टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली कंपनी Ericsson ने बड़ी छंटनी की घोषणा की है। कंपनी ने 8500 कर्मचारियों को वर्कफोर्स से कम करने का ऐलान कर दिया है। इस संबंध में कर्माचारियों को सूचना भी दिए जाने की बात सामने आई है। कर्मचारियों की छंटनी के पीछे के कारण के संबंध में कंपनी का मकसद कॉस्ट कटिंग बताया गया है।
2023 में
छंटनी की ओर कदम बढ़ाने वाली कंपनियों टेलीकॉम इक्विपमेंट बनाने वाली
Ericsson का नाम भी शामिल हो गया है। रॉयटर्स की
रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी 8500 कर्मचारियों की छंटनी करने जा रही है। कंपनी के चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर बॉर्जे एक्हॉम ने मेमो के जरिए बताया है कि कर्मचारियों को उस देश में चल रही कंपनी की स्थिति के अनुसार कम किया जाएगा। कई देशों में तो इस हफ्ते के अंदर ही कर्मचारियों को कम करने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।
बीते सोमवार को कंपनी ने अपने 1,05,000 कर्मचारियों के वर्कफोर्स में से स्वीडन में 1400 कर्मचारियों को घटाने की घोषणा की थी। हालांकि कंपनी ने अभी तक इस बात को स्पष्ट नहीं किया है कि किस क्षेत्र में सबसे ज्यादा छंटनी की जाएंगी। वहीं, एनालिस्टों का मानना है कि फर्म नॉर्थ अमेरिका में सबसे ज्यादा छंटनियां कर सकती है। वहीं, उभरते मार्केट्स जैसे भारत आदि में इसका असर सबसे कम देखने को मिल सकता है।
Ericsson की ओर से दिसंबर में घोषणा की गई थी कि वह अपने खर्चे को 7300 करोड़ रुपये तक घटाने की योजना पर प्लान कर रही है। यह कॉस्ट कटिंग कंपनी 2023 के अंत तक जारी रखेगी क्योंकि ग्लोबल लेवल पर डिमांड घटती जा रही है। इसका सीधा कारण महामारी से जोड़कर देखा जा रहा है। महामारी के दौरान जहां टेलीकॉम इक्विपमेंट्स की डिमांड एकदम से आसमान छूने लगी थी, ऐसे में अब डिमांड में लगातार कमी आती जा रही है। इसलिए कंपनियां छंटनी की ओर रुख कर रही हैं।
इससे पहले एरिक्सन के चीफ फाइनेंशिअल ऑफिसर कार्ल मेलेंडर ने रॉयटर्स को बताया था कि कॉस्ट कटिंग की प्रक्रिया में कंसल्टेंट्स की संख्या कम की जाएगी, रीयल एस्टेट और एम्प्लोयी हेड काउंट यानि कि कर्मचारियों की संख्या भी घटाई जाएगी। इससे पहले
Microsoft,
Meta और
Alphabet,
Google भी हजारों की संख्या में कर्मचारियों को वर्कफोर्स से कम कर चुकी हैं।