80 से ज्यादा फैक्ट चेकिंग संगठनों ने यूट्यूब (YouTube) को लिखे पत्र में उसके प्लेटफॉर्म पर गलत सूचनाओं की बात कही है। CEO सुसान वोज्स्की को लिखे पत्र में इन संगठनों का कहना है कि Google के स्वामित्व वाला वीडियो प्लेटफॉर्म ‘दुनिया भर में ऑनलाइन दुष्प्रचार और गलत सूचना के प्रमुख माध्यमों में से एक है।' संगठनों का कहना है कि समस्या के समाधान के लिए YouTube के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि YouTube अपने मंच को बेईमान लोगों द्वारा दूसरों से हेरफेर करने, शोषण करने की अनुमति दे रहा है। फैक्ट चेकिंग संगठनों का कहना है कि गैर-अंग्रेजी भाषी देशों में यह समस्या विशेष रूप से व्याप्त है।
एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, सभी फैक्ट चेकर्स, इंटरनेशनल फैक्ट चेकिंग नेटवर्क के मेंबर हैं। इनमें फिलीपींस का रैप्लर, अफ्रीका चेक, फ्रांस का साइंस फीडबैक समेत दर्जनों अन्य ग्रुप शामिल हैं। इन सभी ने YouTube को यह कहते हुए फटकार लगाई है कि वह कंटेंट को डिलीट करने या डिलीट न करने के बारे में चर्चा करता है।
फैक्ट चेकर्स ने लिखा है कि फैक्ट-चेकिंग से जुड़ी जानकारी को प्रदर्शित करना कंटेंट को हटाने से ज्यादा प्रभावी है। इन फैक्ट चेकर्स ने YouTube से बार-बार नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं में गलत सूचना के खिलाफ प्रयासों को तेज करने का भी अनुरोध किया है।
अपने बयान में YouTube प्रवक्ता एलेना हर्नांडेज ने कहा कि कंपनी ने उन सभी देशों में भारी निवेश किया है, जहां लोग कंटेंट तैयार करते हैं। उन्होंने फैक्ट चेकिंग को महत्वपूर्ण टूल बताया है। साथ ही कहा कि यह एक बड़ी पहेली का छोटा सा टुकड़ा है।
भारत के संदर्भ में बात करें, तो मिनिस्ट्री ऑफ इनफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग ने भारत विरोधी प्रचार करने और फेक न्यूज फैलाने वाले 20 YouTube चैनलों और दो वेबसाइट्स को ब्लॉक करने का ऑर्डर पिछले महीने दिया था। मिनिस्ट्री की ओर से दो ऑर्डर जारी किए गए थे। इनमें से एक में YouTube को 20 चैनलों को ब्लॉक करने और अन्य में वेबसाइट्स को रोकने का निर्देश दिया गया था। इन यूट्यूब चैनलों पर किसानों के प्रदर्शन, नागरिकता (संशोधन) कानून जैसे मुद्दों पर कंटेंट पोस्ट किया गया था। इसके साथ ही ये अल्पसंख्यकों को केंद्र सरकार के खिलाफ भड़काने की कोशिश भी कर रहे थे।