भारत में चाइनीज स्मार्टफोन मेकर Xiaomi के 44 करोड़ डॉलर से अधिक के डिपॉजिट पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से लगाई गई रोक कर्नाटक की एक अदालत ने हटा दी है। टैक्स की कथित चोरी के कारण एक जांच के हिस्से के तौर पर फरवरी में यह रोक लगाई गई थी। कोर्ट के फैसले के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिली है।
इस बारे में शाओमी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को Reuters की ओर से भेजे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं मिला। कंपनी पर देश में बढ़ाई गई कॉस्ट पर कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स से स्मार्टफोन खरीदने का आरोप था। इससे कंपनी ने रिकॉर्ड में कम प्रॉफिट दिखाकर कस्टमर्स को स्मार्टफोन्स की बिक्री की थी और कॉरपोरेट इनकम टैक्स बचाया था। कंपनी के खिलाफ एक अन्य मामले में भी 66 करोड़ डॉलर से अधिक फंड पर रोक लगी है। इस मामले में
शाओमी पर गैर कानूनी तरीके से विदेश में रेमिटेंस का आरोप है। इस मामले में शाओमी ने चुनौती दी है जिस पर कोर्ट का फैसला लंबित है। भारत में कंपनी की यूनिट पर अपने बैंकर Deutsche Bank को वर्षों तक गलत जानकारी देने का आरोप लगा है। कंपनी ने दावा किया था कि उसका रॉयल्टी की पेमेंट के लिए एग्रीमेंट है, जबकि ऐसा कुछ नहीं था। कंपनी के खिलाफ जांच में पाया गया है कि उसने रॉयल्टी की 'मद' में अमेरिकी चिप कंपनी Qualcomm और अन्यों को 'गैर कानूनी' तरीके से रकम भेजी थी।
शाओमी का पिछली तिमाही में रेवेन्यू लगभग 10 प्रतिशत घटा था। कंपनी की बिक्री पर ग्लोबल
स्मार्टफोन मार्केट की मंदी और चीन में डिमांड घटने का असर पड़ा है। इसके मोबाइल डिवाइसेज की बिक्री में लगभग 11 प्रतिशत की कमी हुई है। जुलाई-सितंबर के दौरान कंपनी की सेल्स 70.5 अरब युआन (लगभग 80,900 करोड़ रुपये) की रही। हालांकि, कंपनी की सेल्स अनुमान से कुछ अधिक रही है लेकिन कंपनी को हुआ लगभग 1.5 अरब युआन का नेट लॉस हैरान करने वाला है।
चीन में जीरो कोविड पॉलिसी के कारण टेक कंपनियों की मुश्किलें बढ़ी हैं। इससे सप्लाई चेन में रुकावट आई है। इसके अलावा इन्फ्लेशन बढ़ने और इकोनॉमिक ग्रोथ कम होने से इलेक्ट्रॉनिक्स की डिमांड घट रही है। शाओमी ने यूरोप में मार्केट शेयर बढ़ाने में सफलता पाई है। इसके अलावा भारत में भी यह स्मार्टफोन मार्केट की टॉप कंपनियों में शामिल है।