूर्य ‘बौखलाया' हुआ है। विज्ञान इसे सूर्य का एक्टिव फेज कहता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के अनुसार, सूर्य अपने 11 साल के सौर चक्र से गुजर रहा है। साल 2025 तक उसमें कई हलचलें देखने को मिलेंगी। तमाम देशों की स्पेस एजेंसियां, स्पेसक्राफ्ट्स सूर्य पर निगाह बनाए हुए हैं। सूर्य की एक अनोखी तस्वीर भी सामने आई है। इस तस्वीर को दो एस्ट्रोफोटोग्राफर्स ने मिलकर तैयार किया गया है। इस काम में उन्होंने नासा के डेटा का इस्तेमाल किया।
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27 साल पुराना स्पेसक्राफ्ट आया काम
सूर्य की नई तस्वीर अविश्वसनीय है। करीब 90 हजार सैटेलाइट इमेजेस को जोड़कर इस एक तस्वीर को तैयार किया गया है। जानेमाने एस्ट्रोफोटोग्राफर्स, एंड्रयू मैककार्थी और जेसन गुएंज ने सूर्य की यह तस्वीर बनाई है। इसमें हमारे तारे की उग्र सतह को देखा जा सकता है। तस्वीर तैयार करते समय एस्ट्रोफोटोग्राफर्स ने खुद की खींची हुई कुछ इमेज भी इस्तेमाल कीं। बाकी तस्वीरें ‘सोलर एंड हेलिओस्फेरिक ऑब्जर्वेट्री' की थीं। यह एक स्पेसक्राफ्ट है, जिसे नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने साल 1995 में लॉन्च किया था।
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कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से जोड़ी तस्वीरें
एंड्रयू मैककार्थी और जेसन गुएंज ने ‘सोलर एंड हेलिओस्फेरिक ऑब्जर्वेट्री' द्वारा ली गईं 90 हजार इमेजेस को जोड़कर सूर्य की उग्र सतह को एक फोटो में तैयार किया। उन्होंने इसे ‘फ्यूज़न ऑफ हेलियोस' कहा है। लाइव साइंस के अनुसार, मैककार्थी ने कहा कि वह सूर्य का एक मोज़ेइक तैयार करना चाहते थे। इस काम की सबसे बड़ी चुनौती सूर्य दोनों तरह की तस्वीरें हासिल करना था, जिसमें उसका कोरोना भी दिखाई दे और क्रोमोस्फीयर भी। तस्वीर को तैयार करने के लिए एस्ट्रोफोटोग्राफर्स ने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद ली। 90 हजार फोटो को एकसाथ मर्ज कर तस्वीर तैयार की गई।
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कोरोनल होल बढ़ा चुका है वैज्ञानिकों की टेंशन
बीते दिनों सूर्य में पृथ्वी से 20 गुना बड़ा कोरोनल होल (Coronal Hole) दिखाई देने के बाद वैज्ञानिक अलर्ट हो गए थे। कोरोनल होल एक काला धब्बा होता है, जो सूर्य के सबसे बाहरी स्फेयर ‘कोरोना' में एक छेद के रूप में दिखाई देता है। एक सप्ताह के अंदर सूर्य में दूसरा ‘कोरोनल होल' दिखाई दिया था। सूर्य से सोलर फ्लेयर (Solar Flare) निकलने की घटनाएं भी बढ़ी हैं। ऐसी कई घटनाओं ने पृथ्वी पर अस्थायी रेडियो ब्लैकआउट किया है। सोलर फ्लेयर के साथ-साथ कोरोनल मास इजेक्शन और सोलर विंड भी पृथ्वी को प्रभावित कर रही हैं।
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सोलर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन क्या है?
जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। वहीं, कोरोनल मास इजेक्शन या CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं। तस्वीरें, Andrew McCarthy & Jason Guenzel और Nasa से। शुरुआती 3 तस्वीरें आज की खबर के संदर्भ में हैं। अन्य सांकेतिक।
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90 हजार तस्वीरें जोड़ने के बाद दिखा सूर्य का यह ‘रूप', जानें किसने और कैसे किया कारनामा