पृथ्वी से बाहर जीवन की तलाश में दुनियाभर के खगोलविद ‘एक्सोप्लैनेट्स' को ढूंढ रहे हैं। ऐसे ग्रह जो हमारे सूर्य की नहीं, बल्कि किसी और तारे की परिक्रमा करते हैं, एक्सोप्लैनेट (Exoplanet) कहलाते हैं। वैज्ञानिकों को लगता है कि किसी स्टार सिस्टम में ऐसा ग्रह मौजूद हो सकता है, जहां जीवन मुमकिन हो। जर्नल नेचर में पब्लिश हुई एक
स्टडी में ऐसे ही ग्रह की बात की गई है।
खगोलविदों ने एक एक्सोप्लैनेट का पता लगाया है, जो सक्रिय ज्वालामुखियों से ढका है। यह एक्सोप्लैनेट पृथ्वी के आकार का है। रिसर्चर्स का मानना है कि ग्रह की सतह के एक हिस्से में पानी भी हो सकता है।
इस एक्सोप्लैनेट को एलपी 791-18 डी (LP 791-18 d) के नाम से जाना जाता है, जोकि पृथ्वी से लगभग 90 प्रकाश वर्ष दूर क्रेटर तारामंडल में स्थित है। ‘LP 791-18 d' एक लाल बौने तारे (red dwarf star) की परिक्रमा करता है। खास बात है कि इस ग्रह के एक हिस्से में हमेशा रोशनी, जबकि एक हिस्से में हमेशा अंधेरा रहता है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) की
जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी से बातचीत में वैज्ञानिकों ने कहा कि ग्रह के उजाले वाले हिस्से में पानी की संभावना नहीं है। हालांकि पूरे ग्रह में ज्वालामुखी एक्टिविटी है, जो ग्रह के अंधेरे वाले हिस्से में पानी की मौजूदगी दर्शा सकती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘LP 791-18' नाम का एक पूरा सिस्टम है, जिसमें दो और ग्रह LP 791-18b और LP 791-18c भी मौजूद हैं। LP 791-18c नाम का ग्रह पृथ्वी से ढाई गुना बड़ा है। यह LP 791-18 d की कक्षा को भी प्रभावित करता है, इसी वजह से ग्रह में ज्वालामुखी गतिविधियां पैदा होती हैं। हालांकि अभी यह पता चलना बाकी है कि ग्रह में जीवन की संभावना कितनी है। LP 791-18 d की खोज करने वाली वैज्ञानिकों की टीम को लगता है कि यह ग्रह उन एक्सोप्लैनेट्स में शामिल होगा, जहां और रिसर्च करने की जरूरत है।