फेसबुक में 2-3 दिन पहले जॉइन करने वाले कुछ भारतीय IT प्रोफेशनल हुए छंटनी का शिकार

Meta ने कॉस्ट घटाने के लिए ग्लोबल लेवल पर छंटनी की है। कंपनी को इस वर्ष रेवेन्यू के साथ ही यूजर्स की संख्या घटने से भी नुकसान उठाना पड़ा है

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 11 नवंबर 2022 15:19 IST
ख़ास बातें
  • भारत में मेटा का स्टाफ भी अपनी स्थिति को लेकर असमंजस में है
  • महामारी के दौरान टेक कंपनियों का बिजनेस तेजी से बढ़ा था
  • इसका असर कंपनियों के वैल्यूएशंस पर भी दिखा था
सोशल मीडिया साइट फेसबुक को चलाने वाली कंपनी Meta में 11,000 से अधिक वर्कर्स की छंटनी की चपेट में कुछ ऐसे भारतीय प्रोफेशनल भी आए हैं जिन्होंने कुछ दिन पहले ही कंपनी जॉइन की थी। Meta ने कॉस्ट घटाने के लिए ग्लोबल लेवल पर छंटनी की है। कंपनी को इस वर्ष रेवेन्यू के साथ ही यूजर्स की संख्या घटने से भी नुकसान उठाना पड़ा है। 

मेटा में दो दिन पहले जॉइन करने वाली सॉफ्टवेयर इंजीनियर Neelima Agarwal ने प्रोफेशनल नेटवर्क साइट Linkedin पर पोस्ट में बताया है कि वह उन लोगों में शामिल हैं जिनकी जॉब गई है। उन्होंने कहा, "मैं एक सप्ताह पहले ही भारत से कनाडा शिफ्ट हुई थी और वीजा की लंबी प्रक्रिया के बाद दो दिन पहले मेटा में जॉब शुरू की थी। मुझे कंपनी से हटा दिया गया है।" Linkedin पर नीलिमा के प्रोफाइल से पता चलता है कि उन्होंने इससे पहले माइक्रोसॉफ्ट के हैदराबाद ऑफिस में दो वर्ष तक काम किया था। 

Amazon के बेंगलुरू ऑफिस में तीन वर्ष से अधिक काम करने के बाद विश्वजीत झा ने तीन दिन पहले मेटा में जॉब शुरू की थी और उन्हें भी कंपनी से बाहर कर दिया गया है। झा ने कहा, "मैंने वीजा के लिए लंबा इंतजार करने के बाद तीन दिन पहले मेटा को जॉइन किया था। ऐसा होना दुखद है। मैं छंटनी की चपेट में आए सभी लोगों के साथ हूं।" मेटा की ओर से गई छंटनी में विशेष देश में प्रभावित वर्कर्स की संख्या का खुलासा नहीं किया गया है। भारत में कंपनी का स्टाफ भी अपनी स्थिति को लेकर असमंजस में है। मेटा के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर, Mark Zuckerberg के छंटनी की जानकारी देने के बाद से कंपनी के एग्जिक्यूटिव्स की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

महामारी के दौरान टेक कंपनियों का बिजनेस तेजी से बढ़ा था और इसका असर उनके वैल्यूएशंस पर भी दिखा था। इस वर्ष इन्फ्लेशन और इंटरेस्ट रेट्स में बढ़ोतरी से इन कंपनियों के वैल्यूएशंस में काफी गिरावट आई है। एंप्लॉयीज को भेजे पत्र में जकरबर्ग ने कहा है, "मैक्रो इकोनॉमिक स्थितियों के कमजोर होने, कॉम्पिटिशन बढ़ने और विज्ञापनों में कमी से हमारा रेवेन्यू अनुमान से बहुत कम रहा है। मुझसे गलती हुई है और मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं।" उन्होंने कहा कि कंपनी को अपने रिसोर्सेज AI, विज्ञापनों और मेटावर्स प्रोजेक्ट जैसे ग्रोथ की अधिक संभावना वाले एरिया में लगाने की जरूरत  है। कंपनी से हटाए जाने वाले स्टाफ को 16 सप्ताह की बेस पे के साथ ही प्रत्येक वर्ष की सर्विस के लिए दो अतिरिक्त सप्ताह की बेस पे दी जाएगी। इसके अलावा छह महीने की हेल्थकेयर कॉस्ट का भी कंपनी भुगतान करेगी। 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
 

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