वैज्ञानिकों ने खोजा ‘दानव ब्‍लैकहोल’, हर सेकंड हमारी पृथ्‍वी जितना बढ़ रहा, आकाशगंगा को भी निगलने की है ताकत

इस आकार के दूसरे ब्‍लैक होल अरबों साल पहले बढ़ना बंद हो गए थे, लेकिन यह अब भी विस्‍तार कर रहा है।

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प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 16 जून 2022 13:43 IST
ख़ास बातें
  • इसका द्रव्यमान हमारे सूर्य के द्रव्यमान का 3 अरब गुना है
  • सैगिटेरियस ए ब्‍लैक होल से भी लगभग 500 गुना बड़ा है यह
  • पूरी आकाशगंगा को किसी दानव की तरह निगल सकता है

रिसर्चर्स का मानना है कि यह ब्लैक होल पिछले 9 अरब साल में सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्लैक होल है।

वैज्ञानिकों को एक ऐसे ब्‍लैक होल के बारे में पता चला है, जिसका आकार हर सेकंड हमारी पृथ्‍वी के आकार जितना बढ़ रहा है। इस जानकारी ने साइंटिस्‍टों को हैरान कर दिया है, क्‍योंकि कोई भी ब्‍लैक होल इतनी तेजी से डिवेलप नहीं होता। पता चला है कि इस विशालकाय ब्लैक होल का द्रव्यमान हमारे सूर्य के द्रव्यमान का 3 अरब गुना है। खास बात यह भी है कि इस आकार के दूसरे ब्‍लैक होल अरबों साल पहले बढ़ना बंद हो गए थे, लेकिन यह अब भी विस्‍तार कर रहा है। बताया जाता है कि यह ब्‍लैक होल हमारी गैलेक्‍सी के हार्ट में मौजूद सैगिटेरियस ए (Sagittarius A) ब्‍लैक होल से भी लगभग 500 गुना बड़ा है। यह पूरी आकाशगंगा को किसी दानव की तरह निगल सकता है।  

space.com के अनुसार, रिसर्चर्स का मानना है कि यह ब्लैक होल पिछले 9 अरब साल में सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्लैक होल है। आखिर इसके अब तक विस्‍तार करने की क्‍या वजह हो सकती है। इस बारे में 
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (ANU) में रिसर्च स्कूल ऑफ एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स के प्रमुख रिसर्चर क्रिस्टोफर ओन्केन ने कहा है कि संभवत: दो बड़ी आकाशगंगाओं के एक-दूसरे से टकराने की वजह से ऐसा हुआ है। इस टक्‍कर ने ब्‍लैक होल को विकसित करने के लिए बहुत सारी ऊर्जा का उत्‍सर्जन किया होगा।  

उनके मुताबिक, ब्लैकहोल की सतह पर पदार्थ के तेजी से घूमने के कारण इसका केंद्र बहुत चमकदार हो गया है। यह हमारी आकाशंगा के हरेक तारे की रोशनी की तुलना में 7,000 गुना ज्यादा चमकीला है। इस केंद्र या क्‍वासर का नाम SMSS J114447.77- 430859.3 है। पृथ्वी से देखे जाने पर इस क्वासर की चमक 14.5 होती है। इसका मतलब है कि यह प्लूटो ग्रह की तुलना में थोड़ा ही कम चमकीला है। अंधेरे इलाके से अच्‍छे दूरबीनों की मदद से इसे देखना मुमकिन है। 

ऑस्‍ट्रेलिया में साइडिंग स्प्रिंग ऑब्‍जर्वेट्री में आयोजित हुए एक स्‍काई सर्वे में इस ब्‍लैक होल की खोज की गई। हालांकि साइंटिस्‍टों ने इस खोज को भूसे के ढेर में सुई जितना बताया है। खगोलविद पिछले 50 साल से इस तरह के वस्तुओं की तलाश कर रहे हैं, लेकिन इस आश्चर्यजनक ब्‍लैक होल पर किसी का ध्‍यान नहीं गया। इस खोज से जुड़ा रिसर्च पेपर ऑस्ट्रेलिया की एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के जर्नल में पेश किया गया है। अभी इसका रिव्‍यू नहीं हुआ है, लेकिन प्रीप्रिंट वर्जन thearXiv डेटाबेस के जरिए उपलब्‍ध है।
 
 

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