अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) जिसे अंतरिक्ष यात्रियों का दूसरा घर भी कहा जाता है, वहां बुधवार को हैरान करने वाली घटना हुई। एक रूसी अंतरिक्ष यात्री की स्पेसवॉक को हालात के मद्देनजर छोटा करना पड़ा, क्योंकि यात्री के स्पेससूट के साथ कुछ इलेक्ट्रिकल प्रॉब्लम सामने आ गई। एक्सपेडिशन 67 (Expedition 67) कमांडर ‘ओलेग आर्टेमयेव' को उनके स्पेससूट के बैटरी पावर में वोल्टेज उतार-चढ़ाव का पता चला। उन्होंने मॉस्को मिशन कंट्रोल को इसकी सूचना दी, जिसके बाद उन्हें फौरन एयरलॉक में जाने का आदेश दिया गया। अगर थोड़ी भी देर होती, तो हालात बिगड़ सकते थे।
रिपोर्ट के अनुसार ओलेग आर्टेमयेव, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर स्पेसवॉक कर रहे थे। जैसे ही उन्होंने इलेक्ट्रिकल प्रॉब्लम की सूचना दी, उन्हें रिप्लाई मिला कि सब कुछ छोड़ दो और तुरंत वापस जाना शुरू करो! उनसे कहा गया, ओलेग वापस जाओ और स्टेशन की पावर से खुद को कनेक्ट करो।
हालांकि आर्टेमयेव किसी तात्कालिक खतरे में नहीं थे, लेकिन अगर उनके स्पेससूट की पावर पूरी तरह से चली जाती, तो वह अपने साथी स्पेसवॉकर डेनिस मतवेव और मॉस्को कंट्रोल मिशन के साथ कम्युनिकेशन खो देते। इसीलिए उन्हें स्टेशन की पावर से कनेक्ट होने को कहा गया था।
मॉस्को मिशन कंट्रोल से संदेश मिलने के बाद ओलेग ने फौरन एयरलॉक में जाने का फैसला किया। इस वजह से उनकी स्पेसवॉक का समय घट गया। वह करीब साढ़े 6 घंटे की स्पेसवॉक पर थे, लेकिन स्पेससूट में समस्या ने वॉक को ढाई घंटे में समेट दिया। आर्टेमयेव ने इसके बाद कहा कि स्पेससूट में सौर पैनलों की भी जरूरत है, ताकि ऐसी स्थिति में उन्हें रिचार्ज किया जा सके। रूसी स्पेस एजेंसी ने दोनों अंतरिक्ष यात्रियों आर्टेमयेव और माटेव को स्पेसवॉक पर इसलिए भेजा था, ताकि वो एक यूरोपीय रोबोटिक आर्म को जारी रख सकें, जिसे जुलाई 2021 में ऑर्बिटिंग कॉम्प्लेक्स में लॉन्च किया गया था।
आर्टेमयेव एक अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं। वह अबतक 45 घंटों से ज्यादा स्पेसवॉक कर चुके हैं। उनके साथी डेनिस मतवेव ने भी स्पेसवॉक में 18 घंटे 20 मिनट बिताए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर यह इस साल की सातवीं स्पेसवॉक थी। ऐसे मिशन से पहले अंतरिक्ष यात्री खुद को पूरी तरह से तैयार करते हैं। सभी तकनीकी पहलुओं को परख लिया जाता है, इसलिए स्पेससूट में इलेक्ट्रिक प्रॉब्लम आना हैरान करता है। जाहिरतौर पर इसकी जांच भी की जाएगी कि आखिर किन वजहों से ऐसा हुआ। ऐसे सॉल्यूशन भी तलाशे जाएंगे, जिससे आने वाले समय में स्पेसवॉक के दौरान परेशानी ना हो।