केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी करने के तौर-तरीकों को मंजूरी दी है और जुलाई के आखिर तक 72097.85 MHz रेडियो वेव्स को ब्लॉक में डाल दिया जाएगा। कैबिनेट ने मशीन-टू-मशीन कम्युनिकेशन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI),ऑटोमोटिव, हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर, एनर्जी और अन्य क्षेत्रों जैसी नई इंडस्ट्री ऐप्लिकेशन और टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए 'प्राइवेट कैप्टिव नेटवर्क' की ग्रोथ और लगाने का भी फैसला किया। 5G आने के बाद देश की टेलीकॉम इंडस्ट्री में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। निश्चित तौर पर 5G से इंटरनेट स्पीड का अनुभव तो बढ़ने वाला ही है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इसका असर यूजर्स की जेब पर भी पड़ेगा।
देश में तीन सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियां Airtel, Jio और Vi (पहले वोडाफोन-आइडिया) 5G ट्रायल कर लिया है। फिलहाल सर्विस कब शुरू होगी, इसका फैसला अभी TRAI द्वारा लिया जाना बाकी है। फर्स्ट फेज में 5G इंटरनेट दिल्ली, गुरुग्राम, चंडीगढ, अहमदाबाद, हैदराबाद, मुंबई, पुणे, लखनऊ, जामनगर, कोलकाता, गांधीनगर, बेंगलुरु और चेन्नई में जारी किया जाएगा।
फिलहाल इस बात की जानकारी तो नहीं है कि 5G प्लान्स की कीमत क्या होगी, लेकिन यह अंदाजा लगाना गलत नहीं होगा कि ये 4G के मौजूदा प्लान से कई गुना ज्यादा महंगे होंगे। यह कुछ इस तरह है, जैसे 3G से 4G पर शिफ्ट करने का असर लोगों की जेब पर पड़ा था। यहां तक कि अभी भी समय-समय पर टेलीकॉम कंपनियां अपने 4G टैरिफ प्लान की कीमतों को बढ़ाती जा रही हैं। ग्लोबल 5G टैरिफ पर भी नजर डालें, तो यह स्पष्ट दिखता है कि 5G सर्विस 4G की तुलना में काफी महंगा है। भारत सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर्स के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर आता है। इसमें कोई शक नहीं है कि देश में टेलीकॉम कंपनियों के बीच जबरदस्त प्रतियोगिता है और आगे भी जारी रहेगी। ऐसे में देखना होगा कि सबसे ज्यादा 5G सब्सक्राइबर्स जोड़ने में कौन-सी कंपनी बाजी मारती है। यहां ज्यादा सब्सकाइबर्स जोड़ने का मतलब है, सस्ते 5G प्लान मुहैया कराना, जैसा 4G के मामले में Jio ने करके दिखाया है।
पिछले महीने बोफा सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि रिलायंस जियो (Reliance Jio) और भारती एयरटेल (Bharti Airtel) पूरे देश में 5G स्पेक्ट्रम खरीदने की स्थिति में हैं, लेकिन वोडाफोन-आइडिया (Vodafone Idea) की बोली को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऊंचे रिजर्व प्राइस की वजह से कोई भी नया टेलिकॉम ऑपरेटर 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में बोली लगाने से बचेगा। सिर्फ बड़ी कंपनियां जैसे- रिलायंस और एयरटेल ही देशभर में 5G स्पेक्ट्रम खरीदने की स्थिति में हैं। हालांकि यह साफ नहीं है कि वोडाफोन-आइडिया 5G के लिए किस तरह से फंड लाएगा। रिसर्च विश्लेषकों का मानना है कि Vi के मैनेजमेंट ने टॉप सर्किलों पर फोकस किया है। वह अपने प्रमुख 3G और 4G सर्किलों में चुनिंदा बोली लगा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया था कि 5G के बाद Vi और ज्यादा कमजोर होगा, क्योंकि उसके पास पैन इंडिया लेवल पर 5G स्पेक्ट्रम नहीं होगा।
दुनिया में सबसे पहले साउथ कोरिया ने दिसंबर 2018 में 5G सर्विस लॉन्च की। इसके बाद मई 2019 में स्विट्जरलैंड, UK और अमेरिका ने भी 5G शुरू कर गी है। अब तक 61 से ज्यादा देशों में 5G सर्विस का लुत्फ उठाया जा रहा है। इ5G एक वायरलेस ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा है, जो वेव (तरंगों) के जरिए हाई स्पीड इंटरनेट सेवा मुहैया कराती है, जिसमें लो फ्रीक्वेंसी बैंड, मिड फ्रीक्वेंसी बैंड: और हाई फ्रीक्वेंसी बैंड शामिल हैं। लो फ्रीक्वेंसी बैंड में ज्यादा करवेज, लेकिन 100 Mbps स्पीड मिलती है। वहीं, मिड फ्रीक्वेंसी बैंड में लो फ्रीक्वेंसी बैंड से कम कवरेज, लेकिन 1.5 Gbps स्पीड और हाई फ्रीक्वेंसी बैंड में सबसे कम कवरेज, लेकिन सबसे ज्यादा 20 Gbps तक स्पीड मिलती है।
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