National Space Day : चंद्रयान-3 मिशन का एक साल पूरा, वैज्ञानिकों ने बताया, वहां था ‘महासागर’

National Space Day : वैज्ञानिकों की टीम ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक मैग्मा महासागर होने के सबूत भी खोजे हैं, जो पूर्व में वहां रहा होगा।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 23 अगस्त 2024 12:41 IST
ख़ास बातें
  • चंंद्रयान-3 मिशन का एक साल हुआ पूरा
  • भारत मना रहा है राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष दिवस
  • चांद को लेकर वैज्ञानिकों ने दी नई जानकारी

चंद्रमा का मेंटल तब बना जब हैवी मेटल अंदर की तरफ डूबे और हल्‍की चट्टानें सतह पर तैरती रहीं, जिससे चांद की बाहरी सतह का निर्माण हुआ।

आज 23 अगस्‍त को भारत अपना पहला राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day) मना रहा है। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद नेशनल स्‍पेस डे का ऐलान किया गया था। आज के ही दिन पिछले साल भारत के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की थी और ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना था। यह दिन अब और भी खास हो गया है क्‍योंकि विक्रम लैंडर के साथ गए प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) ने चंद्रमा को लेकर एक नई खोज की है। 

रिपोर्ट्स के अनुसार, अहमदाबाद स्थित फ‍िजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (PRL) के संतोष वडावले और उनकी टीम ने पता लगाया है कि लैंडिंग साइट के आसपास चंद्रमा की मिट्टी की सबसे बाहरी परत जिसे रेगोलिथ कहा जाता है उसमें एक समान तात्विक (elemental) संरचना थी, जो मुख्य रूप से फेरोअन एनोर्थोसाइट चट्टान (ferroan anorthosite) की बनी थी।

वैज्ञानिकों की टीम ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक मैग्मा महासागर होने के सबूत भी खोजे हैं, जो पूर्व में वहां रहा होगा। टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने कहा है कि चंद्रयान-3 के डेटा से मिले रिजल्‍ट ने चांद  पर मैग्मा महासागर होने की कल्‍पना को कन्‍फर्म किया है। 

इसका मतलब है कि चंद्रमा का मेंटल तब बना जब हैवी मेटल अंदर की तरफ डूबे और हल्‍की चट्टानें सतह पर तैरती रहीं, जिससे चांद की बाहरी सतह का निर्माण हुआ। यह स्‍टडी जर्नल नेचर में पब्लिश हुई है। प्रज्ञान रोवर के पेलोड पर लगे अल्फा पार्टिकुलर एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) से भेजे गए डेटा से यह जानकारी हासिल हुई है। APXS को PRL के वैज्ञानिकों ने ही तैयार किया था। इसे चांद की मिट्टी को परखने के लिए बनाया गया था। 
 

जब बना, तब कैसा था चांद? 

ऐसी परिकल्‍पना है कि चंद्रमा जब बना था, तब वह पूरी तरह से मैग्मा का महासागर था। जैसे-जैसे मैग्मा ठंडा हुआ, भारी मिनरल्‍स डूब गए जिससे चंद्रमा की अंदर की लेयर का निर्माण हुआ। भारी मिनरल्‍स में ओलिवाइन और पाइरोक्सिन शामिल थे। जबकि हल्‍के मिनरल जैसे प्लेगियोक्लेज वहां तैरने लगे, जिससे चांद की बाहरी परत बनी। 
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मैग्मा जमीन के नीचे पिघली हुई चट्टान होती है। उसमें कुछ ठोस चट्टानी टुकड़े और ज्वालामुखी गैस मिक्‍स हो सकती हैं।

 
 

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प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ ...और भी

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