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वैज्ञानिकों ने खोजा ‘गजब’ तारा, 4 साल में लगा लेता है हमारी आकाशगंगा के ब्‍लैक होल का चक्‍कर

वैज्ञानिकों का कहना है कि S4716 तारे का कम समय में ब्‍लैक होल का चक्‍कर लगाना उलझन पैदा करता है, क्‍योंकि ब्लैक होल के पास तारे इतनी आसानी से नहीं बन सकते।

वैज्ञानिकों ने खोजा ‘गजब’ तारा, 4 साल में लगा लेता है हमारी आकाशगंगा के ब्‍लैक होल का चक्‍कर

Photo Credit: Nasa

खोज को अंजाम तक पहुंचाने के लिए कुल 5 टेलिस्‍कोपों ने तारे को ऑब्‍जर्व किया।

ख़ास बातें
  • ब्‍लैक होल के आसपास तारों का एक घना समूह है
  • ये एस तारे हैं, जिनकी गति आमतौर पर तेज होती है
  • वैज्ञानिक इस खोज से काफी उत्‍साहित हैं
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हमारी आकाशगंगा यानी मिल्‍की-वे (Milky Way) के केंद्र में एक ब्‍लैक होल है। यह जानकारी हमें पिछली कई रिपोर्टों से मिलती रही है। अब एक ऐसे तारे की खोज हुई है, जिसे हमारी आकाशगंगा के केंद्र में स्थित ब्‍लैक होल की परिक्रमा करने में सिर्फ 4 साल लगते हैं। ब्‍लैक होल के आसपास तारों का एक घना समूह है, जिसे S क्‍लस्‍टर कहा जाता है। इसमें सैकड़ों तारे हैं, जिनकी चमक और द्रव्‍यमान अलग-अलग है। S तारों के बारे में कहा जाता है कि इनकी गति आमतौर पर तेज होती है। 

स्‍टडी के लेखक डॉ फ्लोरियन पेस्कर ने जानकारी दी कि वैज्ञानिकों ने एक ऐसे तारे की पहचान की है, जो सिर्फ 4 साल में हमारी आकाशंगा के केंद्र में मौजूद सुपरमैसिव ब्लैक होल के चारों ओर घूमता है। यह खोज हमारी आकाशगंगा के केंद्र में तेजी से घूमने वाले तारों के ऑर्बिट की उत्पत्ति और विकास पर नई रोशनी डालती है। स्‍टडी में शामिल मासारिक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक माइकल जाजेसेक ने कहा कि S4716 तारे का कम समय में ब्‍लैक होल का चक्‍कर लगाना और उसका छोटा ऑर्बिट काफी उलझन पैदा करता है, क्‍योंकि ब्लैक होल के पास तारे इतनी आसानी से नहीं बन सकते। बहरहाल वैज्ञानिक इस खोज से काफी खुश नजर आ रहे हैं। 

एक न्‍यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, खोज को अंजाम तक पहुंचाने के लिए कुल 5 टेलिस्‍कोपों ने तारे को ऑब्‍जर्व किया। इनमें से चार टेलिस्‍कोप को मिलाकर एक बनाया गया, ताकि सटीक और विस्तृत ऑब्‍जर्वेशन किया जा सके। पेस्कर ने कहा किसी तारे के लिए एक स्थिर ऑर्बिट में होना एक विशाल ब्लैक होल के आसपास इतना तेज होना अप्रत्याशित था।

हमारी आकाशगंगा से जुड़ी कुछ और खबरों पर बात करें, तो हाल ही में एक अजब चीज का पता चला है। इसे MAXI J1816-195 नाम दिया गया है और यह X-ray लाइट छोड़ रही है। वैज्ञानिकों को पहली बार इसके बारे में 7 जून को पता चला था। इसे जापान की स्पेस एजेंसी के ऑल स्काई एक्स रे इमेज (MAXI) के माध्यम कैप्चर किया गया है। इस खोज पर प्रकाश खगोल भौतिक शास्त्री हितोशी निगेरो और उनकी टीम ने डाला जो जापान की निहोन यूनिवर्सिटी से हैं। उन्होंने एस्ट्रोनॉमर टेलीग्राम में एक नोटिस के रूप में पोस्ट किया कि एक नए एक्स-रे स्रोत का पता लगाया गया है। तमाम निष्‍कर्षों से सामने आया है कि यह एक तारा है। 
 
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