4 करोड़ साल पहले यहां बहती थी 1 हजार किलोमीटर लंबी नदी!

3.4 करोड़ से 4.4 करोड़ साल पहले Eocene नामक युग में धरती के वातावरण में सबसे बड़ा बदलाव आया था।

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Written by हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 6 जुलाई 2024 14:51 IST
ख़ास बातें
  • 4 करोड़ साल पुरानी नदी जल प्रवाह प्रणाली सामने आई है।
  • यह रीवर सिस्टम बर्फ की चादर के नीचे ढका हुआ मिला है।
  • खोज को Science Advances नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

यह खोज पृथ्वी के मौसम में होने वाले बदलावों के संबंध में इतिहास की सबसे बड़ी खोज कही जा रही है।

भू-वैज्ञानिकों को पश्चिमी अंटार्कटिका में एक ऐसी खोज हाथ लगी है जिसने दुनिया को चौंका दिया है। यहां पर 4 करोड़ साल पुरानी नदी जल प्रवाह प्रणाली सामने आई है। यह रीवर सिस्टम बर्फ की चादर के नीचे ढका हुआ मिला है। वैज्ञानिक कह रहे हैं कि यहां करोड़ों साल पहले लगभग 1 हजार किलोमीटर लंबी नदी बहती थी। चौंकाने वाली बात यह है कि उस समय धरती पर इतना बड़ा क्लाइमेट चेंज आया था जिसने ग्रह की रूप-रेखा बदल कर रख दी थी। 

यह खोज पृथ्वी के मौसम में होने वाले बदलावों के संबंध में इतिहास की सबसे बड़ी खोज कही जा रही है। खोज को Science Advances नामक जर्नल में (via) प्रकाशित किया गया है। जर्मनी में Alfred Wegener Institute Helmholtz Center for Polar and Marine Research की ओर से स्टडी के सह-लेखक Johann Klages के अनुसार, अगर धरती पर क्लाइमेट चेंज के अधिकतम प्रभाव को समझना है तो हमें इतिहास में हो चुकी इससे भी बड़ी घटनाओं से सीखना चाहिए। 

3.4 करोड़ से 4.4 करोड़ साल पहले Eocene नामक युग में धरती के वातावरण में सबसे बड़ा बदलाव आया था। उस वक्त कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वर्तमान समय से भी दोगुनी बताई जा रही है। वैज्ञानिक कह रहे हैं कि अगर आने वाले 150-200 साल तक ग्रीन हाउस गैसों के कारण कार्बन का स्तर ऐसे ही बढ़ता रहा तब जाकर उस समय के जितना कार्बन डाईऑक्साइड धरती पर इकट्ठा हो सकेगा। 

4 करोड़ साल पहले हुए क्लाइमेट चेंज के बाद जब धीरे-धीरे जब कार्बन का स्तर कम होने लगा तो पृथ्वी पर ग्लेशियरों का निर्माण होने लगा। वर्तमान में पश्चिमी अंटार्कटिका का अधिकतर भाग बर्फ में दबा हुआ है। इसलिए इसके नीचे दबी चट्टानों के बारे में जानकारी जुटाना मुश्किल है। बिना चट्टानों के अध्य्यन किए उस समय के वातावरण का अंदाजा लगाना मुश्किल है।  

2017 में भी Johann Klages और उनकी टीम इसी तरह के अभियान पर निकली थी। समुद्रतल में 100 फीट की गहराई तक ड्रिल करने के बाद टीम को दो अलग-अलग युगों की चट्टानों के सबूत मिले थे। जब रेडियोएक्टिव एलीमेंट्स की हाफ लाइफ मापी गई तो पता चला निचले अवशेष 8.5 करोड़ साल पुराने थे। ये मध्य क्रिटेशियस पीरियड से संबंधित बताए गए थे।
 

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