अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे क्रिप्टो मार्केट को 1 जुलाई से भारत में नए टैक्स का सामना करना होगा। केंद्र सरकार ने बजट 2022-23 में 30 फीसदी टैक्स रेट को पेश किया था। अब 1 जुलाई से एक साल में 10 हजार रुपये से अधिक की डिजिटल संपत्ति या क्रिप्टोकरेंसी के भुगतान पर एक प्रतिशत स्रोत पर TDS लगाया जाएगा। टीडीएस कटौती सभी वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) ट्रांसफर पर लागू होगी, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी और नॉन फंजिबल टोकन (NFT) शामिल हैं। याद रहे कि 10 हजार रुपये से अधिक की कीमत पर TDS लगेगा। इनकम टैक्स एक्ट के नए क्लॉज 47A में VDA को किसी भी सूचना, कोड, संख्या या टोकन के रूप में परिभाषित किया गया है। इसमें क्रिप्टोकरेंसी और नॉन फंजिबल टोकन शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022-23 में 1 फीसदी TDS कटौती का ऐलान किया था। बीच में इसे लेकर कुछ अस्पष्टता हुई। 22 जून को IT डिपार्टमेंट ने साफ किया कि वर्चुअल डिजिटल असेट्स पर 1 फीसदी TDS रहेगा। वो निवेशक जो क्रिप्टोकरेंसी से फायदा नहीं कमा रहे, उन्हें भी टैक्स चुकाना होगा।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने साफ किया है कि TDS को विदहोल्ड करने की जिम्मेदारी सेलर को पेमेंट करने वाले शख्स की होगी, यानी वह बायर हो सकता है कोई एक्सचेंज या फिर ब्रोकर। इसका मतलब यह है कि TDS को सेलिंग प्राइस से काटा जाएगा और TDS काटने के बाद बाकी अमाउंट सेलर को ट्रांसफर किया जाएगा।
ऐसे ट्रांजैक्शंस जिनमें सीधे बायर और सेलर की भूमिका है, उस स्थिति में बायर को आईटी अधिनियम की धारा 194 एस के तहत टैक्स डिडक्शन की जरूरत होगी।
ब्रोकर या एक्सचेंज के जरिए VDA का ट्रांसफर किए जाने की स्थिति में टैक्स काटने का काम एक्सचेंज का होगा। ऐसे केस में जिनमें ब्रोकर शामिल है, लेकिन वह सेलर नहीं है, टैक्स काटने की जिम्मेदारी ब्रोकर और एक्सचेंज दोनों पर होगी।
गौरतलब है कि भारतीय क्रिप्टो मार्केट तमाम अनिश्चितताओं और नए नियमों की वजह से कठिन दौर देख रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, भारत की क्रिप्टो इंडस्ट्री के कई बड़े नाम अपने कर्मचारियों की छंटनी कर रहे हैं। ज्यादातर भारतीय बिजनेसेज सावधानी से चलने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि वो इस सेक्टर के लिए पेश किए जाने वाले नए टैक्स रेट की तैयारी कर रहे हैं। भारत के सबसे तेजी से बढ़ते क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों में से एक वजीरएक्स (WazirX) पर ट्रेडिंग वॉल्यूम नए टैक्स रेगुलेशंस की वजह से पिछले साल अक्टूबर के मुकाबले 95 फीसदी गिर गया है। हाल ही में वॉल्ड ने भी 30 फीसदी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है। अनुमान है कि अकेले जून महीने में इस इंडस्ट्री से 1700 लोग बाहर हुए हैं।