सूर्य के करीब जाकर नीला हो रहा ‘ग्रीक हीरो’, एस्‍टरॉयड फेथॉन को लेकर पता चली यह बड़ी बात

ऑनलाइन जर्नल इकारस में पब्लिश हुई एक स्‍टडी में दावा किया गया है कि तेज सोलर रेडिएशन का इस एस्‍टरॉयड के लुक्‍स के साथ कोई संबंध हो सकता है।

विज्ञापन
प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 5 अगस्त 2022 17:30 IST
ख़ास बातें
  • एस्‍टरॉयड भी सूर्य का चक्‍कर लगाते हैं
  • इन पर भी सूर्य का असर होता है
  • फेथॉन को एक सैटेलाइट की मदद से खोजा गया था

फेथॉन एस्‍टरॉयड की खोज 1983 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने की थी।

हमारे सौर मंडल में ग्रहों के साथ-साथ एस्‍टरॉयड (Asteroid) भी तैरते हैं, जो सूर्य का चक्‍कर लगाते हैं। पृथ्‍वी से लाखों किलोमीटर दूर स्थित ये एस्‍टरॉयड अपनी खूबियों की वजह से खगोलविदों के बीच चर्चा में बने रहते हैं। जिस प्रकार ग्रहों पर सूर्य का प्रभाव पड़ता है, वैसे ही एस्‍टरॉयड भी सूर्य से प्रभावित होते हैं। बेन्नू (Bennu) नाम के एस्‍टरॉयड को लेकर हाल में हुई रिसर्च में पता चला था कि सूर्य की गर्मी से 10,000 से 100,000 साल में बेन्नू की चट्टानों पर फ्रैक्‍चर्स होते हैं। यह पृथ्‍वी की तुलना में बहुत तेज है यानी पृथ्‍वी के मुकाबले एस्‍टरॉयड पर सतह का रिजेनरेशन ज्‍यादा तेज होता है और बेन्नू के साथ भी ऐसा ही है। अब एक अन्‍य एस्‍टरॉयड फेथॉन (Phaethon) को लेकर जानकारी सामने आई है। नीले रंग का यह एस्‍टरॉयड अपने कलर की वजह से वैज्ञानिकों को लुभाता रहा है। 

एक अध्ययन में इस एस्‍टरॉयड की सूर्य से निकटता और उसके नीले रंग के बीच संबंध पाया गया है। ऑनलाइन जर्नल इकारस में पब्लिश हुई एक स्‍टडी में दावा किया गया है कि तेज सोलर रेडिएशन का इस एस्‍टरॉयड के लुक्‍स के साथ कोई संबंध हो सकता है। 

फेथॉन एस्‍टरॉयड की खोज 1983 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने की थी। इसे एक सैटेलाइट के जरिए देखा गया था। सैटेलाइट की मदद से खोजा जाने वाला यह पहला एस्‍टरॉयड है। फेथॉन नाम एक ग्रीक हीरो के नाम पर रखा गया है। यह एस्‍टरॉयड कई मायनों में खास है। यह इकलौता एस्‍टरॉयड है, जिससे उल्‍का बौछारें होती हैं। बाकी सभी उल्‍का बौछारें धूमकेतु से निकलती हैं। फेथॉन से निकलने वालीं उल्‍का बौछारें दिसंबर महीने में उत्तरी गोलार्ध में दिखाई देती हैं। 

नए अध्‍ययन में कहा गया है कि सूर्य के नजदीक होने की वजह से फेथॉन का रंग नीला है। 

सूर्य की परिक्रमा करते हुए जब फेथॉन अपने सबसे निकटतम बिंदु ‘पेरिहेलियन' पर पहुंचता है तो यह 800 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाता है। तेज गर्मी इस एस्‍टरॉयड की रासायनिक संरचना में अजीब बदलाव करती है। अध्ययन में पता चला कि गर्मी से लोहे जैसे पदार्थों और अन्य ऑर्गनिक कंपाउंड्स पर असर होता है, जो लाल रंग के हैं। गर्मी से वह वाष्पीकृत हो जाते हैं और जो बचा रह जाता है वह गहरे नीले रंग के एलिमेंट्स और केमिकल कंपाउंड हैं। इनकी वजह से ही एस्‍टरॉयड चमकता है। हालांकि एक सवाल का जवाब अध्‍ययन में नहीं मिल पाया कि आखिर लाल रंग के कंपाउंड ही क्‍यों पिघलते हैं। 
 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. iOS 26 रिलीज होने के बाद आईफोन की बैटरी में तेजी से आ रही गिरावट, यूजर्स का दावा!
#ताज़ा ख़बरें
  1. Honda ने पेश की WN7 इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल, 130 किलोमीटर की रेंज
  2. Xiaomi 15T में मिल सकता है MediaTek Dimensity 8400 Ultra चिपसेट, 5,500mAh बैटरी
  3. क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए जरूरी हुआ सायबर सिक्योरिटी ऑडिट, केंद्र सरकार का फैसला
  4. Redmi 15R 5G: 6000mAh बैटरी और 12GB रैम के साथ लॉन्च हुआ 'बजट' रेडमी फोन, जानें कीमत
  5. iPhone 14 Pro मिलेगा 57 हजार से भी सस्ता, ControlZ के द ग्रेट वैल्यू डेज में OnePlus पर भी बंपर छूट
  6. Proxgy ThumbPay: स्मार्टफोन-QR को भूल जाइए, अंगूठे से होंगे डिजिटल पेमेंट!
  7. Flipkart और Amazon Sale के नाम से चल रहा स्कैम, फ्रॉड लगा सकते हैं चूना, ऐसे करें बचाव
  8. Moto G36 बड़ी 6,790 बैटरी और 16GB तक रैम के साथ जल्द होगा लॉन्च! लीक हुए स्पेसिफिकेशन्स
  9. Xiaomi ने पेश किया नया स्मार्ट नेक पिलो मसाजर, गर्दन को स्मार्ट फीचर्स से देगा आराम, जानें खासियतें
  10. Nothing ने ऑपरेटिंग सिस्टम के भविष्य में लगाई छलांग, अगले साल लॉन्च होंगे पहले 'AI-नेटिव डिवाइसेज'
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.