वैज्ञानिकों को मिले 9 मीटर लंबी ‘छिपकली’ के जीवाश्‍म, 6.6 करोड़ साल पुराना सच आया सामने! जानें

रिसर्चर्स ने थालासोटिटन एट्रोक्स (Thalassotitan atrox) नाम के मोसासौर की एक नई प्रजाति के जीवाश्म की खोज की है।

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सिद्धार्थ सुवर्ण, अपडेटेड: 11 सितंबर 2022 19:02 IST
ख़ास बातें
  • मोसासौर विशाल समुद्री छिपकलियों की तरह थे
  • इनकी लंबाई 12 मीटर तक हो सकती थी
  • वह मॉडर्न ‘मॉनिटर’ छिपकली और ‘इगुआना’ के परिवार से ताल्‍लुक रखते थे

मोरक्को (Morocco) के कैसाब्लांका शहर के बाहर जीवाश्म का पता चला था।

Photo Credit: University of Bath

लगभग 6.6 करोड़ साल पहले जब धरती पर डायनासोर का दबदबा था, महासागरों में भी विशाल समुद्री जीव ‘शासन' कर रहे थे। इन्‍हें मोसासौर (mosasaurs) कहा जाता था। अब रिसर्चर्स ने थालासोटिटन एट्रोक्स (Thalassotitan atrox) नाम के मोसासौर की एक नई प्रजाति के जीवाश्म की खोज की है। मोसासौर विशाल समुद्री छिपकलियों की तरह थे, जिनकी लंबाई 12 मीटर तक हो सकती थी। वह मॉडर्न ‘मॉनिटर' छिपकली और ‘इगुआना' के परिवार से ताल्‍लुक रखते थे और कोमोडो ड्रैगन के जैसे दिखते थे। हालांकि वो समुद्री जीव थे, पर मोसासौर के पास शार्क जैसे पंख नहीं थे। उनके पास फ्लिपर्स थे। क्रेटेशियस पीरियड के 2.5 करोड़ साल में ये सरीसृप बड़े और ज्‍यादा स्‍पेशलाइज्‍ड होने के लिए डेवलप हुए, वहीं इनकी कुछ प्रजातियां छोटी मछलियों का भोजन करने के लिए अलग हो गईं। कहा जाता है कि थैलासोटिटन एट्रोक्स ने लंबे वक्‍त तक समुद्रों पर राज किया।

रिपोर्ट के अनुसार, मोरक्को (Morocco) के कैसाब्लांका शहर के बाहर जीवाश्म का पता चला था। रिसर्चर्स के अनुसार, थैलासोटिटन की लंबाई लगभग 9 मीटर थी, जबकि इसकी खोपड़ी 1.4 मीटर लंबी थी। ज्‍यादातर मोसासौरों के लंबे जबड़े और पतले दांत होते थे जो छोटी मछलियों को पकड़ने में प्रभावी थे, लेकिन थैलासोटिटन में एक छोटा, चौड़ा थूथन (muzzle) और बड़े दांत भी थे, शायद इसी से उन्‍हें शिकार करने में मदद मिलती होगी।  

रिसर्चर्स के अनुसार, इन फीचर्स से पता चलता है कि थालासोटिटन एक शानदार शिकारी था और फूड चेन में सबसे ऊपर था। उसके पास व्हेल और सफेद शार्क के जैसा इकोलॉजिकल आवास था। थलसोटिटन के दांतों की टूटी हुई और खराब हो चुकी स्थिति ने सुझाव दिया कि वह मछलियों का शिकार नहीं करता था, लेकिन बाकी समुद्री सरीसृपों को खत्‍म करने में इन्‍हें इस्‍तेमाल करता था। 

क्रेटेशियस रिसर्च में प्रकाशित स्‍टडी में कहा गया है कि थलासोटिटन एक अद्भुत, भयानक जानवर था। वैज्ञानिकों को जिस जगह से जीवाश्‍म मिला है, वहीं से कुछ और जीवाश्‍म भी मिले हैं। लेकिन यह काफी क्षतिग्रस्‍त स्थि‍ति में हैं। रिसर्चर्स के अनुसार वह इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते कि बाकी मसासौरों को किसने खाया, लेकिन उनके पास बड़े शिकारियों द्वारा मारे गए समुद्री सरीसृपों की हड्डियां हैं। 
 

 

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